दिल्ली चुनाव: चुनावी दंगल में सियासी मर्यादा का चीरहरण
दिल्ली विधानसभा के इस चुनाव में सियासी मर्यादा की लक्ष्मण रेखा भी कसौटी पर है। यह चुनाव घोर आपत्तिजनक, अमर्यादित और गाली-गलौच के स्तर तक उतर आई टिप्पणियों के लिए भी याद रखा जाएगा। सत्ता की जंग में कूदे नेताओं की जुबान जानबूझकर फिसल रही है और दिल्ली में सरकार
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के इस चुनाव में सियासी मर्यादा की लक्ष्मण रेखा भी कसौटी पर है। यह चुनाव घोर आपत्तिजनक, अमर्यादित और गाली-गलौच के स्तर तक उतर आई टिप्पणियों के लिए भी याद रखा जाएगा। सत्ता की जंग में कूदे नेताओं की जुबान जानबूझकर फिसल रही है और दिल्ली में सरकार चलाने का ख्वाब देख रही पार्टियों के नेता ऐसी भाषा बोल रहे हैं जिसे सुनकर अनपढ़-गंवार भी शरमा जाए।
चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में जब भाजपा सांसद साध्वी निरंजना ज्योति दिल्ली की सड़कों पर उतरीं तो उन्होंने 'रामजादों की सरकार और.. की सरकार' वाली ऐसी टिप्पणी की जिसकी धमक संसद भवन तक सुनाई पड़ी। भाजपा के ही सांसद साक्षी महाराज के बयानों को लेकर भी खूब हंगामा हुआ। भाजपा के कई अन्य नेताओं के बयान भी कतई अमर्यादित थे। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस मामले में केवल भाजपा के ही नेता शामिल हों, आम आदमी पार्टी की ओर से भी अभद्र टिप्पणियां कम नहीं की गईं।
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जब भाजपा ने किरण बेदी को अपना मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी चुना तो दिल्ली के ऑटो रिक्शाओं पर आनन-फानन में कुछ विज्ञापन लगाए गए जिसमें आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को इमानदार और बेदी को अवसरवादी करार दिया गया था। इस मुद्दे पर हंगामा मचना तय था और मचा भी। इससे पहले आप ने शहर के ऑटो रिक्शाओं पर केजरीवाल की मुस्कराती तस्वीर की तुलना में प्रो. जगदीश मुखी की अजीब सी तस्वीर लगाई, ताकि यह साबित किया जा सके कि केजरीवाल के सामने प्रो. मुखी बिल्कुल ढीलेढाले नेता हैं। इस मुद्दे पर प्रो. मुखी ने बाकायदा अपना विरोध भी दर्ज कराया।
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हाल ही में आम आदमी पार्टी के एक अन्य चर्चित नेता कुमार विश्वास ने किरण बेदी को लेकर बेहद अभद्र टिप्पणी की है। उनकी टिप्पणी को लेकर जहां भाजपा ने भारी आपत्ति दर्ज कराई, वहीं आम आदमी पार्टी के नेता भी बगले झांकते दिखे। इस मामले में मुकदमा तक दर्ज कराने की नौबत आ पहुंची थी।
दिल्ली की सियासत के जानकारों का कहना है कि सूबे में कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी जंग पुरानी है। दोनों दलों ने दिल्ली मेट्रोपोलिटन काउंसिल, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विधानसभा और लोकसभा के कई चुनाव आमने-सामने लड़े और दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों के दौर भी चलते रहे, लेकिन मर्यादा की लक्ष्मण रेखा नहीं लांघने का ख्याल सबके जेहन में रहा। यह पहला ऐसा चुनाव है जिसमें नेता गाली-गलौच की भाषा बोल रहे हैं और जाहिर तौर शहर में एक नई किस्म की सियासत हो रही है जो सरासर गलत है।
भाजपा और आप नेताओं की तरफ से एक दूसरे पर की जा रही अभद्र टिप्पणीं।