पारदर्शिता पर संतुष्टि के बाद बंगाल को मिलेगा MNREGA का पैसा, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ग्रामीण विकास पर यूपीए सरकार से अधिक खर्च का किया दावा
नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में गिरिराज सिंह ने दावा किया कि ग्रामीण विकास के लिए सबसे अधिक काम मोदी सरकार ने किया है। यूपीए सरकार ने नौ साल में ग्रामीण विकास पर 5.6 लाख करोड़ रुपये खर्च किया था जबकि मोदी सरकार ने चार गुणा अधिक लगभग 23.50 लाख करोड़ रुपया खर्च किया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मनरेगा को लेकर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोपों के बीच केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने दो टूक कहा है कि सरकार की किसी से दुश्मनी नहीं है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए पश्चिम बंगाल का मनरेगा का पैसा रोका गया है।
वहां व्यवस्था में पारदर्शिता को लेकर जिस दिन संतुष्टि हो जाएगी, वैसे ही पैसा भी जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने मोदी सरकार की नौ वर्ष की उपलब्धियां गिनाते हुए यूपीए सरकार की तुलना में वर्तमान सरकार द्वारा ग्रामीण विकास पर अधिक खर्च का दावा भी किया।
ग्रामीण विकास पर सरकार ने खर्च किये 23.50 लाख करोड़ रुपये
नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में गिरिराज सिंह ने दावा किया कि ग्रामीण विकास के लिए सबसे अधिक काम मोदी सरकार ने किया है। यूपीए सरकार ने नौ साल में ग्रामीण विकास पर 5.6 लाख करोड़ रुपये खर्च किया था, जबकि मोदी सरकार ने चार गुणा अधिक लगभग 23.50 लाख करोड़ रुपया खर्च किया।
मनरेगा के तहत यूपीए सरकार से कहीं अधिक 2644 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले कोई हिसाब-किताब नहीं था, लेकिन अब 97.2 प्रतिशत मनरेगा मजदूरों के खाते की आधार सीडिंग हो चुकी है।
मनरेगा के लिए फंड की कोई कमी नहीं
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर अनावश्यक राजनीति का आरोप लगाते हुए बोले कि खरगे बताएं कि आधार सीडिंग न कराने वाले यह तीन प्रतिशत कौन लोग हैं? वहीं, पश्चिम बंगाल के सांसदों द्वारा दिल्ली में प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चोरी पर सीनाजोरी करते हुए पिछले दिनों तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने कृषि भवन को घेर लिया था।
उनका मकसद अपनी बात कहना नहीं, बल्कि हंगामा करना था। गिरिराज सिंह ने दावा किया कि केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति अपने कार्यालय में रात 8.30 बजे तक बंगाल के सांसदों की प्रतीक्षा करती रहीं।
ये भी पढ़ें: तय समय सीमा से चार महीने पहले नौसेना को मिला मिसाइलों से लैस युद्धपोत इंफाल, इसकी खुबियां कर देंगी हैरान!
दरअसल, वह मिलना चाहते तो आठ, दस या बारह-पंद्रह सांसदों का प्रतिनिधिमंडल आता, पांच हजार लोगों का प्रतिनिधिमंडल नहीं होता। एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि मनरेगा के लिए फंड की कोई कमी नहीं है। यह मांग आधारित कार्यक्रम है। वित्त मंत्रालय ने पिटारा खोल रखा है।
जितनी जरूरत होगी, उतना पैसा मिल जाएगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण व दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय आजीविका मिशन की उपलब्धियां गिनाते हुए बोले कि कुछ राज्यों ने केंद्र की इस योजना को राज्य की योजना एसएलआरएम बनना दिया है। उनसे आग्रह है कि योजना में सहयोग करें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।