Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'तो बीवी भाग जाएगी...', वर्क-लाइफ बैलेंस विवाद के बीच अडाणी ने क्यों कहा ऐसा?

    Updated: Tue, 31 Dec 2024 05:02 PM (IST)

    गौतम अडानी ने कहा कि संतुलन तब महसूस होता है जब कोई व्यक्ति वह काम करता है जो उसे पसंद है।अगर हम मान लें कि कोई भी व्यक्ति यहां स्थायी रूप से नहीं आया ...और पढ़ें

    Hero Image
    वर्क-लाइफ बैलेंस विवाद के बीच गौतम अडाणी का बयान (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल में ही इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायणमूर्ति ने एक टिप्पणी करते हुए कहा था कि देश के युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे कार्य करना चाहिए, जिससे देश की उन्नति तेजी से होगी। इसके बाद देश में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर एक बहस छिड़ गई। इस बहस के बीच अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी का बयान सामने आया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गौतम अडाणी ने कहा कि संतुलन तब महसूस होता है जब कोई व्यक्ति वह काम करता है जो उसे पसंद है। अगर कोई व्यक्ति यह मान लेता है कि वह नश्वर है तो जीवन जीना भी आसान हो जाता है।

    जानिए क्या बोले गौतम अडाणी?

    समाचार एजेंसी आईएएनएस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यदि आप जो करते हैं, उससे आनंद लेते हैं, तो आपके पास कार्य-जीवन संतुलन है। आपका कार्य-जीवन संतुलन मुझ पर नहीं थोपा जाना चाहिए, और मेरा कार्य-जीवन संतुलन आप पर नहीं थोपा जाना चाहिए। किसी को यह देखना चाहिए कि वे अपने परिवार के साथ कम से कम चार घंटे तो बिताएं।

    वहीं, उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि इसके बावजूद अगर कोई अपने काम पर आठ घंटे व्यतीत करता है तो वह अलग बात है कि बीवी भाग जाएगी। अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने कहा कि कार्य-जीवन संतुलन का सार व्यक्ति की अपनी और प्रियजनों की खुशी में निहित है।

    वही काम करें जो पसंद हो

    गौतम अडाणी ने कहा कि आपका कार्य-जीवन उस समय संतुलित होता है जिस दौरान आप वह काम करते हैं जो आपको पसंद है। हमारे लिए या तो यह परिवार है या काम, हमारे पास इससे बाहर कोई दुनिया नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे भी केवल इसी पर ध्यान देते हैं। कोई भी व्यक्ति यहां स्थायी रूप से नहीं आया है। जब कोई यह समझ लेता है, तो जीवन सरल हो जाता है।

    क्या बोले थे नारायणमूर्ति?

    गौतम अडाणी की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब देश में काम के घंटों को लेकर एक बहस छिड़ी है। 70 घंटे के कार्य सप्ताह की अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायणमूर्ति ने बीते दिनों कहा था कि हम सर्वश्रेष्ठ कंपनियों के पास जाएंगे और अपनी तुलना सर्वश्रेष्ठ वैश्विक कंपनियों से करेंगे। एक बार जब हम अपनी तुलना सर्वश्रेष्ठ वैश्विक कंपनियों से करेंगे, तो मैं आपको बता सकता हूं कि हम भारतीयों के पास करने के लिए बहुत कुछ है। हमें अपनी आकांक्षाएं ऊंची रखनी होंगी क्योंकि 800 मिलियन भारतीयों को मुफ्त राशन मिलता है। इसका मतलब है कि 800 मिलियन भारतीय गरीबी में हैं। अगर हम कड़ी मेहनत करने की स्थिति में नहीं हैं, तो कौन कड़ी मेहनत करेगा?