'अब किसी न किसी का तो सिर कटेगा', किस मामले में हाई कोर्ट ने की इतनी तल्ख टिप्पणी?
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भोपाल के चर्चित 118-119 डिग्री ब्रिज मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का आदेश वापस लेने को कहा है। अदालत ने टिप्पणी की कि बलि का बकरा तो बाहर हो गया अब किसी का सिर कटेगा। मेसर्स पुनीत चड्ढा को ठेका मिला था जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाई काेर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने भोपाल के बहुचर्चित 90 नहीं 118-119 डिग्री ब्रिज प्रकरण की सुनवाई करते हुए ओपन कोर्ट में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बलि का बकरा बाहर हो गया, अब किसी न किसी का सिर तो कटेगा।
बहरहाल, सरकार अब ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का आदेश वापस लेकर अवगत कराए। इसी के साथ मामले की सुनवाई 28 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी गई। इस बीच ठेका कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई पर रोक संबंधी पूर्व अंतरिम आदेश बरकरार रहेगा।
90 डिग्री का कोण बनने पर क्या हुई कार्रवाई?
दरअसल, मेसर्स पुनीत चड्ढा की ओर से दायर इस मामले में कहा गया कि ऐशबाग में बरखेड़ी फाटक पर आरओबी बनाने का ठेका उसे एक मार्च, 2023 को मिला था। पुल पर 90 डिग्री का कोण बनने पर पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता ने चार जुलाई, 2025 को टेंडर निरस्त कर याचिकाकर्ता को एक साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया था।
हाई कोर्ट के निर्देश पर हुई जांच
याचिकाकर्ता का दावा है कि जो ड्राइंग पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने जारी की, निर्माण उसी के मुताबिक हुआ है। विगत 25 अगस्त को प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने निष्पक्ष जांच की जिम्मेदारी मैनिट के सीनियर प्रोफेसर को सौंपी थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर मैनिट के प्रो. डा. एमएस होरा, प्रो. डा. नितिन डिंडोरकर, प्रो. डा. एसके कटियार, प्रो. डा. पीके अग्रवाल और असिस्टेंट प्रोफेसर डा. प्रियमित्र मुनोथ ने दो और तीन सितंबर को पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री आत्मराम मोरे, एसडीओ ब्रिज रंजीत सिंह जांच और सब इंजीनियर सत्यम चौधरी के साथ पुल के विवादित हिस्से की की थी। कमेटी ने ठेकेदार पुनीत चड्ढा को क्लीन चिट देते हुए कहा था उसने ड्राइंग के अनुसार निर्माण किया है।
याचिकाकर्ता की ओर से क्या दलील दी गई?
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ कुमार शर्मा व प्रवीण दुबे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि भोपाल के ऐशबाग एरिया में ब्रिज निर्माण का ठेका 2021-22 में मिला था। नियत निर्माण 18 माह में किया जाना था। ब्रिज का जीएडी सरकारी एजेंसी के द्वारा जारी किया गया था। इसके बाद जीएडी में साल 2023 व 2024 में उसमें संशोधन किया गया। सरकारी एजेंसी के द्वारा उन्होने ब्रिज का निर्माण किया गया था।
ब्रिज में 90 डिग्री का मोड होने के कारण दुर्घटना होने की आशंका का हल्ला मचने के बाद सरकार ने जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। जांच कमेटी ने पाया कि ब्रिज के जिस हिस्से में मोड बना है, उसके नीचे से रेल पटरी निकल रही है। राज्य सरकार तथा रेलवे विभाग में सामंजस्य की कमी थी।
इसके अलावा ब्रिज के खम्बे को निर्धारित दूरी में नहीं लगाए गए हैं। जांच कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई का अवसर प्रदान किए बिना ही उकनी कंपनी को सरकार की ओर से ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। ब्रिज का मोड 90 डिग्री नहीं बल्कि 118-119 डिग्री है।
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