फिर गरमाया बोफोर्स घोटाले का मुद्दा... पत्रकार चित्रा सुब्रह्मण्यम ने उठाए कई गंभीर सवाल, सीबीआई से मांगा जवाब
बोफोर्स का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है। इस बार पत्रकार और लेखिका चित्रा सुब्रह्मण्यम ने बोफोर्स तोप दलालीकांड से जुड़े कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि स्विट्जरलैंड से आए सुबूतों के बक्सों को किसने खोला था और उन बक्सों में आखिर क्या था? वहीं सीबीआई द्वारा दस्तावेजों को आरोपपत्र में दर्ज कराने का दावा किया जा रहा है।
पीटीआई, नई दिल्ली। पत्रकार और लेखिका चित्रा सुब्रह्मण्यम ने सीबीआई से पूछा है कि बोफोर्स तोप दलालीकांड में स्विट्जरलैंड से आए सुबूतों के बक्सों को अब तक उजागर क्यों नहीं किया गया है? सीबीआई के पूर्व अफसरों का कहना है कि उन सभी सुबूतों को अदालत में आरोप पत्र के रूप में पेश किया जा चुका है।
'बोर्फोसगेट : ए जनर्लिस्ट परसुएट ऑफ ट्रुथ' की लेखिका चित्रा सुब्रह्मण्यम ने एक साक्षात्कार में दावा किया कि आखिर किसने सुबूतों के बक्सों को खोला था और उन बक्सों में आखिर क्या था?
लेखिका ने जताया आश्चर्य
लेखिका सुब्रह्मण्यम ने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि अगर 18 प्रतिशत दलाली ली गई थी, तो तत्कालीन भारत सरकार को स्वीडिश फर्म की बोफोर्स तोपों की दलाली का क्या हुआ था। चित्रा सुब्रह्मण्यम ने कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने वर्ष 1999 के अंत में तब उनसे क्यों कहा था कि ब्रजेश मिश्रा ने उन बक्सों को खोलने से क्यों मना किया था?
इस मुद्दे पर लगातार अपने रुख पर कायम रहने वाली चित्रा सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सीबीआई कह रही है कि उसे जो कहना था, उसने कहा। लेकिन मुझे जो कहना था, वह कह दिया।
आरोपपत्र में दर्ज कराने का दावा
- राजस्थान पुलिस के पूर्व महानिदेशक ओपी गल्होत्रा ने अपने कार्यकाल के दौरान बोर्फोस केस में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने स्विट्जरलैंड से मिले दस्तावेजों को आरोपपत्र में दर्ज करा दिया था।
- उन्होंने बताया कि संबंधित अदालत के निर्देश पर सुबूत के बक्सों को खोला गया था और हरेक सुबूत का परीक्षण किया गया था। इस किताब के दावों की पुष्टि नहीं की गई है।
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