नेशनल हेराल्ड को लेकर सरदार पटेल क्यों थे चिंतित? भाजपा ने किया बड़ा दावा; कांग्रेस की नीयत पर उठाए सवाल
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जिस कंपनी के पास हजारों करोड़ की संपत्ति थी वह 90 करोड़ की देनदारी में बिक गई। यह भी विचित्र है कि खरीदने वाले और बेचने वाले भी एक ही थे। कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकारी समर्थन और निजी समर्थन तो छोड़िए यदि दस प्रतिशत कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी अखबार खरीदा होता तो बंद होने की नौबत नहीं आती।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मामले में चल रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बता रही कांग्रेस पर पलटवार में भाजपा ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
वरिष्ठ नेता व पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कानूनी बिंदुओं को अपने पलटवार में शामिल करने के साथ ही सरदार वल्लभ भाई पटेल व पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के लिखित संदर्भों के सहारे दावा किया है कि नेशनल हेराल्ड को लेकर गांधी-नेहरू परिवार की नीयत पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी संदेह था।
धर्मेंद्र प्रधान ने साधा निशाना
वहीं, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राजनीति पर तंज कसा- जिन्होंने देश का लूटा है, उन्हें लौटाना ही पड़ेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद रविशंकर प्रसाद ने सवाल उठाया कि नेशनल हेराल्ड मामले में कानून अपना काम कर रहा है तो कांग्रेस धरना-प्रदर्शन क्यों कर रही है? जबकि पिछले चार वर्षों से राहुल गांधी और सोनिया गांधी इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं।
मामले के तकनीकी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए सांसद प्रसाद ने कहा कि वर्ष 2008 में नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन बंद हो गया, क्योंकि उसके प्रबंधक अखबार को चला नहीं पाए। इसके बाद कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड को ऋण के रूप में 90 करोड़ रुपये दिए। यह रकम असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड को दी गई थी, जो इसका प्रकाशन करता था।
कहा कि जब लोन वापस नहीं किया जा सका तो एक कॉर्पोरेट साजिश रची गई, ताकि एजेएल की पूरी संपत्ति उनके नियंत्रण में आ जाए। इसके लिए यंग इंडिया नाम की एक कंपनी बनाई गई। जिसमें सोनिया गांधी के पास 38 प्रतिशत और राहुल गांधी के पास 38 प्रतिशत शेयर थे। 50 लाख रुपये में 90 करोड़ रुपये का ऋण माफ कर हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति पर मालिकाना हक प्राप्त कर लिया गया।
सरदार पटेल की नाराजगी का हवाला
- रविशंकर प्रसाद ने सरदार पटेल द्वारा पंडित जवाहर लाल नेहरू को लिखे गए पत्र के हवाले से आरोप लगाया कि पटेल ने कहा था कि जिन लोगों से चंदा लिए जा रहे हैं, वह तरीका ठीक नहीं है और चिंता का विषय है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चंद्रभानु गुप्ता ने इस अखबार के लिए बहुत सारे पैसे जुटाए थे। उन्होंने कहा था कि यह अखबार देश की आवाज बनने के लिए था, लेकिन इसे नेहरू और उनके परिवार की आवाज बना दिया गया।
- सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि दरअसल, कांग्रेस और उसके नेता नहीं चाहते थे कि अखबार चले। इस नीयत पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सरदार वल्लभ भाई पटेल, चंद्र भानु गुप्ता, पुरुषोत्तम दास टंडन आदि को बहुत पहले से संदेह था। वहीं, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर पोस्ट में लिखा- कांग्रेस के एक विशेष परिवार को भारतीय न्याय व्यवस्था पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है, इसलिए जब भी बात इस परिवार के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की आती है या यूं कहें कि नेशनल हेराल्ड का नाम सुनते ही शहजादे और शाही परिवार को सांप सूंघ जाता है। समय का चक्र देखिए, दूसरों को आरोपी बनाने का षड्यंत्र रचने वाले आज खुद बेल पर हैं।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने तंज कसा कि कांग्रेस करप्शन की करतूत को भी कुर्बानी का ताबूत बनाकर घूमती है। पश्चिम बंगाल हिंसा पर कहा कि पाकिस्तान से लेकर परिवारिस्तान (कांग्रेस, सपा, टीएमसी, आरजेडी, डीएमके आदि) के संवैधानिक सुधार पर सांप्रदायिक वार की जुगलबंदी इस बात का प्रमाण है कि सांप्रदायिक साजिश से संवैधानिक सुधार को बंधक बनाने वाला ब्रिगेड बौखला गया है।
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