Move to Jagran APP

शराब के बाद अब खैनी पर बिहार में बैन की तैयारी, जानिए क्‍या है वजह

यह भी देखने को मिल रहा है कि मुंह में कैंसर होने के पीछे खैनी ही प्रमुख कारण रहा है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने भी इस ओर लोगों को ध्‍यान आकर्षित किया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 06:27 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 07:32 PM (IST)
शराब के बाद अब खैनी पर बिहार में बैन की तैयारी, जानिए क्‍या है वजह
शराब के बाद अब खैनी पर बिहार में बैन की तैयारी, जानिए क्‍या है वजह

नई दिल्‍ली, जेएनएन। बिहार में शराब पर प्रतिबंध लगने के दो साल बाद अब सरकार खैनी पर भी बैन लगाने की तैयारी कर रही है। नीतीश सरकार जल्‍द ही राज्‍य में खैनी के बेचने और खाने पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। अगर सबकुछ ठीक रहा, तो आने वाले समय में बिहार से खैनी गायब हो जाएगी।

loksabha election banner

तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में राज्य सरकार को तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही संस्था सोशियो इकोनोमिक एंड एजुकेशनल सोसाइटी (सीड्स) ने खैनी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार खैनी को खाद्य सामग्री की श्रेणी में लाए और फिर इसे फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट-2006 के तहत प्रतिबंधित करे। उन्होंने बताया कि इसी एक्ट के तहत राज्य में गुटखा एवं पान मसाले को प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 25.6 प्रतिशत लोग धुआंरहित तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या खैनी खाने वालों की है।

दरअसल, राज्य सरकार ने केंद्र को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में खैनी को खाद्य उत्पाद के रूप में सूचित करने का अनुरोध किया गया है। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा खाद्य उत्पाद के रूप में अधिसूचित किए जाने के बाद सरकार के पास स्वास्थ्य आधार पर खैनी पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति होगी। बिहार के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) संजय कुमार ने खबर की पुष्टि की है कि उन्होंने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि बिहार में हर पांचवां आदमी खैनी का इस्‍तेमाल करता है।

संजय कुमार ने बताया कि अब तो जो नियम है वो सिगरेट के रूप में तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करते हैं, लेकिन खैनी की खपत ज्यादा है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में तंबाकू की खपत में कुल मिलाकर गिरावट दर्ज हुई है। पिछले सात साल में तंबाकू की खपत की 53 प्रतिशत से घटकर 25 प्रतिशत हो गई है। हालांकि, खैनी का सेवन करने वाले लोगों की संख्या चिंताजनक है।

यह भी देखने को मिल रहा है कि मुंह में कैंसर होने के पीछे खैनी ही प्रमुख कारण रहा है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने भी इस ओर लोगों को ध्‍यान आकर्षित किया है। संस्‍था का कहना है कि खैनी की वजह से कैंसर, फेफड़े और दिल से संबंधित बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।

बिहार के 20 फीसद लोग करते हैं खैनी का सेवन
बिहार में पिछले कुछ वर्षों में तंबाकू सेवन में कमी आई है, लेकिन अभी भी 25.9 फीसद लोग तंबाकू से छुटकारा नहीं पा सके हैं। 23.7 फीसद लोग चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें 20.4 फीसद लोग खैनी के रूप में तंबाकू खाते हैं। इनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं।  तंबाकू कैंसर की सबसे बड़ा कारण है।

देश में 12 लाख लोगों की मौत की वजह है तंबाकू
देश में हर साल तंबाकू खाने के कारण करीब 12 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें 80 फीसद से अधिक मुंह के कैंसर के मरीज होते हैं। तंबाकू खाने वाले हृदय रोग के मरीज बन जाते हैं।

बिहार में पान मसाला और गुटका पर है रोक
पूर्ण शराबबंदी वाले राज्य बिहार में नवंबर 2014 से पान-मसाला, गुटका और जर्दा की खरीद- बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध है। फूड प्रोडक्ट की लिस्ट में शामिल नहीं होने के  कारण खैनी प्रतिबंध के दायरे से बाहर रही। फूड प्रोडक्ट में शामिल होने के बाद खैनी के उत्पादन, वितरण, बिक्री और सेवन पर रोक लगाने के लिए खाद्य सुरक्षा कानून के उस नियम का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें कहा गया है कि किसी भी खाद्य पदार्थ में तंबाकू और निकोटिन की मात्रा नहीं होना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.