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    यूपीए काल में हुए एम्ब्रायर विमान सौदे में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Fri, 21 Oct 2016 11:44 AM (IST)

    वर्ष 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार के दौरान ब्राजील की एक कंपनी द्वारा एम्ब्रेयर एयरक्रॉफ्ट खरीदने की डील हुई थी।

    नई दिल्ली, जेएनएन। एम्ब्रेयर एयरकॉफ्ट डील में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बिचौलिये के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। वर्ष 2008 में 20 करोड़ 80 लाख अमेरिकी डॉलर में हुई इस विमान डील में रक्षा मंत्रालय ने सीबीआई को चिट्ठी लिखी थी।

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    रक्षा मंत्रालय की चिट्ठी मिलने के बाद कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने इस डील में बिचौलिये रहे विपिन खन्ना को अभियुक्त बनाया है। विपिन खन्ना इस डील में ब्राज़ीली कंपनी से कथित रूप से लगभग 60 लाख डॉलर लिए हैं।

    याद दिल दें कि वर्ष 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार के दौरान ब्राजील की एक कंपनी द्वारा एम्ब्रेयर एयरक्रॉफ्ट खरीदने की डील हुई थी। दुनिया की तीसरी बड़ी एयरक्रॉफ्ट बनाने वाली ब्राजील की कंपनी एम्ब्रेयर से रक्षा मंत्रालय ने पूछा था कि क्या इस डील को पूरी करने की प्रक्रिया में यूके बेस्ड किसी बिचौलिए ने भूमिका निभाई थी। दरअसल मीडिया में इस तरह की खबरें आ रहीं थी कि एक बिचौलिए के माध्यम से इस डील के एवज में भारत में घूस दी गयी थी।

    डीआरडीओ प्रमुख एस क्रिस्टोफर ने मंगलवार को रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर से मुलाकात कर उन्हें 20.8 करोड़ डॉलर के एम्ब्रेयर विमान सौदे के बारे में जानकारी दी। इस सौदे में रिश्वत दिए जाने का आरोप लगने के बाद यह सौदा विवादों में है। क्रिस्टोफर ने मंत्री के कार्यालय में उनसे मुलाकात की और उन्हें मामले की जानकारी दी। डीआरडीओ ने पहले ही ब्राजील की कंपनी एम्ब्रेयर से संपर्क कर मीडिया में आई रिश्वत संबंधी खबरों पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि अगर इसमें कोई आपराधिक पहलू है तो उसकी जांच सीबीआई करेगी।

    मंत्रालय तो जांच नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा था कि अगर यह मसला केवल प्रक्रिया से जुड़ा है तो रक्षा मंत्रालय आतंरिक जांच कर सकता है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में एम्ब्रेयर के तीन विमानों के लिए हुआ समझौता अमेरिकी अधिकारियों की जांच के घेरे में है। अधिकारियों को संदेह है कि अनुबंध हासिल करने के लिए कंपनी की ओर से घूस दी गई थी।

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