बिहार SIR मामला: चुनाव आयोग ने एडीआर के हलफनामे पर उठाए गंभीर सवाल
बिहार एसआईआर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने एडीआर के हलफनामे पर सवाल उठाए। आयोग ने कहा कि हलफनामे में दिए गए विवरण गलत और फर्जी पाए गए हैं। आयोग के वकील ने एडीआर द्वारा दिए जा रहे दस्तावेजों की सत्यता पर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने प्रशांत भूषण से दस्तावेजों की जिम्मेदारी पर जोर दिया और मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को तय की।

चुनाव आयोग ने ADR के हलफनामे पर उठाए सवाल- (पीटीआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार एसआइआर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गुरुवार को चुनाव आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन एडीआर की ओर से दाखिल हलफनामे पर ही सवाल खड़ा कर दिया।
चुनाव आयोग ने कहा कि एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने मतदाता सूची में नाम शामिल नहीं होने का दावा करने वाले जिस व्यक्ति का हलफनामा दिया है, उसका विवरण गलत है। हलफनामे में दिया गया विवरण जांचने पर फर्जी पाया गया है।
चुनाव आयोग ने ADR के हलफनामे पर उठाए सवाल
चुनाव आयोग के वकील ने एडीआर द्वारा कोर्ट में दिये जा रहे दस्तावेजों की सत्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये लोग आरोप लगा रहे हैं कि बड़ी संख्या मे लोगों को मतदाता सूची से बाहर कर दिया गया है, जबकि जो दस्तावेज दिए जा रहे हैं वे गलत हैं। हालांकि प्रशांत भूषण ने कहा कि आयोग मामले की जांच करा सकता है। उन्होंने तो किसी व्यक्ति द्वारा दिया गया दस्तावेज ही पेश किया है। इस पर कोर्ट ने भी प्रशांत भूषण से दस्तावेज देते समय जिम्मेदारी की बात कही।
जिस व्यक्ति का हलफनामा दिया, उसके विवरण झूठे पाए गए
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त नाटकीय मोड़ आ गया जब बिहार एसआइआर पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने अंतिम मतदाता सूची से नाम बाहर करने का आरोप लगाने वाले जिस व्यक्ति का हलफनामा दिया है, उसके विवरण झूठे पाए गए हैं।
हलफनामे में जिस व्यक्ति का जिक्र है, उसका नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं था। उसने जो जानकारी और मतदाता नंबर दिया है, वह किसी महिला का है। जब कोर्ट ने प्रशांत भूषण से इस पर सवाल किया तो भूषण ने कहा कि यह विवरण उन्हें बहुत ही जिम्मेदार व्यक्ति ने दिया है।
अंतिम मतदाता सूची आ चुकी है
कोर्ट विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिये इस मामले की जांच करा सकता है। हालांकि कोर्ट ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उक्त व्यक्ति को सही जानकारी देनी चाहिए थी। हम ऐसी बातों को पसंद नहीं करते। द्विवेदी ने कहा कि अभी अंतिम मतदाता सूची आ चुकी है। अपील दाखिल करने के लिए पांच दिन का समय बचा है। एडीआर और राजनीतिक दल अपील दाखिल करने में लोगों की मदद नहीं कर रहे हैं। एडीआर यहां कोर्ट में तरह तरह के आरोप लगाकर प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है, जबकि इसके द्वारा दिया गया हलफनामा गलत पाया गया।
अश्विनी उपाध्याय के वकील विजय हंसारिया ने कहा कि जिस संस्था ने यह फर्जी जानकारी वाला हलफनामा दिया है उसे नहीं सुना जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान योगेंद्र यादव ने भी एसआइआर प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए खामियां गिनाईं। कहा कि एक-एक घर में सैकड़ों मतदाता रह रहे हैं। उन्होंने कई तरह के आंकड़े पेश किए और कहा कि कोर्ट को इन चीजों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगना चाहिए। मामले में कोर्ट 16 अक्टूबर को फिर सुनवाई करेगा।
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