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    '4 हफ्ते में भारत वापस लाओ...', सोनाली बीबी को बांग्लादेश भेजने पर कलकत्ता हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 05:17 PM (IST)

    कलकत्ता हाई कोर्ट ने बीरभूम की गर्भवती सोनाली बीबी को बांग्लादेश भेजने के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को सोनाली को चार हफ्ते में वापस लाने का आदेश दिया है। सोनाली पर बांग्लादेशी होने का आरोप था और उसे पति व बेटे के साथ भेज दिया गया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

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    सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को सोनाली का मामला जल्द सुनने का निर्देश दिया था (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बीरभूम जिले की गर्भवती सोनाली बीबी को पति और बेटे के साथ बांग्लादेश भेजने के फैसले को कलकत्ता हाई कोर्ट ने रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें चार हफ्ते के अंदर देश वापस लाना होगा। केंद्र सरकार ने इस आदेश को फिलहाल रोकने की अपील की थी। यह अपील भी खारिज कर दी गई।

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    सोनाली पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाते हुए उसे पति और बेटे के साथ बांग्लादेश भेज दिया गया था। आरोप है कि वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सोनाली नौ महीने की गर्भवती है। मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को सोनाली का मामला जल्द सुनने का निर्देश दिया था।

    चार हफ्ते का दिया गया समय

    शुक्रवार को कोलकाता हाई कोर्ट के जस्टिस तापोव्रत चक्रवर्ती और जस्टिस ऋतब्रत कुमार मित्र की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि सोनाली को बांग्लादेश भेजने का फैसला गलत है। केंद्र सरकार को उन्हें तुरंत देश वापस लाना होगा। इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है।

    बीरभूम के पाइकर की रहने वाली सोनाली काम के सिलसिले में दिल्ली में रहती थी। वह अपने पति दानिश शेख और आठ साल के बेटे के साथ पिछले कुछ सालों से दिल्ली के रोहिणी इलाके के सेक्टर 26 में रह रही थी। वह लगभग दो दशक से राजधानी में कचरा बीनने और घरेलू काम करती थी।

    परिवार का दावा है कि 18 जून को दिल्ली के केएन काटजू मार्ग थाने की पुलिस ने उन्हें बांग्लादेशी होने के शक में हिरासत में ले लिया। इसके बाद सोनाली समेत पांच लोगों को बांग्लादेश भेज दिया गया। आरोप है कि वहां बांग्लादेश पुलिस ने उन्हें चांपाईनवाबगंज जिले से गिरफ्तार कर लिया।

    महिला के पिता ने दायर की थी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका 

    सोनाली के वकील ने हाई कोर्ट में बताया कि वे बीरभूम के रहने वाले हैं, बांग्लादेश के नहीं है। सबूत के तौर पर जमीन के कागजात, सोनाली के पिता और दादा के वोटर कार्ड भी जमा किए गए। सोनाली के आठ साल के बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र भी कोर्ट में दिया गया। लेकिन दिल्ली पुलिस का तर्क है कि सोनाली के भारतीय होने पर संदेह है। इस बारे में बांग्लादेश सरकार से राय मांगी गई थी, लेकिन उसने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया।

    दिल्ली पुलिस का शुरू से ही कहना है कि इस मामले की सुनवाई दिल्ली में होनी चाहिए। क्योंकि इस मामले में मुख्य पक्ष दिल्ली पुलिस, केंद्रीय गृह मंत्रालय और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय हैं। ये तीनों दिल्ली में हैं। सोनाली के पिता ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण यचिका दायर की थी। शुक्रवार को हाई कोर्ट ने इस पर आदेश दिया।

    हाईकोर्ट के आदेश से परिवार को राहत

    सोनाली के गर्भवती होने से उनके परिवार में चिंता और बढ़ गई है। विदेश में बच्चे के जन्म पर उसकी नागरिकता क्या होगी, क्या इससे सोनाली की भारत वापसी में मुश्किलें बढ़ेंगी, ऐसे सवाल हैं। हाई कोर्ट के आदेश से सोनाली का परिवार फिलहाल राहत में है।

    उनके पिता ने कहा कि मैं कलकत्ता हाई कोर्ट को धन्यवाद देता हूं। अगर ममता बनर्जी और सामिरुल इस्लाम न होते तो मैं अपनी बेटी को वापस नहीं ला पाता। उन्हीं की वजह से मैं उसे वापस ला पा रहा हूं। दिल्ली पुलिस ने गलत किया। बिना कुछ जाने-समझे उसे बांग्लादेश भेज दिया। मेरा घर तो वीरभूम में है, बांग्लादेश में नहीं।

    बंगाल प्रवासी कल्याण समिति के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद सामिरुल इस्लाम ने कहा कि सोनाली को बांग्लादेश भेजने के बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर हम उनके साथ खड़े हुए। न्याय के लिए हाई कोर्ट को धन्यवाद। उन्हें देश वापस लाने के बाद जो भी जरूरत होगी, हम करेंगे। हर तरह से मदद करेंगे।

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