Move to Jagran APP

Radcliffe Line का किस्सा: 75 वर्ष पहले आज ही के दिन भारत-पाक के बीच खींची गई थी सरहद

Radcliffe line 1947 में आज ही भारत-पाकिस्तान की सीमा रेखा ‘रैडक्लिफ लाइन’ की घोषणा हुई थी। ब्रिटिश वकील सर सिरिल रेडक्लिफ ने एक हिंदू और एक मुस्लिम वकील की मदद से दोनों देशों के बीच सीमा का निर्धारण किया था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम रेडक्लिफ लाइन पड़ा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 12:20 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 01:00 PM (IST)
Radcliffe Line का किस्सा: 75 वर्ष पहले आज ही के दिन भारत-पाक के बीच खींची गई थी सरहद
भारत-पाकिस्तान सीमा का बंटवारा 17 अगस्त को हुआ। Map Courtesy: Survey of India

नई दिल्ली, एजेंसी। आजादी के बाद आज ही का वह दिन था, जब भारत-पाकिस्तान के बीच एक सीमा रेखा खींच दी गई थी। 17 अगस्त, 1947 में दोनों देशों के बीच सरहद बांट दी गई थी।

loksabha election banner

ब्रिटिश वकील सर सिरिल रेडक्लिफ ने एक हिंदू और एक मुस्लिम वकील की मदद से दोनों देशों के बीच सीमा का निर्धारण किया था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम रेडक्लिफ ( Radcliffe Line) रखी गई। इस दिन बड़ी संख्या में लोग भारत के इस पार से उस पार पाकिस्तान चले गए थे और हिन्दुस्तान दो हिस्सों में बंट गया था।

भारत-पाक के बीच 2900 किलोमीटर लंबी सीमा

भारत-पाकिस्तान के बीच 175,000 वर्ग मील क्षेत्र को समान रूप से विभाजित करने की जिम्मेदारी सर रेडक्लिफ को दी गई थी। उन्हें दोनों देशों के सीमा आयोगों का संयुक्त अध्यक्ष बनाया गया था। भारत की स्वतंत्रता 15 अगस्त, 1947 से तीन दिन पहले यानी 12 अगस्त, 1947 को सीमांकन रेखा को अंतिम रूप दिया गया था। इसके बाद 17 अगस्त 1947 को इस रेखा को लागू कर दिया गया।

रेडक्लिफ रेखा तो भारत पाकिस्तान की सरहद बना वह पश्चिमी भाग भारत-पाकिस्तान सीमा के रूप में जाना जाता है। जबकि पूर्वी भाग में भारत-बांग्लादेश की सीमा है। भारत-पाकिस्तान के बीच 2900 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है लेकिन क्रॉसिंग पॉइंट सिर्फ 5 बनाए गए है।

एक महीने में तय हुईं दोनों देशों की सीमाएं

भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा के लिए सिर्फ एक महीने का वक्त ही मिला था। 8 जुलाई, 1947 को जब सर रेडक्लिफ भारत आए तो उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई। उन्हें एक महीने का वक्त दिया गया। इसके बाद उनकी टीम इस काम में जुट गई।

जनगणना रिपोर्ट और कुछ नक्शों की मदद से उन्होंने सीमा रेखा पर काम शुरू किया। धार्मिक जनसांख्यिकी के आधार पर सीमा को बांटने का काम किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.