केरल हाईकोर्ट के फैसले पर खूब रोई मां, बेटे की 2005 में हिरासत में हुई थी मौत; पुलिसवालों को खूब कोसा
केरल उच्च न्यायालय ने 2005 में चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए पकड़े गए 28 वर्षीय व्यक्ति की मौत के लिए चार पुलिस अधिकारियों की दोषसिद्धि को बुधवार को रद कर दिया। जिसके बाद मृतक मां फैसला आने के बाद कोर्ट रूम में ही रो पड़ीं और पुलिसवालों को कोसते हुए कहा कि ये अब किसी और को मारेंगे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होता है लेकिन कभी कभी किसी के लिए फैसलों को मानना काफी मुश्किल हो जाता है। केरल उच्च न्यायालय ने 2005 में चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए पकड़े गए 28 वर्षीय व्यक्ति की मौत के लिए चार पुलिस अधिकारियों की दोषसिद्धि को बुधवार को रद कर दिया। जिसके बाद मृतक मां फैसला आने के बाद कोर्ट रूम में ही रो पड़ीं और पुलिसवालों को कोसते हुए कहा कि ये अब किसी और को मारेंगे।
पीठ ने कही ये बात
न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी और न्यायमूर्ति केवी जयकुमार की पीठ ने चार अधिकारियों, जीतकुमार के, टीके हरिदास, टी अजितकुमार और ईके साबू को बरी कर दिया और फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ आरोपों को उचित संदेह से परे साबित नहीं कर सका।
कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया
खंडपीठ ने कहा कि हम यह मानने को बाध्य हैं कि एक त्रुटिपूर्ण जांच ने अंततः उदयकुमार की नृशंस मृत्यु से जुड़े अभियोजन पक्ष के मामले को विफल कर दिया है। अदालत के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्य, यदि उनकी दागी और अवैधताओं को हटा दिया जाए, तो अभियुक्त को अपराध का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। और कोर्ट ने सभी को बरी कर
दिया।
कोर्ट ने सीबीआई की आलोचना की
उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की भी तीखी आलोचना की और कहा कि मामले में उसकी जांच ठीक नहीं थी।
मां बोली- कोर्ट ऐसे आरोपियों को कैसे आजादी दे सकती है
मृतक उदयकुमार की मां प्रभावती, जिन्होंने अपने बेटे के लिए न्याय पाने के लिए दो दशकों तक इस केस को लड़ा, बुधवार को रो पड़ीं। उन्होंने रोते हुए कहा कि मेरे बेटे को आरोपी अधिकारियों ने 4,000 रुपये के लिए पीट-पीटकर मार डाला। कोई भी अदालत ऐसे अधिकारियों को कैसे आजादी दे सकती है? कल, वे और लोगों को मारेंगे।
एक आरोपी की मौत हो गई
अभियोजन पक्ष के अनुसार, उदयकुमार को चोरी के संदेह में 27 सितंबर, 2005 की सुबह तिरुवनंतपुरम के फोर्ट पुलिस स्टेशन के दो अधिकारियों ने श्रीकंदेश्वरम पार्क से उठाया था। एस.वी. श्रीकुमार, जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी, उनकी अपील की कार्यवाही के दौरान मृत्यु हो गई। अन्य तीन - टीके हरिदास, टी अजितकुमार और ईके साबू - को तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
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