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    कई बार इस्तेमाल हो चुके तेल से अब बनेगा बायो डीजल, मध्‍य प्रदेश के इंदौर में लगेगा 30 टन उत्पादन का संयंत्र

    मध्य प्रदेश के सबसे साफ सुथरे शहर इंदौर से एक और सराहनीय पहल सामने आई है। अब यहां नमकीन और अन्य खाद्य पदार्थों को तलने के बाद बचा हुआ तेल अब बायो डीजल बनाने में काम आएगा। इंदौर में पेट्रोलियम कंपनी इंडियन आयल कार्पोरेशन इसके लिए आगे आई है।

    By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 22 Nov 2020 06:02 AM (IST)
    खाद्य पदार्थों को तलने के बाद बचा हुआ तेल अब बायो डीजल बनाने में काम आएगा। फोटो- प्रतीकात्‍मक

    जितेंद्र यादव, इंदौर। मध्य प्रदेश में नमकीन और अन्य खाद्य पदार्थों को तलने के बाद बचा हुआ तेल अब बायो डीजल बनाने में काम आएगा। इंदौर में सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी इंडियन आयल कार्पोरेशन (आइओसी) इस काम के लिए आगे आई है। प्रतिदिन करीब 30 टन बायो डीजल की क्षमता वाला संयंत्र लगाने की तैयारी है। इसके लिए प्रतिदिन इस्तेमाल के बाद बचे हुए 40 टन खाद्य तेल की जरूरत होगी।

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    निजी कंपनी से होगा अनुबंध

    बायो डीजल बनाने के लिए आइओसी का एक निजी कंपनी से अनुबंध होगा। इसके तहत शहर के पास फरसपुर गांव में बायो डीजल संयंत्र और पास में ही तेल संग्रहण केंद्र बनाया जा रहा है। यहां इंदौर के 200 किमी के दायरे में आने वाले 16 जिलों से नमकीन उद्योग, रेस्त्रां और होटलों का अनुपयोगी खाद्य तेल जुटाया जाएगा। इनमें इंदौर, उज्जैन, देवास, रतलाम, धार, भोपाल, शाजापुर, मंदसौर, नीमच, खंडवा, खरगोन आदि शामिल हैं।

    आइओसी के साथ पहल

    भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने आइओसी के साथ यह पहल की है। बताया जाता है कि गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु आदि में 14 स्थानों पर इस तरह के बायो डीजल संयंत्र हैं। मध्य प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला संयंत्र होगा। गौरतलब है कि तेल में पाए जाने वाले ट्राय ग्लिसराइड से बायो डीजल बनाया जाता है।

    बायो डीजल नीति बनाई

    खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग के संयुक्त नियंत्रक अभिषेक दुबे ने बताया कि शासन की ओर से बायो डीजल नीति बनाई गई है। इसमें रियूज कुकिंग आइल (रको) से बायो डीजल बनाने को प्राथमिकता दी गई है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण इसमें समन्वयक की भूमिका में है।

    दो तीन कंपनियों ने दिया एलओआइ

    दिल्ली में आइओसी के रिन्यूएबल एनर्जी विभाग के उप महाप्रबंधक पीसी गुप्ता ने बताया कि इंदौर के लिए बायो डीजल बनाने वाली दो-तीन कंपनियों को एलओआइ (लेटर ऑफ इंटेंट- शुरुआती सहमति पत्र) दिया है। एक कंपनी आगे आई है। हम उनसे 10 साल के लिए बायो डीजल खरीदेंगे। इस कंपनी एडनॉक कैम प्रा.लि. के डायरेक्टर मनीष दिल्लीवाल ने बताया कि आइओसी से हमारा एलओआइ मंजूर हो चुका है। तेल एकत्रित करने वाली एमजी रिन्यूएबल एनर्जी (एलएलपी) के डायरेक्टर विजय ओसवाल बताते हैं कि उम्मीद है कि 16 जिलों से 40 टन तेल की पूर्ति आराम से हो जाएगी। हम नमकीन और चिप्स निर्माताओं से लगातार संपर्क में हैं।

    जला हुआ तेल देता है गंभीर बीमारियों को न्‍यौता

    खाद्य सुरक्षा के राज्य नोडल अधिकारी अरविंद पथरौल के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन बताते हैं कि खाने के किसी भी तेल को तीन बार से अधिक गर्म करने पर यह स्वास्थ्य के लिए घातक हो जाता है। इसमें टोटल पोलर कंपाउंड्स (टीपीसी) 25 प्रतिशत से अधिक हो जाते हैं। बार-बार तलने पर यह कैंसर और दिल की बीमारियों का कारण बनता है, इसीलिए केंद्र सरकार की बायो डीजल नीति में रियूज कुकिंग आयल से बायो डीजल के निर्माण को शामिल किया गया है। इससे आम आदमी के स्वास्थ्य की सुरक्षा होगी। साथ ही जले तेल से ईधन बनाया जा सकेगा।