'चीन नहीं, तिब्बत बॉर्डर कहें'; CM प्रेमा खांडू के बाद भाजपा सांसद ने दिया ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब
भाजपा सांसद सुजीत कुमार ने कहा कि भारत की सीमा चीन से नहीं तिब्बत से लगती है। उन्होंने तिब्बत में चीन द्वारा संचालित बोर्डिंग स्कूलों में बच्चों की दुर्दशा पर चिंता जताई। कुमार ने भारतीय संसद में तिब्बत पर अधिक बहस की वकालत की। इससे पहले अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने भी ऐसा ही बयान दिया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू के बाद भाजपा के राज्य सभा सांसद सुजीत कुमार ने कहा है कि भारत चीन के साथ कोई सीमा साझा नहीं करता बल्कि तिब्बत से करता है।
यहां तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट (टीएआइ) की तरफ से तिब्बत में चीन सरकार की तरफ से संचालित बोर्डिंग स्कूल में बच्चों की दुर्दशा पर जारी एक रिपोर्ट जारी करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भारतीय सांसद ने कहा कि, “भारत सरकार को भारत-तिब्बत सीमा को भारत चीन सीमा कहना बंद करना चाहिए। हमारी चीन के साथ कोई सीमा नहीं है। उन्होंने तिब्बत पर कब्जा जमा रखा है।
कुमार ने आगे कहा कि भारतीय संसद में तिब्बत पर और ज्यादा बहस होनी चाहिए। वहां चीन उसी तरह का सांस्कृतिक नरसंहार कर रहा है जैसा जर्मनी में नाजियों ने किया था।''
भारत की सीमा तिब्बत के साथ है: सीएम खांडू
दो दिन पहले अरूणाचल प्रदेश में भाजपा सरकार के सीएम खांडू ने कहा था कि,“आधिकारिक तौर पर हम भले ही चीन के साथ सीमा साझा करते हैं लेकिन वास्तविकता में भारत की सीमा तिब्बत के साथ है। चीन ने वर्ष 1950 में तिब्बत पर अनाधिकृत तौर पर कब्जा कर रखा है। अगर हम गौर से भारत के मानचित्र को देखेंगे तो पाएंगे कि किसी भी भारतीय राज्य की सीमा चीन से नहीं है। यह तिब्बत के साथ जुड़ी हुई है।''
दलाई लामा के अगले उत्तराधिकारी को लेकर भारत और चीन में तनाव
भाजपा के दो नेताओं की तरफ से ये बयान तब आये हैं जब तिब्बत के निर्वासित बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा के अगले उत्तराधिकारी को लेकर भारत और चीन के बीत तनाव का माहौल है। दलाई लामा ने कहा है कि उनके उत्तराधिकारी के चयन में चीन की कोई भूमिका नहीं होगी। चीन दलाई लामा के चयन की मौजूदा प्रक्रिया और इसमें मौजूदा दलाई लामा की भूमिका पर सवाल उठा रहा है। दलाई लामा की अभी हाल ही में 90वीं वर्षगांठ मनाई गई, इसको लेकर भी चीन ने कुछ टिप्पणी आई है।
इस बीच शुक्रवार को तिब्बत एक्शन इंस्ट्टीयूट की तरफ से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि तिब्बत में चीन की तरफ से कई बोर्डिंग स्कूल चलाये जा रहे हैं जहां दस लाख से ज्यादा बच्चों को जबरन भर्ती करके रखा गया है। यहां बच्चों को औपनिवेशिक व्यवस्था के तहत रखा जा रहा है जिसका मकसद तिब्बत की पहचान को खत्म करना है।
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