Dalai Lama Birthday: बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का जन्मदिन आज, चीन क्यों रहता है खौफजदा?
बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा आज 87 वर्ष के हो गए हैं। 1959 से भारत में शरण लेने को मजबूर दलाई लामा चीन के लिए एक कांटे के समान हैं। तिब्बत-चीन विवाद के चलते भारत-चीन के रिश्ते भी ठीक नहीं हैं।

नई दिल्ली, आनलाईन डेस्क। बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा आज 87 वर्ष के हो गए हैं। दुनिया भर में शांति, अहिंसा, करूणा का सतत प्रसार करने वाले बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका है। पिछले 63 सालों से वे भारत में रह रहे है। दरअसल 1959 में चीन ने तिब्बती लोगों पर बर्बर अत्याचार किए जिसके चलते दलाई लामा को तिब्बत छोड़ना पड़ा और उन्हें भारत ने शरण दिया। हालाकि, इस शरण के चलते भारत-चीन के रिश्तों में भारी खटास आ गई।
6 जुलाई 1935 को जन्मे दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी समेत दुनिया भर के लोगों ने दलाई लामा के लम्बी उम्र की कामना की। प्रधानमंत्री मोदी न ट्वीट कर बताया कि 87 वर्ष के हुए दलाई लामा को सुबह फोन कर उनके अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी उम्र की कामना की। खबर है कि हिमाचल के मुख्यमंत्री, दलाई लामा के जन्मदिन कार्यक्रम में शिरकत भी करेंगे। वहीं, इन सबके इतर चीन हमेशा से ही दलाई लामा का बुरा चाहता रहा है। आखिर क्या वजह है जो चीन को दलाई लामा खटकते हैं।
Conveyed 87th birthday greetings to His Holiness the @DalaiLama over phone earlier today. We pray for his long life and good health.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2022
87 वर्ष के दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु हैं। जो चीन की नजरों में बराबर खटकते रहते हैं। दरअसल चीन शुरू से ही तिब्बत पर अपना दावा करता रहा है जिसको दलाई लामा समेत तमाम तिब्बत वासी नकारते रहे हैं। ऐसे ही चीन ने 1959 में तिब्बत पर चढ़ाई कर दी जिसके चलते दलाई लामा को तिब्बत छोड़ना पड़ा।
हालांकि, यह सच है कि भारत ने दलाई लामा और उनके अनुयायियों समेत तिब्बत का ख्याल रखा। मगर यह भी सच है कि इस वजह से चीन और भारत के रिश्तों में बहुत खटास आ गई। पिछले कुछ सालों से चीन जो भारत की सीमाओं पर उत्पात मचा रहा है और कहीं भी अपना दावा कर देता है। बताया जाता है कि चीन इस वजह से बहुत नाराज रहता है कि भारत ने उसके विरोधी के शरण क्यों दी है।
चीन कहता है कि दलाई लामा अलगाववादी है। वहीं दलाई लामा के दुनिया भर में चाहने और मानने वाले हैं। लगभग पचास देशों की यात्रा कर चुके दलाई लामा दुनिया भर में शांति के अग्रदूत बन गए हैं। शांति का नोबेल पुरस्कार भी दलाई लामा को मिल चुका है। एक शांति के नोबेल पुरस्कार विजेता को चीन अलगाववादी बताता है तो यह बात जमती नहीं। इसके इतर 2010 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा ने दलाई लामा से मुलाकात की बावजूद कि चीन इस मुलाकात का विरोध करता रहा।
तिब्बत के बारे में जो सबसे दिलचस्प बात ये है कि यहां के धर्मगुरु दुनिया भर के बौद्ध का पथ प्रदर्शन करते हैं। यानि तिब्बत सभी बौद्धों के लिए खास जगह है।
50 के दशक में शुरू हुआ तिब्बत-चीन विवाद आज भी जारी है। ऐसे में दलाई लामा कहते हैं कि हमें स्वायत्ता चाहिए जिसका चीन विरोध करता है। चीन और तिब्बत विवाद के चलते भारत और चीन के रिश्तों में भी खटास बनी ही रही जो आज भी दिखती है।
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