केंद्र सरकार के साथ मिलकर शुरू होगा बड़ा अभियान, देशभर के डेढ़ लाख स्कूल जोन का होगा रोड सेफ्टी आडिट
दरअसल अंतरराष्ट्रीय मानक है कि स्कूल जोन या जहां से पैदल यात्री गुजरते हैं वहां वाहनों की गति सीमा 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस गति के वाहन से दुर्घटना होने पर भी जान जाने की आशंका न के बराबर होगी। मगर इसका पालन स्कूल जोन में कतई नहीं किया जा रहा है।

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। यह तथ्य कई बार सामने आ चुका है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। निस्संदेह सरकारी प्रयास भी अपर्याप्त है और लापरवाही से वाहन चलाने वाले भी जिम्मेदार हैं, लेकिन चिंताजनक तथ्य यह है कि इन हादसों में जान गंवाने वालों में दस प्रतिशत स्कूली बच्चे हैं। वह न वाहन चला रहे और न नियमों का उल्लंघन कर रहे, लेकिन स्कूल प्रबंधन, स्थानीय प्रशासन और वाहन चालकों की लापरवाही के शिकार हो रहे हैं।
बहरहाल, इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा इंटरनेशनल रोड फेडरेशन का इंडिया चैप्टर (आइआरएफ) अब केंद्र सरकार के साथ मिलकर बड़ा अभियान शुरू करने जा रहा है, जिसके तहत देशभर के डेढ़ लाख स्कूल जोन का रोड सेफ्टी आडिट कराया जाएगा। आइआरएफ ने स्कूल जोन रोड सेफ्टी पोर्टल लांच कर आनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से सेफ्टी आडिटर बनाने की प्रक्रिया 2022 से शुरू कर दी थी। जागरुकता की कमी के कारण इसमें बहुत अधिक नागरिकों ने रुचि नहीं ली, फिर भी अपने प्रयासों से आइआरएफ ने विभिन्न राज्यों के 50 स्कूल जोन का रोड सेफ्टी आडिट कराया।
स्कूलों के आसपास सड़क सुरक्षा संबंधी खामियां
आइआरएफ इंडिया चैप्टर के एडवाइजर प्रो. पीके सिकदर ने बताया कि आडिट में सामने आया कि स्कूलों के आसपास सड़क सुरक्षा संबंधी बहुत खामियां हैं। जैसे कि स्कूल वाहन और बच्चों के प्रवेश व निकासी की व्यवस्था सही नहीं है। स्कूल के आसपास साइनेज, रोड मार्किंग आदि नहीं है। इसके साथ ही सबसे बड़ा खतरा है वाहनों की गति सीमा का उल्लंघन।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मानक है कि स्कूल जोन या जहां से पैदल यात्री गुजरते हैं, वहां वाहनों की गति सीमा 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस गति के वाहन से दुर्घटना होने पर भी जान जाने की आशंका न के बराबर होगी। मगर, इसका पालन स्कूल जोन में कतई नहीं किया जा रहा है।
डेढ़ लाख स्कूल जोन का होगा रोड सेफ्टी आडिट
प्रो. सिकदर ने बताया कि आइआरएफ ने यह चिंता सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ ही साझा की। इसके चलते ही इसी सप्ताह आइआरएफ इंडिया चैप्टर की महत्वपूर्ण बैठक सड़क परिवहन मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग के साथ हुई। इसमें सैद्धांतिक सहमति बन गई है कि डेढ़ लाख स्कूल जोन का रोड सेफ्टी आडिट कराया जाएगा। पोर्टल के माध्यम से दर्शाया जाएगा कि किन स्कूल जोन में किन नियमों व सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हो रहा है। फिर स्कूल प्रबंधन, स्थानीय प्रशासन व अन्य संस्थाओं से कहा जाएगा कि सड़क सुरक्षा खामियों को दूर कर स्कूल जोन को सुरक्षित बनाएं। राज्य सरकारों से भी इस पर अलग से बात की जा सकती है।
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