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कोरोना संक्रमण के खतरे से बचा सकता है 'लामा' का एंटीबॉडीज, जानें इसकी खासियत

लामा का एंटीबॉडीज इतना छोटा होता है कि यह वायरल प्रोटीन के रिक्त स्थानों में घुस सकता है। मानव एंटीबॉडीज से भी छोटा यह एंटीबॉडीज इस प्रकार से खतरे से बचाने में मदद कर सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 08:49 AM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 11:10 AM (IST)
कोरोना संक्रमण के खतरे से बचा सकता है 'लामा' का एंटीबॉडीज, जानें इसकी खासियत
कोरोना संक्रमण के खतरे से बचा सकता है 'लामा' का एंटीबॉडीज, जानें इसकी खासियत

नई दिल्ली। इस समय पूरी दुनिया कोरोना महामारी से बचाव और उसके इलाज की खोज में शिद्दत से जुटी हुई है। इसी क्रम में पिछले सप्ताह ‘सेल’ जर्नल में प्रकाशित एक शोध आलेख ने उम्मीद जगाई है। इसमें बताया गया है कि दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाले एक पशु ‘लामा’ के खून का एंटीबॉडीज कोरोना वायरस से लोगों का बचाव कर सकता है। इसके मुताबिक, लामा का एंटीबॉडीज इतना छोटा होता है कि यह वायरल प्रोटीन के रिक्त स्थानों में घुस सकता है। मानव एंटीबॉडीज से भी छोटा यह एंटीबॉडीज इस प्रकार से खतरे से बचाने में मदद कर सकता है।

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क्यों बंधी है इससे उम्मीद : अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने बेल्जियम की चार वर्षीय लामा ‘विंटर’ पर यह अध्ययन किया है। उसके एंटीबॉडीज को सार्स और मर्स जैसे रोगों से लड़ने में कारगर माना गया है। इस कारण शोधकर्ता यह अंदाजा लगा रहे हैं कि ये एंटीबॉडीज कोविड-19 के खिलाफ भी काम कर सकते हैं। कम से कम ये सेल कल्चर में तो प्रभावी रहे हैं। शोधकर्ता अब इस संबंध में क्लीनिकल ट्रायल पर काम कर रहे हैं। गेंट यूनिवर्सिटी के वॉयरोलॉजिस्ट तथा अध्ययन के लेखक डॉ. जेवियर सेलेंस का कहना है कि ‘यदि यह काम करता है तो लामा विंटर प्रतिमा बनाने लायक है।’

विशेष प्रकार का एंटीबॉडी : शोधकर्ताओं का कहना है कि लामा में विशेष प्रकार के एंटीबॉडी की दो कॉपी से एक नया एंटीबॉडी बनता है, जो सार्स कोरोना वायरस-2 के प्रमुख प्रोटीन से मजबूती के साथ जुड़ सकता है। ऐसा पाया गया है कि ‘विंटर लामा’ का एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के प्रोटीन से जुड़ कर उसे निष्क्रिय कर देता है। मतलब ये एंटीबॉडीज, जिसे ‘नैनोबॉडीज’ भी कहते हैं, कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भी मददगार हो सकता है, जिसने दुनियाभर में अभी तबाही मचा रखी है।

एंटीबॉडीज से संभावित उपचार : वैज्ञानिकों ने विगत वर्षों में भी सार्स और मर्स जैसे रोगों के संभावित इलाज में लामा और उसके एंटीबॉडीज की क्षमता का अध्ययन किया है। लामा, ऊंट तथा ऐल्पैक जैसे कैमेलिड प्राणी दो प्रकार के एंटीबॉडीज उत्पन्न करते हैं। इनमें से एक ‘सिंगल-डोमेन’ एंटीबॉडीज होता है और एक मानव एंटीबॉडीज जैसा। सिंगल-डोमेन एंटीबॉडीज आकार में आधे से भी छोटा होता है और संभवत यही विशिष्टता उसमें प्रभावी चिकित्सीय क्षमता पैदा करती है। 

कैसा रहा है शोध : चार वर्षीय लामा ‘विंटर’ पर शोधकर्ताओं ने 2016 में भी सार्स कोरोना वायरस-1 तथा मर्स कोरोना वायरस पर प्रयोग करते समय अध्ययन किया था। उस समय विंटर को छह सप्ताह के दौरान वायरस के स्पाइक प्रोटीन इंजेक्ट किए गए थे। इसके बाद उसके रक्त का नमूना लेकर एंटीबॉडीज अलग किया गया, जिसका प्रत्येक प्रारूप स्पाइक प्रोटीन से जुड़ा था। सेल कल्चर में पाया गया कि एंटीबॉडी सार्स कोरोना वायरस-1 के स्पाइक प्रोटीन को थामने की प्रवृत्ति दिखाता है।

मौजूदा अध्ययन में टीम ने एक नया एंटीबॉडी बनाया है। इसमें लामा के एंटीबॉडी की दो प्रतियों को जोड़ दिया गया है, जो सार्स के खिलाफ असरकारी है। पिछले शोध में विंटर के एंटीबॉडीज ने सार्स- कोरोना वायरस- 1 तथा मर्स- कोरोना वायरस को छह सप्ताह से अधिक समय तक निष्क्रिय रखा था। सौभाग्यवश, चार साल पहले विंटर से निकाले गए एंटीबॉडीज ने सार्स- कोरोना वायरस- 1 का भी निवारण किया है। इसी वायरस ने दुनियाभर में फैल कर कोविड-19 की महामारी पैदा की है।

क्या है एंटीबॉडी थेरेपी : एंटीबॉडी थेरेपी, जिसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी भी कहते हैं, एक प्रकार का इम्यूनोथेरेपी है जिसमें मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज (एमएबी) का इस्तेमाल विशेष कोशिका या प्रोटीन को बांधने (रोकने) के लिए किया जाता है। इसका लक्ष्य रोगियों में इम्यून सिस्टम को ऐसे सेल उत्पन्न करने के लिए सक्रिय करना होता है, जो संक्रमित कोशिका पर हमला कर सके।

इस तरह जानिये ये लामा को : लामा दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाला एक कैमिलिड पशु है। लेकिन जुगाली करने वाला यह पशु ऊंट से छोटा होता है और इसमें उभार नहीं होता है। इसे एक पालतू पशु के रूप में प्रागैतिहासिक काल से भी पहले से पाला जाता है और यह उनकी बोझा ढोने, ऊन और मांस की आवश्यकताओं को पूरा करता है। पूर्ण विकसित लामा की ऊंचाई 1.7 मीटर (5.5 फीट) से 1.8 मीटर (6 फीट) तक होती है।


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