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BECA एग्रीमेंट से भारत की कई गुना बढ़ जाएगी ताकत, चीन को भी होगी चिंता, एक्‍सपर्ट व्‍यू

BECA समझौते के बाद भारत की ताकत काफी बढ़ जाएगी। इसके जरिए भारत और अमेरिका और नजदीक आएंगे। ये समझौता भारत को समुद्र में और अधिक मजबूती प्रदान करेगा। दोनों देश एक दूसरे की सेटेलाइट इमेज को देख सकेंगे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 01:53 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 02:20 PM (IST)
BECA एग्रीमेंट से भारत की कई गुना बढ़ जाएगी ताकत, चीन को भी होगी चिंता, एक्‍सपर्ट व्‍यू
अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद भारत की ताकत कई गुणा बढ़ जाएगी।

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। भारत और अमेरिका के बीच लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडेंम ऑफ एग्रीमेंट और कॉमकासा यानि कम्युनिकेशन कम्पेटेबेलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (LEMOA), जनरल सिक्‍योरिटी ऑफ मिलिट्री इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट (GSOMIA) और कम्‍यूनिकेशन एंड इंफॉर्मेशन सिक्‍योरिटी मैमोरंडम ऑफ एग्रीमेंट (CISMOA)के करार के बाद अब दोनों देश मंगलवार को बेसिक एक्सजेंज कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्पैक्टिकल कॉ-ऑपरेशन (BECA)पर हस्‍ताक्षर करने वाले हैं। इस करार से भारत को न सिर्फ काफी मदद मिलेगी बल्कि उसकी रणनीतिक ताकत में भी जबरदस्‍त इजाफा हो सकेग। यह समझौता दोनों देशों के बीच चार अहम रक्षा समझौतों की अंतिम कड़ी भी है। इस करार के बाद भारत अमेरिका के सबसे करीबी सैन्य साझेदारों की श्रेणी में खड़ा हो जाएगा।

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एक्‍सपर्ट की राय 

चीन से तनाव के मद्देनजर नौसेना के पूर्व अधिकारी कॉमोडोर रंजीत राय भी इस समझौत को काफी अहम मानते हैं। इसकी नींव पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा में रखी गई थी और दोनों देशों के बीच फाउंडेशनल एग्रीमेंट पर सहमति बनी थी। इसके तहत लिमोओ समझौता हुआ था। इसके तहत दुनिया में जहां भी अमेरिका की नौसेना मौजूद होगी उससे हम सामान ले सकेंगे। काफी समय से भारत अमेरिका से तेल लेता रहा है। एंटी पायरेसी पेट्रोलिंग के दौरान इसके लिए भारतीय नेवी के जहाज को वहां के बंदरगाह पर जाने की जरूरत नहीं होती थी और बाद में इसकी कीमत अदायगी कर दी जाती थी। इसके बाद मालाबार के दौरान भारत को अमेरिका सेंट्रिक्‍स सिस्‍टम मिलता था। ये एक इट्रेक्‍ट सिस्‍टम है। अमेरिकी नौसेना के कर्मी इसको भारतीय नौसेना के जहाज में लगाते थे। इसकी मदद से भारतीय नेवी को पेंटागन से सीधे पूरी दुनिया की लाइव सेटेलाइट तस्‍वीरें मिलती थीं। इसकी मदद से भारतीय नेवी को पता चलता था कि किस देश के जहाज कहां पर हैं। इसके बाद भारत-अमेरिका के बीच कॉमकासा एग्रीमेंट साइन किया गया। इसमें अमेरिका से भारत को कुछ दूसरे बेहद संवेदनशील और खुफिया उपकरण मुहैया करवाए गए। पहले जो सेंट्रिक्‍स सिस्‍टम केवल मालाबार के समय में भारत को मिलता था इस समझौते के बाद उसको हमेशा के लिए भारत को दे दिया गया।

मिलेगा पूरा एक्‍सेस

कॉमोडोर रंजीत के मुताबिक बीका के जरिए अब दोनों देश एक दूसरे की सेटेलाइट इमेज का इस्‍तेमाल कर सकेंगे। इसके तहत दोनों ही एक दूसरे को इसका पूरा एक्‍सेस प्रदान कर देंगे। इससे दोनों को ही काफी फायदा होगा। रंजीत ये भी मानते हैं कि चीन से चल रहे तनाव के मद्देनजर भी ये समझौता काफी अहम है। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि यदि ये सुविधा भारत को पहले हासिल हो गई होती तो चीन की लद्दाख में हुई घुसपैठ का पता समय पर लगा लिया जाता। लिहाजा ये इंटेलिजेंस के हिसाब से भी काफी बड़ा कदम है। जापान में हुई क्‍वाड की बैठक के बाद पहली बार भारत फाइव आई से जुड़ गया है। इसमें भारत अपनी जानकारियों को ब्रिटेन, अमेरिका आस्‍ट्रेलिया, न्‍यूजीलैंड और कनाडा के साथ साझा करेगा और ये देश भी भारत से जानकारियों को साझा करेंगे।

ये होगा फायदा 

इससे भारत को अमेरिका की आधुनिकतम नौवहन व हवाई जहाज से जुड़ी तकनीक के अलावा क्रूज व बैलिस्टिक मिसाइलों से जुड़ी तकनीक मिलने का रास्ता आसान हो जाएगा। चीन के साथ जारी तनाव को देखते हुए ये करार काफी अहम है। इस करार के तहत भारत अमेरिका के जियो-स्ट्रेटेजिकल मैप, सैटेलाइट इमेजरी, और दूसरा क्लासीफाइड डाटा इस्तेमाल कर सकेगा, जो भविष्‍य की रणनीति बनाने में भारत की मदद कर सकेंगे। इसके अलावा इस करार से भारत को क्रूज और बैलेस्टिक मिसाइल सहित ड्रोन अटैक से सटीक निशाना लगाने में मदद मिल सकेगी। भारत अमेरिका के एयरोनॉटिक और नेविगेशन चार्ट्स, जियो-मैगनेटिक, जियो-फिजीकल और ग्रेवेटी डाटा का भी इस्‍तेमाल कर सकेगा। इस करार के बाद भारत को प्रशांत महासागर में नेविगेशन में मदद मिलेगी। बीका से अमेरिका के आधुनिकतम नौवहन व वायु सेना के लिए जरूरी उपकरणों की आपूर्ति आसान हो जाएगी।

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