तीन साल में 45 बसों में आग लगने से 64 लोगों की गई जान, इस राज्य में हुई सबसे ज्यादा घटनाएं
केंद्र सरकार के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में बसों में आग लगने की 45 घटनाओं में 64 लोगों की जान गई है, जिनमें सबसे अधिक मौतें राजस्थान में हुईं। इलेक्ट ...और पढ़ें

तीन सालों में 45 बसों में आग लगने की घटनाएं हुईं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि पिछले तीन सालों में 10 दिसंबर तक ऑपरेशन के दौरान बसों में आग लगने की 45 घटनाओं में 64 लोगों की मौत हुई, जिसमें राजस्थान में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।
इलेक्ट्रॉनिक डिटेल्ड एक्सीडेंट रिपोर्ट (eDAR) सिस्टम के डेटा के अनुसार, इस दौरान राजस्थान में बस में आग लगने की घटनाओं में कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महाराष्ट्र में बस में आग लगने की सबसे ज्यादा नौ घटनाएं दर्ज की गईं, इसके बाद मध्य प्रदेश में आठ घटनाएं हुईं। राजस्थान, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी इसी तीन साल की अवधि में छह-छह बस में आग लगने की घटनाएं सामने आईं।
सरकार के कदम
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद नारायण दास गुप्ता द्वारा ऐसी घटनाओं की बढ़ती संख्या पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए राज्यसभा में यह रिपोर्ट पेश की।
जवाब में बताया गया कि इन आंकड़ों में हाल ही में हुई एक दुर्घटना शामिल नहीं है, जिसमें 24 अक्टूबर, 2025 को आंध्र प्रदेश के कुरनूल में एक बस की मोटरसाइकिल से टक्कर हो गई और उसके बाद उसमें आग लग गई, जिससे 25 लोगों की मौत हो गई।
बस सुरक्षा के लिए सरकार के कदम
सरकार ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने बस सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें 2016 में ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (AIS) 119 नियमों में बदलाव करना शामिल है।
नियम के तहत किए गए बदलावों में बसों में कुल 10 किलोग्राम क्षमता वाले दो फायर एक्सटिंग्विशर लगाना शामिल है। एक ड्राइवर के पास और दूसरा पैसेंजर कंपार्टमेंट में 12 मीटर तक लंबी बसों के लिए चार एग्जिट और लंबी बसों के लिए एक अतिरिक्त एग्जिट जरूरी करना। इंजन में फायर डिटेक्शन और सप्रेशन सिस्टम लगाना और सभी तरह की बसों में पैसेंजर और ड्राइवर कंपार्टमेंट के बीच कोई बंटवारा न होना।

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