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    'बोफोर्स घोटाले में राजीव गांधी को कैसे बचाया जाए, नौकरशाहों की दी गई ट्रेनिंग', खोजी पत्रकार की किताब में दावा

    Updated: Tue, 04 Mar 2025 09:23 PM (IST)

    खोजी पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम की आने वाली पुस्तक बोफोर्सगेट में बोफोर्स घोटाले से जुड़ा बड़ा दावा किया गया है। 320 पृष्ठों की किताब में चित्रा ने जांच का विवरण दिया है। स्वीडिश पुलिस के प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रोम ने स्टाकहोम में जांच से जुड़े अहम दस्तावेज उपलब्ध कराए। बता दें कि इस घोटाले ने चार दशक पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिलाकर रख दिया था।

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    बोफोर्स घोटाले को लेकर किताब में बड़ा दावा।

    पीटीआई, नई दिल्ली। वरिष्ठ भारतीय नौकरशाहों ने 1987 में एक गुप्त बैठक में बोफोर्स अधिकारियों को बहुचर्चित रिश्वत कांड में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सभी दोषों से बचाने के बारे में प्रशिक्षित किया था।' इस बात राजफाश खोजी पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम की आने वाली पुस्तक ''बोफोर्सगेट'' में किया गया है। इस घोटाले ने लगभग चार दशक पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिलाकर रख दिया था।

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    पुलिस प्रमुख ने साझा की जानकारी

    सुब्रमण्यम के दावे बोफोर्स के शीर्ष अधिकारियों और भारत के शीर्ष नौकरशाहों के बीच गुप्त बैठक को लेकर बनी सहमति के सारांश पर आधारित हैं। यह सारांश उन्हें स्टेन लिंडस्ट्रोम नामक एक स्त्रोत द्वारा प्रदान किया गया था। स्टेन स्वीडिश पुलिस प्रमुख थे जो अपने देश में बोफोर्स की जांच कर रहे थे। पुस्तक में स्टेन को 'स्टिंग' नाम से संबोधित किया गया है।

    64 करोड़ रिश्वत का आरोप

    बोफोर्स रिश्वत कांड में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सभी दोषों से कैसे मुक्त किया जाए - इस बारे में वरिष्ठ भारतीय नौकरशाहों ने बोफोर्स अधिकारियों को प्रशिक्षित किया था। गौरतलब है कि बोफोर्स घोटाला 1980 के दशक में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान स्वीडिश कंपनी बोफोर्स के साथ 1,437 करोड़ रुपये के सौदे में 64 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोपों से जुड़ा है।

    होवित्जर तोप से जुड़ा सौदा

    यह सौदा होवित्जर तोपों की आपूर्ति के लिए किया गया था। इसने कारगिल युद्ध के दौरान भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि, बोफोर्स से जुड़ा यह मामला 2011 में बंद कर दिया गया था।

    320 पन्नों की किताब में जांच का विवरण

    16 अप्रैल, 1987 को स्वीडिश रेडियो द्वारा भारत के साथ बोफोर्स होवित्जर सौदे में कथित रिश्वतखोरी की कहानी उजागर की गई थी। इसके बाद यूरोप से इस मामले को कवर करने वाली पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम ने अपनी जांच का विवरण 320 पृष्ठों की पुस्तक ''बोफोर्सगेट'' में दिया है। इस पुस्तक को जगरनाट ने प्रकाशित किया है।

    स्टाकहोम में मिले दस्तावेज

    22 अगस्त, 1989 को स्टिंग ने चित्रा सुब्रमण्यम को स्टाकहोम में महत्वपूर्ण दस्तावेजों का एक हिस्सा उपलब्ध कराया। इसमें बोफोर्स और भारतीय अधिकारियों के बीच हुई बैठकों का 15 पृष्ठों का ''सहमति से तैयार सारांश'' भी शामिल था। 15 पृष्ठों वाले इसी सारांश ने अंतत: इस मामले को दबाने का आधार तैयार किया।

    भ्रष्टाचार को कैसे छिपाया जाए?

    17 मार्च को रिलीज होने वाली इस पुस्तक में कहा गया है, ''यह 15 पृष्ठों का एक सहमति-आधारित सारांश था, जिसमें बताया गया था कि भ्रष्टाचार को कैसे छिपाया जाए, मेरी जांच के साथ कैसे निपटा जाए और सबसे बढ़कर, प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सभी दोषों से कैसे मुक्त किया जाए। ये चर्चाएं रक्षा मंत्रालय में 15, 16 और 17 सितंबर, 1987 को (रेडियो के राजफाश के ठीक पांच महीने बाद) हुई थीं।''

    पांच सितारा होटल में ठहरे थे अधिकारी

    चित्रा सुब्रमण्यम ने कहा कि बोफोर्स के शीर्ष अधिकारियों को सरदार पटेल मार्ग पर उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में एक पांच सितारा होटल में ठहराया गया था और उनके कमरों को ''सभी के लिए प्रतिबंधित'' रखा गया था। सुब्रमण्यम का दावा है कि गुप्त बैठक में बोफोर्स प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पेर ओवे मोरबर्ग और लार्स गोहलिन ने किया, जबकि भारतीय दल में एसके भटनागर, पीके कार्था, गोपी अरोड़ा और एनएन वोहरा जैसे दिग्गज शामिल थे। इन्हें रक्षा मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव के. बनर्जी ने सहायता प्रदान की थी।

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