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भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक पर जुटे लाखों लोग, शांतिपूर्ण ढंग से गुजरा 202वीं सालगिरह का जश्न

भीमा कोरेगांव युद्ध की 202वीं सालगिरह पर बुधवार को महाराष्ट्र के पुणे जिले के पेरने गांव में युद्ध स्मारक जय स्तंभ पर लाखों लोग पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 08:56 AM (IST)
भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक पर जुटे लाखों लोग, शांतिपूर्ण ढंग से गुजरा 202वीं सालगिरह का जश्न
भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक पर जुटे लाखों लोग, शांतिपूर्ण ढंग से गुजरा 202वीं सालगिरह का जश्न

पुणे, एजेंसियां। भीमा कोरेगांव युद्ध की 202वीं सालगिरह पर बुधवार को महाराष्ट्र के पुणे जिले के पेरने गांव में युद्ध स्मारक 'जय स्तंभ' पर लाखों लोग पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। दो साल पहले यहां बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसको देखते हुए इस बार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। सुरक्षा बलों के 10 हजार से ज्यादा जवान और पांच सौ से ज्यादा अधिकारी तैनात किए गए थे और सीसीटीवी और ड्रोन से भी स्थिति पर नजर रखी जा रही थी। आस-पास के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई थी।

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खबरों के मुताबिक महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों से युद्ध स्मारक पर लगभग आठ लाख लोग जमा हुए। इनमें राज्य के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार, बहुजन वंचित अघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर, केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले और अन्य कई नेता भी शामिल थे। दलित समाज के लोग इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाते हैं।

एक जनवरी, 1818 को हुए ऐतिहासिक कोरेगांव-भीमा युद्ध में बाजीराव पेशवा द्वितीय के 28,000 सैनिकों का सामना ईस्ट इंडिया कंपनी की द बंबई नेटिव इंफेंट्री सेना की एक टुकड़ी से हुआ था, जिसमें मात्र 800 महार सैनिक शामिल थे और करीब 12 घंटे तक चले इस युद्ध में महार ने पेशवा की मजबूत सेना को हरा दिया था। उस दिन से हर साल महाराष्ट्र और देश के तमाम हिस्सों से दलित यहां पेशवा की सेना पर ब्रिटिश सेना की जीत का स्मरण करने के लिए जमा होते हैं।

2018 में 200वीं सालगिरह पर यहां भीषण हिंसा भड़की थी

2018 में 200वीं सालगिरह पर यहां भीषण हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे। प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि इस बार भी कुछ लोगों ने गड़बड़ी फैलाने की कोशिश की, लेकिन उनके संगठन और प्रशासन ने मिलकर उसे विफल कर दिया।

एलगार परिषद के कुछ सदस्यों के पुणे में घुसने पर भी पाबंदी

पिछले हफ्ते पुणे पुलिस ने दक्षिणपंथी नेता मिलिंद एकबोटे, संभाजी भिड़े और कबीर कला मंच के सदस्यों को नोटिस जारी कर उनके पुणे जिले में घुसने पर पाबंदी लगा दी थी। पुलिस ने माओवादियों से संपर्क वाले एलगार परिषद के कुछ सदस्यों के पुणे में घुसने पर भी पाबंदी लगा दी थी। एकबोटे को हिंसा भड़काने के आरोप में 2018 में गिरफ्तार किया गया था।

यह भी पढ़ें: भीमा-कोरेगांव की 202वीं वर्षगांठ पर डिप्टी सीएम अजीत पवार ने दी श्रद्धांजलि


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