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    CBI के हत्थे चढ़े एयरटेल अधिकारी समेत तीन लोग, अवैध सिम कार्ड बिक्री से जुड़ा है मामला; ऐसा होता था खेला

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Fri, 29 Aug 2025 05:30 AM (IST)

    सीबीआई ने अवैध रूप से सिम कार्ड बेचने के आरोप में एयरटेल के टेरिटरी सेल्स मैनेजर (टीएसएम) समेत तीन लोगों को असम के सिलचर से गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन सिम कार्डों का दुरुपयोग डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी में किया गया। छानबीन के दौरान सीबीआई को पता चला कि डोले ने बिचौलिया बरभुइया और पुरकायस्थ के साथ मिलकर अवैध तरीके से सिम कार्ड जारी किए।

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    अवैध सिम कार्ड बिक्री में एयरटेल अधिकारी समेत तीन CBI के हत्थे चढ़े (सांकेतिक तस्वीर)

     पीटीआई, नई दिल्ली। सीबीआई ने अवैध रूप से सिम कार्ड बेचने के आरोप में एयरटेल के टेरिटरी सेल्स मैनेजर (टीएसएम) समेत तीन लोगों को असम के सिलचर से गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन सिम कार्डों का दुरुपयोग डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी में किया गया।

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    सीबीआई ने असम के कछार में पांच ठिकानों पर छापे मारे

    सीबीआई ने असम के कछार में पांच ठिकानों पर छापे मारे और टीएसएम देबाशीष डोले, बिचौलिया माहिम उद्दीन बरभुइया और असीम पुरकायस्थ को गिरफ्तार किया। एयरटेल की तरफ से इस मामले में प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

    डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर नकेल कसने के लिए एजेंसी ने इस साल मई में छापे मारे थे, जिसमें 39 प्वाइंट आफ सेल्स (पीओएस) ऑपरेटर पकड़े गए थे। इन पर भारतीयों को अपने जाल में फंसाने के लिए दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के साइबर अपराधियों को 1100 से अधिक घोस्ट सिम कार्ड बेचने के आरोप हैं।

    अवैध तरीके से सिम कार्ड जारी किए

    छानबीन के दौरान सीबीआई को पता चला कि डोले ने बिचौलिया बरभुइया और पुरकायस्थ के साथ मिलकर अवैध तरीके से सिम कार्ड जारी किए। ये सिम कार्ड उन लोगों के नाम पर और उनकी जानकारी के बगैर जारी किए गए, जिन्हें आधिकारिक तौर पर पहले से सिम कार्ड जारी हुए थे।

    ऐसे बेचा जाता था घोस्ट सिम कार्ड जब कोई ग्राहक सिम कार्ड लेने जाता था, तो पाइंट-ऑफ-सेल आपरेटर ई-केवाईसी करता था और सिम जारी करता था। जालसाज आपरेटर ग्राहक से झूठ कहते थे कि उनका ई-केवाईसी फेल हो गया है और उन्हें फिर से कोशिश करनी चाहिए।

    एक सिम कार्ड स्कैमर इस्तेमाल कर रहे हैं

    अधिकारियों ने बताया कि पहली बार जेनरेट हुआ सिम ग्राहक को दे दिया जाता था, जबकि दूसरा सिम, यानी 'घोस्ट सिम', साइबर अपराधियों को बेच दिया जाता था। असली ग्राहक को इस बात की बिल्कुल जानकारी नहीं होने पाती थी कि उसके नाम पर बना हुआ एक सिम कार्ड स्कैमर इस्तेमाल कर रहे हैं।

     घोस्ट सिम कार्ड का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है

    इन घोस्ट सिम कार्ड का इस्तेमाल न केवल पीड़ितों को धोखा देने के लिए किया जाता था, बल्कि पैसे लेने के लिए 'म्यूल बैंक अकाउंट' खोलने में भी होता था। बाद में पता लगने से या मनी ट्रेल का खुलासा होने से बचने के लिए इन खातों को बंद कर दिया जाता था।

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