Maratha Reservation: मराठा कोटा पर सुनवाई से बॉम्बे हाईकोर्ट की एक बेंच का इनकार, क्या है वजह?
बॉम्बे हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया जिसमें मराठा समुदाय को आरक्षण के लिए कुंबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने की बात है। ओबीसी समुदाय के लोगों ने याचिका दायर कर मराठा समुदाय को कुंबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने का विरोध किया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांबे हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने महाराष्ट्र सरकार के निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें मराठा समुदाय के सदस्यों को आरक्षण के लिए कुंबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने की बात की गई है।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित व्यक्तियों द्वारा पांच याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें दावा किया गया है कि मराठा समुदाय को कुंबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने से उन्हें ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जाएगा।
बिना कारण बताए अलग किया
ये याचिकाएं सोमवार को न्यायाधीश रेवती मोहिते डेर और संदीप पाटिल की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आईं। हालांकि, जस्टिस पाटिल ने कहा कि वे इन याचिकाओं की सुनवाई नहीं कर सकते, जिसके बाद बेंच ने बिना कारण बताए खुद को अलग कर लिया। अब ये याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंकड़ की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए रखी जाएंगी।
ये याचिकाएं कुंबी सेना, महाराष्ट्र माली समाज महासंघ, अहिर सुवर्णकार समाज संस्था, सदानंद मंडलिक और महाराष्ट्र नाभिक महामंडल द्वारा दायर की गई हैं। इनका दावा है कि सरकार का निर्णय मनमाना, असंवैधानिक और कानून के खिलाफ है और इसे रद किया जाना चाहिए। कुंबी सेना ने याचिका में कहा है कि सरकार के निर्णय ने कुंबी, कुंबी मराठा और मराठा कुंबी जातियों के प्रमाण पत्र जारी करने के आधार और मानदंडों को बदला है।
सरकार के फैसले को जटिल बताया
इसमें कहा गया कि ये निर्णय 'अस्पष्ट' हैं और इससे 'पूर्ण अराजकता' होगी। यह निर्णय ओबीसी से मराठा समुदाय को जाति प्रमाण पत्र देने का जटिल व अस्पष्ट तरीका है। ओबीसी मराठा समुदाय के योग्य व्यक्तियों को कुंबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने का सरकार का निर्णय उस समय आया जब कोटा कार्यकर्ता मनोज जारंगे ने 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिन भूख हड़ताल की।
दो सितंबर को सरकार ने हैदराबाद गजेटियर पर एक संकल्प (जीआर) जारी किया और उन मराठों के लिए कुंबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की, जो उन्हें अतीत में कुंबी के रूप में मान्यता देने वाले दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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