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    चिड़ियों की चहचहाहट, कुत्ते का भौंकना, यह सिर्फ एक आवाज है या कोई भाषा? पढ़ें- अध्ययन

    By Nitin AroraEdited By:
    Updated: Tue, 10 Sep 2019 06:22 PM (IST)

    शोधकर्ताओं ने चिड़ियों की चहचहाहट में छिपी बातें पता लगाईं बताया कि चहचहाहट में मनुष्यों की भाषा की तरह अक्षर मौजूद होते हैं। इन्हें मिलाकर शब्द और वाक्य बनते हैं।

    चिड़ियों की चहचहाहट, कुत्ते का भौंकना, यह सिर्फ एक आवाज है या कोई भाषा? पढ़ें- अध्ययन

    लंदन, प्रेट्र। लंबे समय से इस बात पर विचार होता रहा है कि चिड़ियों की चहचहाहट, कुत्ते का भौंकना, घोड़े का हिनहिनाना यह सिर्फ एक आवाज है या कोई भाषा। अब वैज्ञानिकों ने चिडि़यों की चहचहाहट में भाषा खोज निकाली है। उनका कहना है कि चहचहाहट में हमारी भाषा की तरह ही वाक्य, शब्द और अक्षर मौजूद रहते हैं। चिड़याएं मनुष्यों की तरह ही बातें करती हैं और संदेश भी देती हैं।

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    'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' जर्नल में प्रकाशित शोध में इस बात की संभावना जताई गई है कि चिड़ियों की आवाज भी मनुष्यों की भाषा की तरह छोटे-छोटे अक्षरों से मिलकर बनी है, जो संगठित होने पर किसी शब्द या वाक्य की तरह पेश आते हैं।

    इस तरह से लगाया पता
    स्विट्जरलैंड में ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सबरीना एंगेजर के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने ऑस्ट्रेलियाई पक्षी 'चेस्टनट-क्राउंड-बब्लर' की आवाज का विश्लेषण किया और पाया कि मानव भाषा की तरह ही उसके सुरों को तोड़ा जा सकता है। शोधकर्ताओं ने इस पक्षी के सुरों में अक्षरों को पहचाना और उन्हें 'ए' और 'बी' नाम दिया।

    उन्होंने बताया कि विश्लेषण करने पर पता चला कि ये पक्षी 'ए' और 'बी' को विशेष क्रम में संयोजित करके बात करते हैं। उन्होंने बताया कि जब ये पक्षी 'एबी' की आवाज निकालते हैं तो यह उड़ने वाले होते हैं और जब अपने चूजों को घोसले में खाना खिलाते हैं तो 'बीएबी' की ध्वनि निकालते हैं।

    खुल सकते हैं कई राज
    अध्ययन में एंगेजर और उनकी टीम ने इस खोज के लिए उस तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसके माध्यम से उन्होंने मानव शिशुओं की आवाज का मतलब निकालने के लिए किया था। इस अध्ययन के सह लेखक ब्रिटेन की वारविक यूनिवर्सिटी के साइमन टाउनसेंड ने बताया कि यह पहली बार है जब किसी पक्षी की आवाज में अक्षरों की पहचान कर उससे बने वाक्य और उनका मतलब पता लगाया गया है।

    शोधकर्ताओं ने बताया कि इस बात से यह संभावना पैदा होती है कि इसी तरह प्रत्येक जीव की आवाज को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर उनमें छिपे अक्षरों की पहचान की जा सकती है। इसके बाद उनसे बने शब्द और वाक्य को पहचान कर उनका मतलब पता लगया जा सकता है। साथ ही मानव के शुरूआती विकासक्रम में किस तरह से भाषाओं का जन्म हुआ इसका भी पता लगया जा सकता है।