'27 मई को की जाए सुनवाई...', विज्ञापन मामले पर बीजेपी पहुंची सुप्रीम कोर्ट; OBC आरक्षण पर ममता ने कही ये बात
बीजेपी ने विज्ञापन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी के विज्ञापन पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। जिसके बाद बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ओबीसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। 2010 के बाद के ओबीसी सर्टिफिकेट कानून के आधार पर नहीं हैं।
पीटीआई, कलकत्ता। लोकसभा चुनाव के बीच पश्चिम बंगाल बीजेपी ने विज्ञापन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी के विज्ञापन पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। जिसके बाद बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी है। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ओबीसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।
बता दें कि,इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें 2010 से राज्य में जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए गए थे। हाई कोर्ट का कहना है 2010 के बाद के ओबीसी सर्टिफिकेट कानून के आधार पर नहीं हैं।
ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार गर्मी की छुट्टियों के बाद आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। वहीं बीजेपी के विज्ञापन मामले में न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ के समक्ष मामले को तुरंत सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया था। मामले का उल्लेख करने वाले अधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने पीठ को बताया कि हाईकोर्ट की एक बेंच ने 22 मई को आदेश पारित किया था।
4 जून तक विज्ञापन पर लगी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को एक आदेश जारी किया,जिसमें बीजेपी को विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए रोक लगा दी गई है। कोर्ट ने कहा, ऐसे विज्ञापन जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं, उन्हें 4 जून तक प्रकाशित न किया जाए।
जज ने बिना सुनवाई किया आदेश पारित
इस आदेश के बाद बीजेपी ने कोर्ट में बेंच के समक्ष अपील दायर की थी और दावा किया था कि सिंगल जज ने बिना कोई सुनवाई किए आदेश पारित कर दिया। बीजेपी के वकील ने इस मामले पर बेंच से 27 मई को सुनवाई के लिए अपील की है, जिसके बाद बेंच ने जवाब में कहा, हम देखते हैं।
बता दें कि, 22 मई को, कलकत्ता हाई कोर्ट की बेंच ने मामले में सिंगल जज के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। बेंच ने कहा था, लक्ष्मण रेखा का पालन किया जाना चाहिए,किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई व्यक्तिगत हमला नहीं होना चाहिए।