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    स्टालिन की परेशानी बढ़ा सकती है BJP-AIADMK की दोस्ती, विधानसभा चुनाव का रोडमैप तैयार

    भाजपा ने तमिलनाडु में 2026 विधानसभा चुनाव के लिए एआईएडीएमके और छोटे दलों के साथ गठबंधन की रणनीति शुरू की है। डीएमके के वोट में 6% से अधिक की कमी और भाजपा के वोट में तीन गुना वृद्धि से एनडीए को उम्मीद है। अन्नामलाई की जगह नयनार नागेंद्रन को कमान सौंपी गई। 2023 में अलग हुए दोनों दल अब लोकसभा हार के सबक से एकजुट हो रहे हैं।

    By Arvind Sharma Edited By: Chandan Kumar Updated: Sat, 12 Apr 2025 09:05 PM (IST)
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    भाजपा और एआईएडीएमके का गठबंधन तमिलनाडु की सियासत में नया मोड़ ला सकता है।

    अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश की तरह भाजपा ने तमिलनाडु में भी सत्ता का साझीदार बनने की गंभीर कसरत शुरू कर दी है। डेढ़ वर्ष पहले एनडीए का साथ छोड़कर लोकसभा का चुनाव लड़ने वाली अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIDMK) और अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़ने का रोडमैप तैयार करने की पहल इसकी शुरूआत है।

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    2021 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक तीन वर्षों के दौरान सत्तारूढ़ डीएमके के वोट में छह प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है और अन्नाद्रमुक को साथ लेकर भाजपा को इसमें उम्मीद दिखती है। वजह यह भी कि इस दौरान भाजपा के वोट में करीब तीन गुना वृद्धि हुई।

    राजग को तमिलनाडु में भी फायदा मिल सकता है

    पिछले विधानसभा चुनाव में एआइएडीएमके के नेतृत्व में राजग गठबंधन को 39.71 प्रतिशत एवं डीएमके के नेतृत्व में सत्तारूढ़ एसपीए को 45.38 प्रतिशत वोट मिले थे। दोनों गठबंधनों के बीच का अंतर सिर्फ 5.67 प्रतिशत वोटों का था। इस बार गठबंधन में सहजता बनी रही तो आंध्र प्रदेश की तरह राजग को तमिलनाडु में भी फायदा मिल सकता है। वैसे डीएमके नेताओं के सनातन विरोधी बयानों को भी भाजपा तमिलनाडु के एक वोट बैंक को साधने का दांव चल स्टालिन की मुश्किल बढ़ा सकती है। एआइएडीएमके के साथ एक-दो अपवाद को छोड़ दें तो भाजपा का तमिलनाडु में उसके साथ पुराना राजनीतिक सहयोग का रिश्ता है।

    2023 में भाजपा और एआईडीएमके का रास्ते हुए अलग

    एआइएडीएमके प्रमुख दिवंगत जयललिता ने वर्ष 1998 से ही राजग का साथ दिया। वर्ष 2021 का विधानसभा चुनाव भी भाजपा ने एआइएडीएमके के साथ गठबंधन में ही लड़ा था, लेकिन सत्ता के करीब तक नहीं पहुंच पाया था। इस बीच भाजपा ने जब तेजतर्रार अन्नामलाई के हाथ में कमान सौंपी तो दोनों दलों के बीच दूरियां इतनी बढ़ी कि सितंबर 2023 में दोनों दलों का रास्ता अलग-अलग हो गया। इसका नुकसान दोनों को हुआ और लोकसभा में सुपड़ा साफ हो गया। लोकसभा का सबक दोनों दलों को अब विधानसभा चुनाव में काम आ रहा है।

    जयललिता सरकार में रह चुके हैं नए तामिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष

    भाजपा ने अन्नामलाई के बदले जयललिता के विश्वासपात्र रहे नयनार नागेंद्रन को प्रदेश संगठन की कमान देने का इरादा जाहिर कर गठबंधन का रास्ता प्रशस्त कर दिया। भाजपा में आने से पहले जयललिता सरकार में नागेंद्रन कई मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं। स्टालिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती डीएमके का घटता वोट प्रतिशत है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 33.52 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2024 में 6.59 प्रतिशत घटकर 26.93 प्रतिशत पर आ गया।

    हालांकि तब भी डीएमके को 22 सीटों और कांग्रेस को नौ सीटों पर जीत मिली। दूसरी तरफ अलग-अलग चुनाव लड़ रहे भाजपा और एडीएमएके को एक भी सीट नसीब नहीं हुई। मगर इस बार भाजपा की रणनीति अतिरिक्त वोटों का जुगाड़ करने की है। इसके लिए अमित शाह ने एआइएडीएमके के अतिरिक्त अन्य छोटे दलों के साथ भी दोस्ती का संकेत दिया है।

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