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    सरकार ने 'बैंकिंग कानून' में कर दिया बड़ा संशोधन, अब गवर्नमेंट बैंकों को मिल गया ये अधिकार

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 11:16 PM (IST)

    सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम 2025 में संशोधन अधिसूचित किए हैं जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बिना दावे वाले शेयर और बॉन्ड राशि को निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (आईईपीएफ) में स्थानांतरित कर सकेंगे। यह उन्हें कंपनी कानून के तहत कंपनियों की श्रेणी में लाता है। संशोधनों से बैंकों को लेखा परीक्षकों को भुगतान करने और उच्च-गुणवत्ता वाले लेखा परीक्षा पेशेवरों की नियुक्ति में मदद मिलेगी।

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    कंपनी कानून के तहत काम करने वाली कंपनियों की श्रेणी में आए (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 में संशोधनों को अधिसूचित कर दिया है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बिना दावे वाले शेयर, ब्याज और बॉन्ड राशि को निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (आईईपीएफ) में स्थानांतरित करने की अनुमति देता है।

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    इसके साथ, वे कंपनी कानून के तहत काम करने वाली कंपनियों की श्रेणी में आ गए हैं। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि ये संशोधन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वैधानिक लेखा परीक्षकों को पारिश्रमिक प्रदान करने, उच्च-गुणवत्ता वाले लेखा परीक्षा पेशेवरों की नियुक्ति को सुगम बनाने और लेखा परीक्षा मानकों को बेहतर बनाने का अधिकार भी देते हैं।

    1968 के बाद हुआ ऐसा संशोधन

    इसके अलावा, राजपत्र में प्रकाशित 29 जुलाई, 2025 की अधिसूचना ने 'किसी कंपनी में पर्याप्त हित' की सीमा को भी पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया है। 'किसी कंपनी में पर्याप्त हित' की सीमा में 1968 के बाद संशोधन किया गया है।

    बैंकिंग कानून अधिनियम के तहत, किसी कंपनी में पर्याप्त हित का अर्थ पांच लाख रुपये से अधिक के शेयर या कंपनी की चुकता पूंजी का 10 प्रतिशत हिस्सेदारी धारण करने से है।

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