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    Aircraft Deal Corruption Case: संप्रग सरकार के विमान खरीद सौदे में घोटाला, CBI ने दर्ज की एफआईआर

    By Jagran NewsEdited By: Vinay Saxena
    Updated: Mon, 29 May 2023 09:40 PM (IST)

    सीबीआई की एफआईआर के अनुसार ब्रिटिश कंपनी राल्स रायस से हाक एडवांस ट्रेनर विमान की खरीद में न सिर्फ दलाली दी गई बल्कि बिचौलिये का नाम उजागर होने से रोकने के लिए भी करोड़ों रुपये की रिश्वत दी गई।

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    सात साल की प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संप्रग सरकार के कार्यकाल में हुए घोटाले के सहारे कांग्रेस को घेरने में जुटी भाजपा को एक और हथियार मिल गया है। लगभग सात साल की प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआई ने हाक एडवांस ट्रेनर विमान की खरीद में दलाली और रिश्वतखोरी के आरोप में एफआइआर दर्ज की है। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, ब्रिटिश कंपनी राल्स रायस से हाक एडवांस ट्रेनर विमान की खरीद में न सिर्फ दलाली दी गई, बल्कि बिचौलिये का नाम उजागर होने से रोकने के लिए भी करोड़ों रुपये की रिश्वत दी गई।

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    राल्स रायस के साथ भानू और सुधीर चौधरी को बनाया आरोपी  

    ब्रिटिश सीरियस फ्रॉड ऑफिस के सामने खुद राल्स रायस ने बिचौलिये को दलाली और रिश्वत देने की बात स्वीकार की थी। सीबीआई ने इस मामले में राल्स रायस के साथ ही आर्म्स डीलर भानू चौधरी, सुधीर चौधरी और अज्ञात अधिकारियों को आरोपी बनाया है।

    क्‍या है पूरा मामला?

    दरअसल, 2003 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने राल्स रायस से 5653 करोड़ में 24 हाक एडवांस ट्रेनर विमान खरीदने का फैसला किया। इसके अलावा 42 ट्रेनर विमान ह‍िंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में बनाए जाने थे, जिसके लिए राल्स रायस को 1944 करोड़ रुपये का उपकरण सप्लाई करना था। इसके अलावा मैन्यूफैक्चरर लाइसेंस के रूप में राल्स रायस को 56 करोड़ रुपये दिया जाना था। इसके लिए हुए समझौते में शर्त थी कि कोई भी बिचौलिया नहीं होगा। बिचौलिया पाये जाने की स्थिति में सौदा रद हो जाएगा। पूरे समझौते पर अमल मनमोहन स‍िंह सरकार के समय में हुआ।

    ब्रिटिश सीरियस फ्रॉड ऑफिस की जांच में पोल खुली

    हैरानी की बात है कि आयकर विभाग ने 2006-07 में राल्स रायस इंडिया के दफ्तर की तलाशी ली थी, जिसमें बिचौलिये और उन्हें दी गई दलाली की पूरी सूची थी। सौदा रद होने के डर से राल्स रायस ने आयकर विभाग से पूरी सूची वापस लेकर उसे नष्ट कर दिया। इस तरह से दलाली के सबूत को मिटा दिया गया। लेकिन 2012 में शुरू हुई ब्रिटिश सीरियस फ्रॉड ऑफिस की जांच में इसकी पोल खुल गई।

    राल्स रायस स्‍वीकार की दलाली की बात

    सीरियस फ्रॉड ऑफिस के सामने राल्स रायस ने खुद स्वीकार किया कि सौदे हासिल करने के लिए उसने इंडोनेशिया, थाइलैंड, चीन, मलेशिया और भारत समेत कई देशों में दलाली दी थी। 2017 में क्राउन कोर्ट के फैसले में राल्स रायस की इस स्वीकारोक्ति का जिक्र है, जिसमें बिचौलियों की सूची आयकर विभाग से वापस लेकर नष्ट करने के लिए 14 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत दिये जाने की बात है। इसी तरह से राल्स रायस ने यह भी स्वीकार किया कि मैन्युफैक्चरर लाइसेंस फीस को 31 करोड़ से बढ़ाकर 56 करोड़ किये जाने के एवज में आठ करोड़ रुपए की दलाली दी गई। दिलचस्प बात यह है कि एक बार दलाली की सूची को नष्ट करने के बाद 2008 में एचएएल ने राल्स रायस के साथ 57 अतिरिक्त हाक एडवांस ट्रेनर एयर क्राफ्ट बनाकर सरकार को सप्लाई करने के लिए समझौता कर लिया।

    राल्स रायस इंडिया के निदेशक को बनाया गया आरोपी 

    सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक जांच के दौरान पूरे मामले में राल्स रायस इंडिया के निदेशक टिम जोन्स की सक्रिय भूमिका सामने आई है और उसे आरोपी बनाया गया है। इसके साथ ही इस डील में आर्म्स डीलर भानू चौधरी और उसके बेटे सुधीर चौधरी की भूमिका सामने आई है। इसके अलावा ये दोनों अन्य कई रक्षा सौदों में भी दलाली की ली थी।

    सीबीआई की एफआईआर के अनुसार सुधीर चौधरी से जुड़ी एक कंपनी के स्विस बैंक खाते में एक रूसी कंपनी से 77 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गए थे। इसके अलावा सुधीर चौधरी से जुड़ी अन्य कंपनियों में अक्टूबर 2007 से अक्टूबर 2008 के बीच 572 करोड़ रुपये जमा कराये गए थे।

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