उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ नई FIR दर्ज करने पर रोक, सनातन धर्म संबंधी टिप्पणी से जुड़ा है मामला
Udhayanidhi Stalin सनातन धर्म संबंधी टिप्पणी मामले में उदय निधि के खिलाफ नयी एफआइ दर्ज करने पर रोक लगाई गई है। तमिलनाडु के डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज एफआइआर को साथ जोड़े जाने की मांग की है। स्टालिन ने एक सम्मेलन में सनातन धर्म की तुलना मलेरिया-डेंगू से करते हुए कहा था कि इसे मिटाना जरूरी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सनातन धर्म पर विवादास्पद टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ कोई भी नयी प्राथमिकी (एफआइआर) दर्ज करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने स्टालिन की देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज मामलों को एक साथ संलग्न करके एक जगह सुनवाई करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि कोर्ट की अनुमति के बगैर कोई नयी एफआइआर नहीं दर्ज की जाएगी।
साथ ही कोर्ट ने स्टालिन को अदालत में पेशी से छूट का अंतरिम आदेश भी जारी रखा है। हालांकि महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उदयनिधि के बयान को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए एफआइआर दर्ज करने पर रोक का जोरदार विरोध किया। कहा स्टालिन ने सनातन धर्म को समाप्त करने के बारे में बयान दिया है, केवल इसलिए कि जिस समुदाय को समाप्त करने की बात की गई है वह हिंसक प्रतिक्रिया नहीं देता, ऐसा नहीं कहा जा सकता।
क्या बयान दिया था स्टालिन ने?
उदयनिधि स्टालिन ने सितंबर 2023 में एक कार्यक्रम में कहा था कि जैसे डेंगू मच्छर, मलेरिया और करोना को मिटाने की जरूरत है, वैसे ही सनातन धर्म को भी मिटाना होगा। इस बयान पर उदयनिधि के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में मामले दर्ज हुए हैं। स्टालिन ने सभी मामलों को साथ संलग्न कर सुनवाई करने की मांग की है।
कोर्ट ने नई एफआईआर दर्ज करने पर रोक लगाई
गुरुवार को उदयनिधि की याचिका पर प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने सुनवाई की। स्टालिन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ दर्ज मामलों को साथ संलग्न कर तमिलनाडु के बजाए कर्नाटक में सुनवाई के लिए भेज दिया जाए। लेकिन सालिसिटर जनरल ने इसका विरोध किया। लेकिन कोर्ट ने नये जोड़े गए मामलों में प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट की अनुमति के बगैर कोई भी नयी एफआइआर दर्ज करने पर रोक लगा दी।
अप्रैल में फिर होगी केस की सुनवाई
केस पर अप्रैल में फिर सुनवाई होगी। उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ कोई नयी एफआइआर दर्ज करने पर रोक का विरोध करते हुए महाराष्ट्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर किसी और राज्य का नेता किसी भी और धर्म को समाप्त किये जाने की बात कहता तो आफत मच जाती। उन्होंने कहा कि केवल इसलिए कि जिस समुदाय को समाप्त करने की बात की गई है वह हिंसक प्रतिक्रिया नहीं देता, ऐसा नहीं कहा जा सकता। लेकिन कोर्ट ने कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे क्योंकि उसका केस पर असर पड़गा।
पीठ ने और क्या कहा?
पीठ ने कहा कि वह मामले की मेरिट पर विचार नहीं कर रहे हैं इसलिए उस पर दलीलें न दी जाएं। मेहता ने नफरती भाषण के संबंध में ही दूसरी पीठ में लंबित मामले का जिक्र करते हुए कोर्ट से कहा कि उस केस को भी इसी के साथ संलग्न कर लिया जाए ताकि सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार हो। मेहता ने कहा कि उस मामले में तो कोर्ट ने केस दर्ज करने के आदेश दिये हैं। लेकिन कोर्ट इसके लिए राजी नहीं हुआ।
मेहता शाहीन अब्दुल्ला की रिट याचिका का उल्लेख कर रहे थे जो दूसरी पीठ के समक्ष लंबित है। उस मामले में कोर्ट ने हिन्दू लीडर द्वारा नफरती भाषण की आशंका जताए जाने पर पुलिस को एतिहाती कदम जैसे वीडियोग्राफी आदि करने को कहा था। उस मामले में कोर्ट ने एफआइआर दर्ज करने के भी निर्देश दिये थे।
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