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    बेंगलुरु: महिला को डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 32 करोड़, कैसे एक कॉल ने साफ कर दी जिंदगी भर की जमापूंजी

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 02:02 PM (IST)

    बेंगलुरु में एक 57 वर्षीय महिला साइबर फ्रॉड का शिकार हो गई। धोखेबाजों ने खुद को डीएचएल, सीबीआई और आरबीआई का अधिकारी बताकर उसे डिजिटल अरेस्ट किया और छह महीने में 32 करोड़ रुपये ठग लिए। ठगों ने महिला को डरा धमका कर उसकी सारी संपत्ति का विवरण हासिल कर लिया और उसे जमा करने के लिए मजबूर किया। बाद में, उन्होंने संपर्क तोड़ दिया। पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

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    बेंगलुरु में महिला से 32 करोड़ की साइबर ठगी। प्रतीकात्मक फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक की राजधानी और आईटी हब कहे जाने वाले बेंगलुरु से एक साइबर फ्रॉड की सनसनीखेज खबर सामने आई है। यहां एक 57 साल की महिला को डिजिटल अरेस्ट कर दो महीने के भीतर 32 करोड़ रुपए ठगे गये।

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    ठगों ने डीएचएल कर्मचारी, साइबर अपराध विभाग, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वरिष्ठ अधिकारियों का रूप धारण कर महिला को कथित तौर पर एक महीने तक डिजिटल अरेस्ट रखा।

    बेंगलुरु: महिला से 32 करोड़ की साइबर ठगी

    14 नवंबर को दर्ज की गई FIR के अनुसार, पूरा मामला 15 सितंबर, 2024 को शुरू हुआ, जब पीड़िता को डीएचएल से होने का दावा करने वाले किसी अनजान व्यक्ति का फोन आया। उसने महिला को बताया कि अंधेरी से उसके नाम पर बुक किए गए एक पैकेज में चार पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड और एमडीएमए सहित प्रतिबंधित सामान मिले हैं।

    हालांकि महिला ने उसे बताया कि वह मुंबई नहीं गई थी, लेकिन कॉल करने वाले ने जोर देकर कहा कि उसकी पहचान का गलत इस्तेमाल किया गया है। इसीलिए मामले को साइबर अपराध के रूप में आगे बढ़ाया जा रहा है।

    डीएचएल और सीबीआई अधिकारी बनकर ठगी

    इससे पहले कि महिला कोई जवाब दे पाती, कॉल सीबीआई अधिकारी बनकर किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर कर दी गई। कथित तौर पर उसने महिला को गिरफ्तार करने की धमकी दी। ठगों ने महिला के खिलाफ पुख़्ता सबूत होने का दावा किया और स्थानीय पुलिस से संपर्क न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि उसकी पहचान का दुरुपयोग करने वाले अपराधी उसके घर पर नजर रख रहे हैं। अपने परिवार की सुरक्षा के डर से पीड़िता ने कोई एक्शन नहीं लिया।

    इसके बार स्कैमर्स ने उसे दो स्काइप आईडी इंस्टॉल करने को कहा, जिसके जरिये मोहित हांडा नाम का एक व्यक्ति कैमरे लगातार उसकी निगरानी करता था। इसी के साथ वह दावा करता रहा कि वह घर में नजरबंद है।

    कथित तौर पर, उसने दो दिनों तक वीडियो पर उसकी निगरानी की। फिर उसे एक और नकली सीबीआई अधिकारी प्रदीप सिंह से बात करने को कहा, जिसने महिला को गलियां दीं, गिरफ्तारी की धमकियां दीं और उसे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए मजबूर किया।

    डिजिटल अरेस्ट कर महिला को लूटा

    पीड़िता ने बताया कि कॉल करने वालों को उसके फोन और लोकेशन की जानकारी थी, जिससे उसका डर और बढ़ गया था। महिला को बताया गया कि केस से उसका नाम हटाने का एकमात्र तरीका आरबीआई के अधीन वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) को सत्यापन के लिए अपनी सभी संपत्तियों का विवरण देना है। घोटालेबाजों ने नितिन पटेल के नाम से साइबर अपराध विभाग के फर्जी पहचान पत्र भी दिखाए।

    महिला ने 24 सितंबर से 22 अक्टूबर, 2024 के बीच अपने सभी बैंक की जानकारी सौंप दी। धोखेबाजों ने उसकी 90 प्रतिशत संपत्ति को जमा करने की मांग की। दबाव में आकर महिला ने ऐसा ही किया। ठगों ने कहा कि बाद में उसे जमानत के तौर पर 2 करोड़ रुपये और उसके बाद कर के रूप में और राशि जमा करनी होगी।

    31.83 करोड़ रुपये के 187 लेनदेन से ठगी 

    1 दिसंबर, 2024 को महिला को एक नकली निकासी पत्र मिला। जिसके बाद 6 दिसंबर को उसने अपने बेटे की सगाई की। कथित तौर पर लंबे समय तक मानसिक तनाव के कारण वह एक महीने से ज्यादा समय तक बीमार रही।

    घोटालेबाज 2025 की शुरुआत तक पैसे की मांग करते रहे और बार-बार यह आश्वासन देते रहे कि जमा की गई राशि फरवरी तक वापस कर दी जाएगी। कई बार की देरी के बाद, 26 मार्च, 2025 को अचानक सभी संपर्क खत्म हो गये। कुल मिलाकर, पीड़िता ने 31.83 करोड़ रुपये के 187 लेनदेन किए।

    पीड़िता ने पुलिस को बताया कि लंबे समय तक सदमे में रहने और अपने बेटे की शादी तक मामले की औपचारिक रिपोर्ट दर्ज कराने का इंतजार किया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।