Bluesmart Fraud: करोड़ों डॉलर की कंपनी, लेकिन अय्याशी ले डूबी... ब्लूस्मार्ट के मालिकों ने ऐसी क्या गलती कर दी?
उबर की प्रतिद्वंद्वी इलेक्ट्रिक कैब सर्विस ब्लूस्मार्ट के मालिक अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी सेबी की जांच के दायरे में आ गए हैं। सेबी ने कहा है कि इन्होंने अपनी मूल कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग की रकम का दुरुपयोग कर करोड़ों का लग्जरी फ्लैट और लाखों की गोल्फ किट खरीदी। सेबी ने जेनसोल के अकाउंट बुक्स के जांच के आदेश दिए हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्कूलों में एक कहावत पढ़ाई जाती है- अर्श से फर्श पर आना। अगर इस कहावत की तुलना इलेक्ट्रिक कैब सर्विस ब्लूस्मार्ट से करें, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। सेबी के नोटिस के बाद गुरुवार को कंपनी ने अचानक से अपनी सर्विस बंद कर दी।
आरोप है कि प्रमोटर्स ने कंपनी के पैसों का इस्तेमाल अपनी अय्याशी और ऐशो आराम के लिए किया। कंपनी के फंड में से करीब 262 करोड़ रुपये कहां गायब हो गए, इसका कोई हिसाब नहीं है। खर्च दिखाया कुछ और, लेकिन किया कुछ और।
आज के एक्सप्लेनर में बात करेंगे ब्लूस्मार्ट कंपनी और इसे लेकर शुरू हुए विवाद की...
कैसे शुरू हुई ब्लूस्मार्ट?
ब्लूस्मार्ट की पैरेंट कंपनी जेनसोल है। इसके मालिक अनमोल सिंह जग्गी ने देहरादून की यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज से एप्लाइड पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में डिग्री ली थी। जग्गी ने पहले कुछ समय तक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की, लेकिन फिर स्टार्टअप शुरू करने का ख्याल आया।
नौकरी छोड़ी और भाई पुनीत सिंह जग्गी के साथ जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड की नींव रख दी। कंपनी का फोकस सोलर प्रोजेक्ट्स और व्हीकल लीजिंग पर था। इसके बाद 2019 में दोनों भाइयों ने मिलकर जेनसोल के बैनर तले ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी की शुरुआत की।
क्या काम करती थी ब्लूस्मार्ट?
जिस समय भारत में उबर और ओला का क्रेज था, उस वक्त ब्लूस्मार्ट जैसी कंपनी की शुरुआत करना वाकई एक चुनौती भरा फैसला था। ब्लूस्मार्ट की थीम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने की थी। साफ तौर पर कहें, तो कंपनी के बेड़े में सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही थीं।
इस कंपनी को गुरुग्राम में महज 70 कारों के साथ शुरू किया गया था। लेकिन बाद में इसकी संख्या कई गुना बढ़ गई। 2023 में कंपनी ने पुणे में इलेक्ट्रिक व्हीकल की फैक्ट्री लगाई थी। फरवरी 2025 तक ब्लूस्मार्ट की वैल्यूएशन करीब ₹3,000 करोड़ हो गई थी।
फंड की नहीं हुई कभी कमी
ब्लूस्मार्ट को शुरुआत में ही एंजेल फंडिंग से 3 मिलियन डॉलर का बूस्ट मिला। हीरो मोटोकॉर्प, जीटो एंजेल नेटवर्क, माइक्रोमैक्स और दीपिका पादुकोण ने भी कंपनी में निवेश किया। कुछ समय बाद कंपनी ने टाटा मोटर्स और जियो-बीपी से टाइअप कर लिया, जिससे फ्लीट और चार्जिंग स्टेशन की संख्या में इजाफा हो गया।
ब्लूस्मार्ट को झोलाभर के फंड मिल रहे थे। मई 2022 में कंपनी ने 25 मिलियन डॉलर, मई 2023 में 42 मिलियन डॉलर उठाए। ब्लूस्मार्ट ने कई शहरों में विस्तार किया। जनवरी 2024 में कंपनी ने स्विस फर्म से 25 मिलियन और जुटाए। जुलाई में फिर से 200 करोड़ का फंड मिला। रिपोर्ट्स कहती हैं कि उबर ने ब्लूस्मार्ट को अक्वायर करने की भी पेशकश की थी।
कंपनी पर क्या लगे आरोप?
- सेबी ने अंतरिम आदेश में कहा कि नई दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में आठ हजार से ज्यादा टैक्सी वाली ब्लूस्मार्ट की मूल कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड लिस्टेड कंपनी है, लेकिन इसके मालिक अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने इसे निजी कंपनी की तरह चलाया।
- विवाद की मूल वजह जेनसोल को आईआरडीए और पीएफसी द्वारा दिए गए कर्ज का कथित दुरुपयोग है। कंपनी ने 977.75 करोड़ रुपये का ऋण लिया, जिसमें से 663.89 करोड़ केवल 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए थे। जेनसोल वाहन खरीदकर ब्लूस्मार्ट को लीज पर दे देती थी।
- हालांकि, सेबी को दी गई जानकारी में जेनसोल ने माना कि इसने फरवरी तक 567.73 करोड़ देकर केवल 4,704 ईवी ही खरीदीं, जो ऋण लेते वक्त किए गए वादे के हिसाब से काफी कम थीं। जेनसोल को अपनी तरफ से 20 प्रतिशत हिस्सेदारी की रकम देनी थी, जिससे खरीदारी की कुल रकम 829.86 करोड़ हो जाती और इस हिसाब से 262.13 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मिली।
कैमेलियाज में बंगला खरीदा, स्पा पर उड़ाई रकम
- सेबी ने बैंक खातों की जांच की तो पता चला कि कई बार गो-आटो को ईवी खरीदारी के लिए भेजी गई रकम सीधे जेनसोल या अनमोल और पुनीत से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जुड़े खातों में वापस भेज दी गई। मालिकों ने कंपनी के फंड को अपने ऐशो आराम के लिए खर्च किया।
- इनमें गुरुग्राम के डीएलएफ कैमेलियाज में 43 करोड़ रुपये का लग्जरी फ्लैट खरीदना, अमेरिका से 26 लाख की गोल्फ किट मंगाना, घूमना-फिरना, रिश्तेदारों को पैसे भेजना, स्पा सेशन लेना और मालिकों को फायदा देने वाली उनकी दूसरी इकाइयों में निवेश करने के साथ लाखों का क्रेडिट कार्ड का भुगतान शामिल था।
- इसके अलावा 50 लाख रुपये अशनीर ग्रोवर के स्टार्टअप थर्ड यूनिकॉर्न में लगाए गए। 6.20 करोड़ अनमोल की मां और 2.98 करोड़ पत्नी के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए। जेनसोल ने कहा है कि कंपनी सेबी के निर्देशों का पालन करेगी और जांच में पूरा सहयोग करेगी। गुरुवार को इसके शेयरों में करीब पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और कंपनी के शेयर एक साल में 90 प्रतिशत तक गिर गए हैं।
ड्राइवरों का रोजी-रोटी के लिए संकट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्लूस्मार्ट के लिए करीब 10 हजार से ज्यादा ड्राइवर काम करते थे। सेबी के नोटिस के बाद कंपनी ने अस्थायी तौर पर अपना संचालन बंद कर दिया है। यूजर्स को तो साफ तौर पर कह दिया गया है कि अगर संचालन दोबारा शुरू नहीं हुआ, तो उनके वॉलेट की रकम वापस कर दी जाएगी।
लेकिन कंपनी के लिए काम करने वाले ड्राइवरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ड्राइवरों ने मांग की है कि उनकी कमाई और वादे के मुताबिक साप्ताहिक इंसेंटिव के 8 हजार रुपये तुरंत वापस किए जाएं। हालांकि कंपनी ने अभी तक इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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