Exclusive Interview: 'विश्वसनीयता कहां से लाएंगे राहुल गांधी', धर्मेंद्र प्रधान का कांग्रेस पर निशाना
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जाति जनगणना और राहुल गांधी के आरोपों पर कांग्रेस को घेरा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार दबाव में फैसले नहीं लेती। कांग्रेस हमेशा से पिछड़ों का विरोध करती रही है जबकि भाजपा ने हमेशा हर वर्ग के विकास के लिए काम किया है। राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस केवल राजनीतिक हताशा में समाज को बांटना चाहती है।

आशुतोष झा, नई दिल्ली। पहलगाम घटना के प्रतिउत्तर में ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो राजनीति थोड़ी थमी थी वह फिर से जोर पकडने लगी है। बहुत दूर नहीं जब फिर से जाति जनगणना के श्रेय को लेकर होड़ शुरू होगी। वैसे भी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद यही एक मुद्दा हो सकता है जहां विपक्ष और दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है।
वहीं भाजपा जहां विपक्ष का जवाब देने की पूरी तैयारी किए बैठी है, वहीं इसकी तैयारी भी हो रही है कि जाति गणना से सामाजिक सद्भाव को चोट न पहुंचे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेँद्र प्रधान ने दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा से बात की। पेश है एक अंश:
प्रश्न- जाति जनगणना को लेकर कुछ समय से विपक्ष बहुत मुखर था लेकिन भाजपा चुप थी। अब एकबारगी जाति जनगणना का फैसला ले लिया। माना जाए कि यह दबाव में लिया गया फैसला था?
दबाव में मोदी सरकार कोई फैसला नहीं लेती है। मांग करना अलग बात है और सरकार में रहते हुए उसे न करना सिर्फ राजनीतिक अवसरवादिता है। जिस विपक्ष की बात आप कर रहे हैं उसका इतिहास देख लीजिए। कांग्रेस की ओर से तो हमेशा इसका विरोध ही किया गया। दूसरी तरफ भाजपा का इतिहास देख लीजिए तो स्पष्ट महसूस करेंगे हम क्रमिक रूप से देश के हर वर्ग और खासतौर पर आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्ग के विकास के लिए कदम बढ़ाते रहे हैं।
आप कह रहे हैं कि एकबारगी फैसला ले लिया लेकिन जाति गणना का फैसला एक स्वाभाविक प्रक्रिया से होकर गुजरा है। उपयुक्त समय में हुआ है। हमारा इतिहास देखिए.. 1977 में जब जनता सरकार बनी थी जिसमें जनसंघ शामिल था तो पिछड़ों के विकास को लेकर सकारात्मक थे। 1990 के दशक में जब वीपी सिंह सरकार में मंडल कमीशन लाया गया।
वह सरकार भी भाजपा के सहयोग से बनी थी। पिछले 11 साल की बात कीजिए तो ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देना, मेडिकल में पहली बार ओबीसी बच्चों को 27 फीसदी आरक्षण देना, गैस एजेंसी के आवंटन में भी 27 फीसद आरक्षण दिया। आरक्षित सीटों पर पहले उपयुक्त उम्मीदवार न मिलने से सीटें अनारक्षित हो जाती थी, लेकिन मोदी सरकार ने 2019 में यह तय कर दिया कि जो सीटें आरक्षित हैं वह उनके लिए ही बनी रहेंगी।
यह हमारा इतिहास है। जबकि कांग्रेस ने तो हर कदम पिछड़ों का विरोध ही किया। नेहरू जी ने आरक्षण का विरोध किया था और राज्यों को चिट्ठी लिखी थी, इंदिरा जी ने काका कालेलकर कमिटि की रिपोर्ट को रोके रखा था। राजीव गांधी ने मंडल कमीशन का विरोध किया। सोनिया जी ने सीताराम केसरी जी को धक्का मारकर पार्टी से निकाल दिया था। आज नारा दे रहे है क्योंकि हताश हैं।
प्रश्न- लेकिन 2024 के बाद जिस तरह फ्रीबीज पर भी भाजपा नरम हो गई। फिर एक तरह से ओपीएस लागू कर दिया और उसके बाद जाति जनगणना उससे तो यही संदेश जाता है कि भाजपा सरकार का मन बदला है?
मैं फिर से कहूंगा कि हमारा मन, हमारा संकल्प कभी बदला नहीं। इसीलिए मैंने पृष्ठभूमि बताई। मोदी सरकार विकसित भारत के लिए काम कर रही है जिसमें सभी का साथ, सबका विकास और सबका प्रयास शामिल है। सही समय पर सही फैसला होता है। पिछड़ों को लेकर क्या कोई परिवारवादी पार्टी हमारा आकलन करेगी जिसका पूरा फोकस सिर्फ परिवार पर होता है। या फिर कांग्रेस जिसका सामाजिक विकास को लेकर इतिहास कलंकित रहा है।
मोदी केंद्रीय मंत्रिमंडल देख लीजिए, सांसदों की हिस्सेदारी देख लीजिए, प्रदेशों में भाजपा के नेतृत्व को देख लीजिए। और हमारे तो प्रधानमंत्री भी पिछड़े वर्ग से आते हैं। हम पर किस बात का दबाव।
प्रश्न- राहुल गांधी ने भी कहा है कि पहले कांग्रेस ने कुछ गलतियां की, लेकिन अब वह आ गए हैं। सुधार रहे हैं।
वह विश्वसनीयता कहां से लाएंगे। वह केवल राजनीतिक हताशा में यह बात कह रहे हैं। वह समाज को बांटना चाहते हैं जबकि हम समाज में विद्वेष नही फैलाना चाहते हैं। वह एक वर्ग के खिलाफ दूसरे को भड़काना चाहते हैं। हम किसी के मन में भय नहीं पैदा होने देना चाहते हैं। हमने जितनी लोक कल्याणकारी योजनाएं चलाईं, उसमें उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में सबसे ज्यादा लाभ अल्पसंख्यक समुदाय को मिला।
उज्ज्वला योजना में दलित और अल्पसंख्यक सबसे बड़े लाभार्थी रहे। हमने चार करोड़ प्रधानमंत्री आवास बांटा को उसका लाभ किसे मिला। उन्होंने तो चुनाव में खटाखट-खटाखट रुपये बांटने की बात कही थी लेकिन जहां सरकार में आए वहां क्या किया। वह चाहे जितनी बार भी बोलें कि गलती हो गई अब सुधारेंगे, लेकिन जनता विश्वास नहीं करती है। विश्वसनीयता आपकी पृष्ठभूमि से बनती है, विश्वसनीयता इससे मिलती है कि जब जिम्मेदारी आई तो करके दिखाया।
उन्होंने एक विशेष उद्देश्य से कर्नाटक में जाति गणना का सर्वे कराया था लेकिन वर्षों हो गए लागू क्यों नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे दलों की माफी भी स्वीकार नहीं होती है। जनमत की बात सुनकर समझकर कोई परिवर्तन होता है तो अच्छी बात है लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस छल करने वाले हैं।
प्रश्न- प्रधानमंत्री ने कही थी कि देश में सिर्फ चार जाति है- गरीब, किसान, महिला और युवा। फिर सिर्फ गरीब की बात क्यों नहीं, जाति की बात क्यों?
यह क्यों भूल रहे हैं कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्राविधान मोदी सरकार के काल में ही आया। उसका भी कुछ दल विरोध कर रहे थे। अड़चन लगा रहे थे। हमारे देश में महिलाओं के अलग थलग नहीं किया जाता था। उनके सशक्तिकरण के लिए प्रधानमंत्री ने लगातार कई योजनाएं चलाई। घरेलू प्रदूषण के कारण पांच लाख महिलाओं की जान चली जाती थी। उज्ज्वला ने उसे बदल दिया।
हर समाज में परिवर्तन का सिपाही तो युवा ही रहा है। उसके लिए काम किया। सदियों से जाति के हिसाब से समाज बना हुआ था। समाज लिविंग एंटिटि है। पहले सेंसस के समय कुछ लोग खुद को अपर कास्ट से जोड़ते थे। बाद में आज स्थिति बदली हुई है। सेंसस समाज की स्थिति को परखने की संवैधानिक प्रक्रिया है।
प्रश्न- लेकिन आप कैसे आश्वस्त है कि यह मंडल पार्ट 2 नहीं होगा। सामाजिक विद्वेष नहीं बढ़ेगा ?
समाज बदल चुका है। वहीं सरकार के मन में कोई राजनीतिक मंशा नही है। आखिर इसी सरकार ने तो अनारक्षित वर्ग के दस फीसदी गरीब बच्चों के लिए आरक्षण किया। लोग यह देख रहे हैं।
प्रश्न- क्या माना जाए कि जाति गणना का अंतिम पड़ाव यह होगा कि 50 फीसद आरक्षण की सीमा टूटेगी?
आज देश का मिजाज अलग है। हम विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। सभी वर्ग का सशक्तिकरण हो रहा है। दस साल में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से उपर उठे। नए नए अवसर खुल रहे हैं। बच्चे प्रशिक्षित रहे हैं। उनके लिए दुनिया का दरवाजा खुला हुआ है। वैसे भी अभी तो गणना का फैसला हुआ है। कई बातों पर स्पष्टता आएगी। इसे बड़े दायरे में देखने की जरूरत है।
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