साइबर अपराधियों पर कसा CBI का शिकंजा, 40 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी
सीबीआई ने डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के सिलसिले में कई राज्यों में 40 ठिकानों पर छापेमारी की। नौ पीड़ितों की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई, जिनसे करीब 4.5 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी। जांच में 15,000 से ज्यादा आईपी एड्रेस का विश्लेषण किया गया और अपराधियों का पता लगाया गया। एजेंसी ने हवाला नेटवर्क का भी पर्दाफाश किया, जो अपराध की आय को इधर-उधर करने में शामिल था।

साइबर अपराधियों पर कसा CBI का शिकंजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीबीआइ ने बुधवार को डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के सिलसिले में कई राज्यों में 40 स्थानों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने बताया कि नौ पीड़ितो की शिकायतों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिनसे कथित तौर पर 4.5 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी। अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, केरल और बंगाल में की गई।
गृह मंत्रालय के साइबर अपराध निरोधक निकाय आइ4सी से शिकायत मिलने पर सीबीआइ ने पीडि़तों को ठगने के लिए इस्तेमाल किए गए 15,000 से ज्यादा आइपी एड्रेस, म्यूल अकाउंट और दूरसंचार चैनलों का विश्लेषण किया और धोखाधड़ी को अंजाम देने वाले 40 साइबर अपराधियों का पता लगाया।
धनराशि का एक हिस्सा भारत में निकाला गया
सीबीआइ के एक प्रवक्ता ने कहा कि कार्रवाई के दौरान एजेंसी ने एक बड़े घरेलू सुविधा नेटवर्क का पता लगाया है, जो म्यूल बैंक खाते उपलब्ध कराने और अपराध की आय की आवाजाही के लिए हवाला चैनलों को सक्षम बनाने में शामिल था। सीबीआइ जांच में पाया गया कि धनराशि का एक हिस्सा भारत में निकाला गया था, जबकि शेष राशि को विदेशी एटीएम से निकालने के लिए विदेश भेज दिया गया था।
उन्होंने कहा कि 15,000 से अधिक आइपी पतों के विश्लेषण से पता चला है कि डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के अपराधी कंबोडिया सहित विदेशी स्थानों से अपनी गतिविधियां चला रहे थे और अपराध की आय के लिए भारतीय खाताधारकों का उपयोग कर रहे थे।
प्रवक्ता ने कहा कि तलाशी के दौरान बरामद डिजिटल उपकरणों, केवाईसी दस्तावेजों, सिम कार्डों और वाट्सएप संचार अभिलेखों की जांच की जा रही है ताकि अपराध में प्रयुक्त कार्यप्रणाली, वित्तीय लेन-देन और संचार बुनियादी ढांचे का पता लगाया जा सके।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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