माओवाद प्रभावित बालाघाट में रोजगार क्रांति... 7 महीने में 3800 युवाओं ने पाई देश की नामी कंपनियों में नौकरी
बालाघाट, जो माओवाद से प्रभावित था, अब रोजगार क्रांति का केंद्र बन गया है। पिछले सात महीनों में 3800 युवाओं को प्रतिष्ठित कंपनियों में नौकरियाँ मिली हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। यह बदलाव जिले के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और युवाओं को बेहतर भविष्य की ओर ले जा रहा है।

अहमदाबाद में टाटा मोटर्स में काम करने पहुंचे युवा
माही महेश चौहान, बालाघाट। वर्षों से बंदूकों के साये में रह रहे मध्य प्रदेश के माओवाद प्रभावित बालाघाट जिले की पहचान अब तेजी से बदल रही है। मार्च 2026 तक लाल आतंक के खात्मे के ऐलान के बाद माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं। इसी बीच जिले में रोजगार क्रांति आंदोलन का रूप ले रही है।
दरअसल, जिले में बेरोजगारी और पलायन हमेशा से गंभीर विषय रहा है। सामाजिक संस्थाओं ने युवाओं की जरूरत को समझा। ग्राम पंचायतों से युवाओं की सूची तैयार कराई। सामूहिक प्रयासों ने ऐसा असर दिखाया कि सात महीने में 3800 युवाओं को टाटा और एप्पल जैसी कंपनियों में नौकरी का अवसर मिल गया।
हर हाथ कौशल-हर हाथ रोजगार
पलायन रोकने और रोजगार दिलाने के उद्देश्य से अनुभवी समाजसेवियों और प्रशासन के अधिकारियों ने हर हाथ कौशल, हर हाथ रोजगार योजना से जमीनी स्तर पर काम शुरू किया। योजनाबद्ध तरीके से 690 गांवों के सरपंच व सचिवों से संपर्क साधा। गांवों में बेरोजगारों का सर्वे कराकर सूची तैयार की।
जल्द मिलेगा दस हजार युवाओं को काम
युवाओं को बेहतर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए टाटा मोटर्स, टाटा इलेक्ट्रॉनिक, फॉक्सकॉन, एमआरएफ, बजाज, महेंद्रा और इंदौर के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियों से बातचीत शुरू की। बालाघाट से गए दल ने कंपनियों में जाकर उनकी जरूरतों को समझा। टाटा मोटर्स व टाटा इलेक्ट्रॉनिक ने 10 हजार युवाओं की नियुक्ति को लेकर हामी भरी है।
जिल के युवा बड़ी कंपनियों में अच्छा काम कर रहे हैं। यह सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो सका है। रोजगार मेलों के जरिए कार्ययोजना बनाकर काम किया गया। सरपंच, सचिवों से संपर्क साधकर गांवों में बेरोजगार युवाओं का सर्वे कर उन्हें रोजगार के लिए जागरूक करने का काम किया है। ऐसी कंपनियां जो सही मायने में युवाओं को रोजगार मुहैया करा रही हैं, उनसे संपर्क करने से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।
- मृणाल मीना, कलेक्टर, बालाघाट
मुहिम से जुड़े समाजसेवी आशीष मिश्रा, तपेश असाटी बताते हैं कि युवाओं का चयन होने के बाद भी वे घर से दूर जाने में संकोच कर रहे थे। प्रशासन के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम के जरिए युवाओं व उनके स्वजन से संवाद कर कंपनियों में मिलने वाली सुविधाएं साझा की। तब जाकर बात बनी। बेंगलुरु में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी में काम करने वाली युवतियां खुश हैं। जल्द ही उनसे टेली कॉन्फ्रेंसिंग कराई जाएगी, ताकि रोजगार की इच्छुक अन्य युवतियां उनसे प्रेरित हो सकें।
यह है स्थिति
- टाटा इलेक्ट्रॉनिक कंपनी मोबाइल बनाने का काम करती है और उसके बेंगलुरु में पांच प्लांट हैं।
- यहां युवतियों के लिए पांच हजार पद हैं। बालाघाट की 800 से अधिक युवतियां इस कंपनी में काम कर रही हैं।
- टाटा मोटर्स अहमदाबाद में तीन हजार से अधिक युवक काम कर रहे हैं।
ये सुविधाएं मिल रहीं
- कंपनी की ओर से पॉलीटेक्निक की पढ़ाई कराई जाएगी। अनुभव प्रमाण-पत्र व तीन साल बाद डिप्लोमा मिलेगा।
- वर्तमान में 15 से 20 हजार रुपये मानदेय के अलावा रहने व भोजन की सुविधा दी जा रही है। तीन साल बाद वेतन 40 हजार तक पहुंच सकता है।
रोजगार की ये स्थिति
- 2024 में करीब चार हजार युवाओं का पंजीयन हुआ। लगभग तीन हजार को आफर लेटर दिए गए और दो हजार युवा नौकरी पर गए। ज्यादातर युवक पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में गए, जहां 10-15 हजार रुपये ही मिलते थे।
- 2025 में अप्रैल माह से लेकर नवंबर तक आठ हजार युवाओं का पंजीयन हुआ। छह हजार को ऑफर लेटर दिए और 3800 से अधिक नौकरी कर रहे हैं।
ऐसी सुविधाएं और सुरक्षा मिले तो हर कोई तैयार
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स में कार्यरत गायत्री पटले ने बताया कि वह उत्पादन जांचने का काम करती है। यहां जैसी सुविधाएं और सुरक्षा मिले तो हर लड़की काम करने को तैयार होगी। युवा घर से बाहर जाने की झिझक को दूर करें।

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