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    Bhagat Singh Birth Anniversary: रोंगटे खड़ी कर देती हैं भगत सिंह की ये बातें, पाकिस्तान में भी हैं चाहने वाले

    By Mohammad SameerEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Wed, 27 Sep 2023 06:45 AM (IST)

    युवाओं के दिलों की धड़कन शहीद-ए-आजम भगत सिंह हिन्दी उर्दू अंग्रेजी पंजाबी संस्कृत बंगला व आयरिश भाषा के बहुत अच्छे जानकार थे। वो बेहद शानदार वक्ता और देश में समाजवाद के पहले लेक्चरर थे। उन्होंने दो अखबारों का भी संपादन किया था। भगत सिंह (Bhagat Singh) का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। मौजूदा समय में ये जगह पाकिस्तान में है।

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    रोंगटे खड़ी कर देती हैं भगत सिंह की ये बातें...

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्कः महान क्रांतिकारी और महज 23 साल की उम्र में देश के लिए फांसी का फंदा चूमने वाले भगत सिंह (Bhagat Singh) का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। मौजूदा समय में ये जगह पाकिस्तान में है।

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    23 मार्च साल 1931 को भगत सिंह राजगुरू और सुखदेव को एक अंग्रेजी अधिकारी की हत्या के जुर्म में लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई थी। इस दिन को शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है। पाकिस्तान में भी हर साल भगत सिंह की याद में खास जलसे आयोजित किए जाते हैं। 

    पड़ोसी मुल्क में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन नाम की एक संस्था सालों से भगत सिंह की यादों को पाकिस्तान में संजोने का काम करते आ रही है।

    यह भी पढ़ेंः India Canada Row: अमेरिका से जयशंकर का ट्रूडो को जवाब, 'यह भारत की नीति नहीं है, सबूत दीजिए'

    आइए पढ़ते हैं भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों को... 

    • भगत सिंह ने कहा था- प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्‍तों को अक्‍सर लोग पागल कहते हैं
    • वो कहा करते थे कि, जिन्दगी तो केवल अपने कन्धों पर जी जाती है, दूसरों के कन्धे पर तो केवल जनाजे उठाए जाते हैं
    • शहीद-ए-आजम कहते थे कि, व्‍यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं
    • वे मुझे कत्ल कर सकते हैं, मेरे विचारों को नहीं। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन मेरे जज्बे को नहीं
    • अगर बहरों को अपनी बात सुनानी है तो आवाज को जोरदार होना होगा
    • क्रान्ति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है, बम और पिस्तौल से क्रान्ति नहीं आती
    • मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है
    • क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं निष्‍ठुर आलोचना और स्‍वतन्त्र विचार हैं

    अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू समेत कई भाषाओं के थे जानकार 

    युवाओं के दिलों की धड़कन शहीद-ए-आजम भगत सिंह हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, पंजाबी, संस्कृत, बंगला व आयरिश भाषा के बहुत अच्छे जानकार थे। वो बेहद शानदार वक्ता और भारत में समाजवाद के पहले लेक्चरर थे। भहत सिंह ने दो अखबारों का भी संपादन किया था।

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