'90 नहीं 118-119 डिग्री था भोपाल का रेलवे ओवरब्रिज', कोर्ट में पेश जांच रिपोर्ट में किया गया दावा
90 डिग्री को लेकर चर्चा में आए भोपाल के ऐशबाग स्थित रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) की तकनीकी जांच रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पेश की गई। इसके साथ ही प्रोफेसर ने अपनी रिपोर्ट में कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग(पीडब्ल्यूडी) की डिजाइन को सही ठहराते हुए बताया कि पुल 90 डिग्री का नहीं बल्कि 118 से 119 डिग्री के मध्य है।

जेएनएन, जबलपुर। 90 डिग्री को लेकर चर्चा में आए भोपाल के ऐशबाग स्थित रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) की तकनीकी जांच रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पेश की गई। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ब्रिज की जांच मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (मैनिट) के प्रोफेसर से कराने के निर्देश दिए थे।
हाई कोर्ट में पेश तकनीकी जांच रिपोर्ट में किया गया दावा
प्रोफेसर ने अपनी रिपोर्ट में कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग(पीडब्ल्यूडी) की डिजाइन को सही ठहराते हुए बताया कि पुल 90 डिग्री का नहीं बल्कि 118 से 119 डिग्री के मध्य है।
इस रिपोर्ट के बाद मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की पीठ ने पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार कंपनी मेसर्स पुनी चड्ढा को ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई पर पूर्व में लगाई रोक बरकरार रखी है।
अब तकनीकी रिपोर्ट के बाद यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि जब ठेकेदार ने पीडब्ल्यूडी के निर्देशों के अनुसार ही काम किया है, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई क्यों की गई।
वास्तव में ब्रिज में 90 नहीं 119 डिग्री का कोण है
दरअसल, मैनिट के प्रोफेसर की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि जो ड्राइंग पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने जारी की थी, ठेकेदार ने उसी के अनुसार ब्रिज का निर्माण किया है। वास्तव में ब्रिज में 90 नहीं 119 डिग्री का कोण है।
कोर्ट ने इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य शासन व पीडब्ल्यूडी को जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान राज्य शासन के अधिवक्ता ने मैनिट के प्रोफेसर की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद जवाब प्रस्तुत करने की बात कही।
ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था
उन्होंने इसके लिए मोहलत मांगी। कोर्ट ने मांग स्वीकार करते हुए आगामी सुनवाई 23 सितंबर को तय की है ।बता दें कि याचिकाकर्ता मेसर्स पुनी चड्ढा को आरओबी का ठेका एक मार्च 2023 को मिला था। पुल पर 90 डिग्री का कोण बनने पर पीडब्ल्यूडी ने चार जुलाई 2025 को टेंडर निरस्त और ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
ठेकेदार की गलती नहीं
लिहाजा, अधिवक्ता सिद्धार्थ कुमार शर्मा व प्रवीण दुबे के जरिए याचिका दायर कर दी गई। उन्होंने दलील दी कि मैनिट के प्रोफेसर की रिपोर्ट से भी स्पष्ट हो गया है कि ठेकेदार की गलती नहीं है। उसने पीडब्ल्यूडी की ओर से प्राप्त जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग के अनुरूप ब्रिज का एंगल 118 से 119 डिग्री कोण के मध्य रखा था।
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