बंगाल में BLO नियुक्त हुए 143 शिक्षकों ने नहीं संभाला SIR का काम, अब होगी कार्रवाई
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के लिए नियुक्त 143 शिक्षकों द्वारा बीएलओ का दायित्व न संभालने पर चुनाव आयोग सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है। उन्हें निलंबन का सामना करना पड़ सकता है। सीईओ ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। मतदाताओं की शंकाएं दूर करने के लिए हेल्पलाइन नंबर '1950' शुरू किया गया है।

143 शिक्षकों ने BLO का काम नहीं संभाला
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के लिए बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) नियुक्त किए गए 143 शिक्षकों ने दायित्व नहीं संभाला। उन्हें 30 अक्टूबर को 12 बजे तक की समय सीमा दी गई थी। चुनाव आयोग के निर्देश के उल्लंघन के लिए उन्हें निलंबन का सामना करना पड़ सकता है। आयोग ने पहले ही इसकी चेतावनी दे दी थी।
अब उनके बारे में बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल से रिपोर्ट मांगी गई है। सीईओ कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि अगर सरकारी अधिकारी बीएलओ के तौर पर दायित्व नहीं संभालेंगे तो एसआइआर की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। जिन लोगों ने कार्यभार नहीं संभाला है, अब उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उन लोगों को निलंबित करने के बारे में सोचा जा रहा है।
143 शिक्षकों ने BLO का काम नहीं संभाला
अधिकारी ने आगे कहा कि कूचबिहार, मुर्शिदाबाद व कोलकाता उत्तर के कई शिक्षकों ने कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बाद भी बीएलओ के तौर पर कार्यभार नहीं संभाला। उन्होंने अनिवार्य प्रशिक्षण सत्रों में भी हिस्सा नहीं लिया। संबंधित जिला प्रशासन को उनकी सूची तैयार करके देने का निर्देश दिया गया है। मालूम हो कि सीईओ ने इस मुद्दे पर गत बुधवार को सभी जिला चुनाव अधिकारियों (डीईओ) के साथ आनलाइन बैठक भी की थी। बंगाल में 80,000 से अधिक बुथों पी बीएलओ की नियुक्ति की गई है।
मतदाताओं की शंकाएं दूर करने को हेल्पलाइन नंबर
आयोग ने एसआइआर को लेकर पारदर्शिता बनाए रखने व लोगों की शंकाएं दूर करने को मतदाता हेल्पलाइन नंबर '1950Ó शुरू किया है। सीईओ कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि लोग अब मतदाता सूची से संबंधित प्रश्न पूछने व शिकायतें दर्ज कराने के लिए विभिन्न राज्य और जिला स्तरीय सेवाओं के साथ-साथ इस हेल्पलाइन नंबर का भी उपयोग कर सकते हैं। एसआइआर चुनाव आयोग की निगरानी में एक नियमित प्रक्रिया है। बिहार में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई गई थी। इससे किसी भी वैध मतदाता का नाम छूटने की आशंका काफी कम हो जाएगी।

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