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    Bihar Voter List: 'वोटर आईडी वेरिफिकेशन को लेकर खरगे का दावा झूठा', चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष को दिखाया आईना

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 01:58 AM (IST)

    बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर राजनीतिक विवाद जारी है। चुनाव आयोग ने ऑनलाइन वोटर लिस्ट के लिए आवेदन की प्रक्रिया जारी की है जिसका कांग्रेस सहित विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले को भाजपा की साजिश बताया जिसे चुनाव आयोग ने भ्रामक कहा है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि दस्तावेजों की आवश्यकता अभी भी है।

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    वोटर आईडी वेरिफिकेशन को लेकर खरगे का पोस्ट भ्रामक: चुनाव आयोग फैक्ट चेक

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के तहत मतदाता सूची पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। इसी बीच चुनाव आयोग ने ऑनलाइन वोटर लिस्ट के लिए आवेदन करने को लेकर दिशा निर्देश जारी की है। आयोग ने बारकोड जारी कर सीधे ऑनलाइन फॉर्म भरने का अनुरोध भी मतदाताओं से किया है।

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    हालांकि, चुनाव आयोग के फैसले से कांग्रेस सहित विपक्षी दल काफी नाराज दिख रहे हैं। रविवार को चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण के फैसले पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आपत्ति जाहिर की थी। उन्होंने इस फैसले के पीछे भाजपा की साजिश बताई है।

    गौरतलब है कि खरगे के पोस्ट को चुनाव आयोग ने झूठा और भ्रामक बताया है।

    खरगे ने एक्स पर एक पोस्ट में दावा किया था कि भारत के निर्वाचन आयोग ने मतदाता सत्यापन की प्रक्रिया में संशोधन करते हुए दस्तावेज मांगे जाने के स्थान पर बिना किसी दस्तावेज के केवल फॉर्म भरने की प्रक्रिया लागू कर दी है। उन्होंने इसे "विपक्ष, जनता और नागरिक समाज के दबाव" का नाम दिया।

    खरगे के इस पोस्ट को चुनाव आयोग ने भ्रामक बताते हुए कहा, "इस पोस्ट में किया गया दावा कि किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है और केवल फॉर्म भरना ही पर्याप्त है, भ्रामक है।"

    निर्देशों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एसआईआर 24.06.2025 के आदेशों के अनुसार आयोजित किया जा रहा है। 25 जुलाई 2025 से पहले भरे हुए गणना फॉर्म को जमा करना अनिवार्य है, लेकिन दस्तावेज 25 जुलाई 2025 से पहले या दावों और आपत्तियों की अवधि के दौरान किसी भी समय जमा किए जा सकते हैं," इसने कहा और पोस्ट में संदर्भित आदेश का एक लिंक साझा किया।

    साल के अंत में होना है बिहार चुनाव

    चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों की अखंडता की रक्षा के लिए पूरे भारत में एसआईआर की आवश्यकता को अपने संवैधानिक आदेश के रूप में समझाया है। इसने बिहार से इसकी शुरुआत करने का फैसला किया क्योंकि यह पहला राज्य है जहां इस साल के अंत में अगला विधानसभा चुनाव होना है।

    अपने आरोपों में कांग्रेस प्रमुख ने चुनाव आयोग से सवाल किया कि वह क्यों चाहता है कि जो लोग चुनाव दर चुनाव मतदान करते आ रहे हैं, वे दोबारा मतदान के लिए दस्तावेज दिखाएं।