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    मध्य भारत के जंगलों में बढ़ रहा काले तेंदुए का कुनबा, कैमरा टैप में मिलीं तस्‍वीरें

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Fri, 22 May 2020 12:37 AM (IST)

    छत्तीसगढ़ और ओडिशा समेत मध्य भारत के जंगलों में ब्लैक पैंथर (काला तेंदुआ) की संख्‍या बढ़ी है।

    मध्य भारत के जंगलों में बढ़ रहा काले तेंदुए का कुनबा, कैमरा टैप में मिलीं तस्‍वीरें

    बिलासपुर, राज्‍य ब्‍यूरो। काला तेंदुआ की संख्‍या बढ़ने लगी है।  छत्तीसगढ़ समेत मध्य भारत के जंगलों में ब्लैक पैंथर (काला तेंदुआ) कुनबा बढ़ा रहा है। इसके संकेत पिछले कुछ दिनों में विभिन्न अभयारण्य में कैमरा ट्रैप में मिली तस्वीरों से मिले हैं। बिलासपुर के अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक दिन पहले कैमरा ट्रैप में काला तेंदुआ दिखने की पुष्टि हुई। इससे पहले राज्य के उदंती अभयारण्य में भी काला तेंदुआ देखा गया। पड़ोसी राज्य ओडिशा के सुंदरगढ़ स्थित हिमगिर फारेस्ट में भी कैमरा ट्रैप में कैद हुआ है।  वन्य प्राणी विशेषज्ञ बताते हैं कि यह भारत में पाया जाने वाला तेंदुआ ही है। तेंदुआ या गुलदार से पृथक प्रजाति नहीं है। इसका रंग काला होने से इसे ब्लैक पैंथर के नाम से पुकारा जाने लगा। 

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    अचानकमार टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैप होने से वन महकमा उत्साहित

    स्थानीय लोग इसको बघीरा के नाम से जानते हैं। रंग काला होने के पीछे वजह यह है कि इसकी त्वचा में मैलोनिन नामक वर्णक (पिगमेंट) ज्यादा पाए जाते हैं। आमतौर पर यह देखा और अध्ययन में सामने आया है कि ब्लैक पैंथर से दूसरे रंग के तेंदुए भी भय खाते हैं। ऐसे में इनका कुनबा बढ़ना आसान नहीं होता। मादा ब्लैक पैंथर ही इनके साथ सहज होती है। अचानकमार टाइगर रिजर्व में ब्लैक पैंथर तीसरी बार कैमरा ट्रैप किया गया। सबसे पहले 2011-12 में इसे देखा गया था। 2018 में गणना के दौरान तस्वीर कैमरे में आई। तेंदुए की औसत उम्र 12 से 17 वर्ष मानी जाती है। पहली बार कैमरा ट्रैप होने वाला ब्लैक पैंथर व्यस्क था। इस बार भी व्यस्क पैंथर दिखा है। इससे कहा जा सकता है कि कुनबा बढ़ रहा है। 

    काला रंग भी आनुवंशिक : डॉ. चंदन 

    पशु चिकित्सक व वन विभाग में 10 साल सेवा दे चुके डॉ. पीके चंदन ने बताया कि त्वचा में मैलोनिन ज्यादा होने के कारण ऐसा होता है। इसके अलावा जीन में आए बदलाव के कारण इनका रंग काला हो जाता है। यह आनुवांशिक होता है। इनके शावक पीले या काले रंग के भी हो सकते हैं, लेकिन रंग में बदलाव का असर उनकी जीवनशैली पर नहीं पड़ता है।

    एल्बिनों से रंग होता है हल्का 

    डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सीनियर प्रोजेक्ट ऑफिसर उपेंद्र कुमार दुबे का कहना है कि मेलेनस्टिक बढ़ने के कारण किसी भी वन्य प्राणी का रंग पूरे शरीर में ज्यादा उभरता है। इसी तरह एल्बिनों के कारण शरीर का रंग हल्का होता है। सफेद बाघ, भालू, कौआ इसके उदाहरण हैं। 

    चार से पांच तस्वीरें कैद हुई

    अचानकमार टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजीता गुप्‍ता का कहना है कि तेंदुए में मैलेनिन ज्यादा होने से यह काले रंग का दिखता है। इसकी चार से पांच तस्वीरें कैद हुई हैं। सही आंकड़ा कितना है यह बता पाना संभव नहीं है। तस्वीरें देखी जा रही हैं।