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    अक्षरधाम मंदिर में हुआ 37 सुशिक्षित युवा पार्षदों का भगवती दीक्षा समारोह, स्वामी महाराज ने दिया गुरु मंत्र

    Updated: Fri, 25 Oct 2024 08:30 PM (IST)

    बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण संस्थान के तीर्थ श्री अक्षर मंदिर गोंडल में 23/10/2024 को 29 सुशिक्षित युवाओं ने परम पूज्य महंतस्वामी महाराज के हाथों से पार् ...और पढ़ें

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    37 सुशिक्षित युवा पार्षदों का भगवती दीक्षा समारोह

    बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण संस्थान के तीर्थ श्री अक्षर मंदिर, गोंडल में 23/10/2024 को 29 सुशिक्षित युवाओं ने परम पूज्य महंतस्वामी महाराज के हाथों से पार्षद दीक्षा प्राप्त की। इसी परिप्रेक्ष्य में, संस्था की संत दीक्षा प्रणाली के अनुसार, तीर्थधाम सारंगपुर स्थित संत प्रशिक्षण केंद्र में शिक्षा प्राप्त करने वाले 37 सुशिक्षित युवाओं को 25 अक्तूबर को तीर्थधाम श्री अक्षर मंदिर, गोंडल में परम पूज्य महंतस्वामी महाराज द्वारा भागवती दीक्षा प्रदान की गई।

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    इस भागवती दीक्षा के पवित्र अवसर पर सुबह आठ बजे महापूजा विधि संपन्न हुई. जिसमें दीक्षा लेनेवाले पार्षदों के माता-पिता और परिवार भी इस समय दीक्षा सभा में सम्मिलित हुए थे। इस दीक्षा सभा में वरिष्ठ संतों ने आशीर्वाद प्रदान किए। परम पूज्य महंत स्वामी महाराज ने गुरु मंत्र प्रदान किया। इस अवसर पर दीक्षा लेनेवाले दीक्षार्थियों के अभिभावकों में अति उत्साह देखा गया।

    युवाओं में 18 अन्य बैचलर डिग्री धारक थे सम्मिलित

    आज इस दीक्षा महोत्सव में दीक्षा लेनेवाले युवाओं में 1 डॉक्टर, 1 पीएचडी, 4 मास्टर डिग्री, 12 इंजीनियर, 18 अन्य बैचलर डिग्री धारक सम्मिलित थे। इस प्रकार, विभिन्न विषयों में उच्च करियरवाले कुल 37 पार्षद आज महंतस्वामी महाराज के संत वृंद में शामिल हो गए हैं। आज संतदीक्षा लेने वाले 37 दीक्षार्थियों में 19 दीक्षार्थी विदेश से, 11 अमेरिका से, 2 कनाडा से, 2 यूके से, 3 अफ्रीका से और 1 आस्ट्रेलिया से हैं।

    दीक्षा मोहोत्सव की मुख्य सभा में संस्था के वरिष्ठ संतों द्वारा दीक्षित युवाओं के पिताओं का सम्मान किया गया तथा वरिष्ठ महिलाओं द्वारा दीक्षित युवाओं की माताओं का सम्मान किया गया।

    परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने दिया आशीर्वाद

    आज इस दीक्षा अवसर पर परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने आशीर्वाद देते हुए कहा, ''दीक्षित साधु के माता-पिता को धन्यवाद, उन्होंने अपने पुत्र को पढ़ा-लिखाकर तैयार किया और यहां सेवा के लिए समर्पित कर दिया। साधु का मार्ग आसान नहीं होता। तपस्या, व्रत, सेवा, भक्ति और मन पर विजय।” इस अवसर पर वरिष्ठ संतों ने स्वामीश्री का पुष्प माला से स्वागत किया।