सौ शहरों के स्थानीय निकायों की ऑडिट से जीवन स्तर में सुधार की पहल करेगा CAG, उद्योगों व स्टार्ट अप पर भी आएगी रिपोर्ट
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की नई योजना अगर परवान चढ़ गई तो देश के शहरी स्थानीय निकायों (यूएलजी) के कामकाज में ना सिर्फ बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे बल्कि इससे आम आदमी को बेहतर बुनियादी सुविधा मिलने का रास्ता भी साफ होगा और साथ ही उद्यमियों व कारोबारियों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का फायदा भी मिलेगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की नई योजना अगर परवान चढ़ गई तो देश के शहरी स्थानीय निकायों (यूएलजी) के कामकाज में ना सिर्फ बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे बल्कि इससे आम आदमी को बेहतर बुनियादी सुविधा मिलने का रास्ता भी साफ होगा और उद्यमियों व कारोबारियों को 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' का फायदा भी मिलेगा।
इस बात का संकेत सीएजी के संजय मूर्ति ने राज्यों के वित्त सचिवों की बैठक में दिए। इसके तहत पांच लाख से ज्यादा आबादी वाले देश के सौ शहरों के स्थानीय निकायों की विशेष ऑडिट शुरू की जा रही है। इन शहरों में 'ईज ऑफ लिविंग' के पैमाने पर प्रगति का मूल्यांकन किया जाएगा।
सीएजी की इस घोषणा को केंद्रीय बजट 2025-26 में 'अर्बन चैलेंज फंड' (यूसीएफ) के तहत एक लाख करोड़ रुपये की व्यवस्था से जोड़ कर देखा जा रहा है। निकायों के काम काज व उनके हिसाब किताब का परीक्षण यूसीएफ के बेहतर इस्तेमाल का रास्ता खोलेगा।
देश के जीडीपी में इन शहरों का बड़ा योगदान
सीएजी मूर्ति ने बैठक में जोर दिया कि शहरीकरण की रफ्तार तेज होने के बीच शहरों की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने कहा, “लगभग 15 शहर देश के जीडीपी में 50 प्रतिशत से अधिक योगदान देते हैं। इसमें मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे महानगर 30 प्रतिशत जीडीपी में हिस्सा देते हैं। ये शहर देश की सालाना आर्थिक विकास दर में 1.5 फीसद और वृद्धि कर सकते हैं।''
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय का बजट 2009-10 से नौ गुना बढ़ चुका है। फिर भी प्रदूषण, ट्रैफिक जाम, झुग्गी-झोपडि़यां, पानी की कमी और कमजोर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी चुनौतियां बरकरार हैं।
सीएजी ने बताया कि प्रस्तावित ऑडिट इन शहरों में चार प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित होगी। पहला-पानी, बिजली और स्वच्छता जैसी आवश्यक सेवाओं की विश्वसनीय आपूर्ति। दूसरा, हरे-भरे स्थानों का विकास, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा और सतत परिवहन प्रणाली उपलब्ध कराना। तीसरा-नागरिकों के लिए बेहतर सेवाएं और सुविधाएं मुहैया कराना। चौथा-रोजगार सृजन और निवेश के लिए अनुकूल माहौल बना कर आर्थिक विकास दर को बढ़ाना।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर कैग करेगी ऑडिट
सीएजी के मुताबिक “विभिन्न राज्यों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर क्या किया जा रहा है और इसकी क्या स्थिति है, इसकी भी ऑडिट करने की तैयारी है। इसमें खास तौर पर छोटे व मझोले उद्योगों व स्टार्ट अप के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जांच की जाएगी।''
भारत में करीब 5,000 यूएलजी हैं, जो देश की 35 प्रतिशत आबादी को सेवाएं देते हैं। यह हिस्सा 2031 तक 41 फीसदी हो जाएगा। ये निकाय सालाना 5.5-6 लाख करोड़ रुपये के संसाधन का प्रबंधन करते हैं। हाल के जारी कुछ अन्य रिपोर्ट में भी शहरी निकायों की कमजोरियां उजागर हुई हैं।
विकास कार्यों में कम खर्च हो रहा है
नवंबर 2024 में जारी एक रिपोर्ट में 18 राज्यों के 393 स्थानीय निकाय कुल संसाधनों का सिर्फ 29 फीसद ही विकास कार्यों में खर्च कर रही हैं। इन निकायों में 37 प्रतिशत पद रिक्त हैं। अगर इन निकायों की स्थिति ठीक नहीं की गई तो वित्त मंत्रालय की तरफ से आवंटित फंड भी कुछ काम नहीं कर सकेगा। राज्यों के वित्त सचिवों की बैठक में सीएजी ने पहली बार “स्टेट फाइनेंस रिपोर्ट'' भी जारी की है।
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