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संसदीय बोर्ड से शाह का संकेत, भाजपा में खत्म होगी प्रभाव की राजनीति

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नए संसदीय बोर्ड के गठन के साथ वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के जरिये पार्टी के हर उस नेता को संकेत दे दिया गया है जो महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं। उन्हें बता दिया गया है कि सम्मान मिलेगा लेकिन दबाव और प्रभाव की राजनीति नहीं चलेगी।

By Edited By: Published: Wed, 27 Aug 2014 08:20 AM (IST)Updated: Wed, 27 Aug 2014 09:56 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नए संसदीय बोर्ड के गठन के साथ वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के जरिये पार्टी के हर उस नेता को संकेत दे दिया गया है जो महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं। उन्हें बता दिया गया है कि सम्मान मिलेगा लेकिन दबाव और प्रभाव की राजनीति नहीं चलेगी।

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86 वर्ष के आडवाणी और 80 पार कर चुके जोशी के लिए संसदीय बोर्ड से बाहर होने का फैसला चौंकाने वाला नहीं होना चाहिए। स्वयंसेवक संघ वर्षो से पीढ़ी परिवर्तन की बात करता रहा है। संघ का सुझाव था कि 75 के बाद सक्रिय राजनीति से दूर रहना चाहिए। लेकिन, दबाव में भाजपा इस फार्मूले को लागू करने में असफल रही थी। लोकसभा चुनाव से पहले भी आडवाणी और जोशी को राज्यसभा भेजे जाने का प्रस्ताव था। ज्यादातर वरिष्ठ नेताओं और संघ ने हामी भी भर दी थी। लेकिन, दोनों ने इस सामूहिक सुझाव को नकार दिया था। यही नहीं, अपनी पसंदीदा सीटों को लेकर भी उनका परोक्ष दबाव हर किसी को दिखा था। इलाहाबाद से बनारस गए जोशी फिर उसी सीट को लेकर अड़े थे। बाद में हालांकि उन्होंने कानपुर जाने के लिए हामी भर दी थी।

सूत्रों के अनुसार डॉ जोशी के लिए एक प्रस्ताव राज्यपाल पद का भी था, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं थे। दूसरी ओर, आडवाणी के मन में कहीं न कहीं संसदीय दल का अध्यक्ष बनने की चाह थी। राष्ट्रपति चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन उसे लेकर भी नेताओं के मन में चाह हो तो आश्चर्य नहीं। दोनों नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में स्थान देकर सम्मान के साथ यह जता दिया गया है कि उनके अनुभवों की दरकार है लेकिन फैसला लेने का अधिकार उन्हें होना चाहिए जिन पर जवाबदेही भी हो।

मार्गदर्शक मंडल के जरिये आडवाणी-जोशी को पार्टी के अंदर ही एक मंच दे दिया गया है और उनसे अपेक्षा की जाएगी कि वह अपने विचार उसी मंच पर रखें। कुछ दिन पहले तक राज्यपाल पद से इन्कार कर रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी राज्यपाल बनने के लिए राजी हो गए। कई अन्य नेता हैं जो महत्वाकांक्षा पाले बैठे हैं। संसदीय बोर्ड के जरिये शाह ने हर किसी को संकेत दे दिया है।

शाह को शाहनवाज पर भरोसा

भाजपा के चुनावी उम्मीदवारों का नाम तय करने की प्रक्रिया में बिहार से शाहनवाज हुसैन अकेले नेता शामिल होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाने के साथ-साथ चुनाव समिति का भी सदस्य बनाया है। वह लगातार पांचवीं बार इस समिति के सदस्य बनाए गए हैं। टीम के गठन में अनुभव, क्षमता और युवा होने पर जोर दिया गया है। इस क्त्रम में शाहनवाज पर शाह का विश्वास भी कायम है। यही कारण है कि प्रवक्ता के बाद चुनाव समिति में भी जगह दी है।

ध्यान रहे कि शाहनवाज ने लोकसभा चुनाव से पहले रामविलास पासवान की लोकजन शक्ति पार्टी को राजग के साथ लाने में अहम भूमिका निभाई थी।

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