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    बैडमिंटन कहीं बीते जमाने की बात न हो जाए, शटल कॉक के उत्पादन में कमी से बढ़ रहा संकट

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 07:06 AM (IST)

    लोकप्रिय खेल बैडमिटन इस समय एक अप्रत्याशित संकट से गुजर रहा है। गूस (बतख जैसे दिखने वाले पक्षी) बतख और हंस के पंख से बनने वाली बैडमिंटन की चिड़िया (शटल कॉक) के उत्पादन में कमी आ रही है।सूत्रों के मुताबिक हैदराबाद स्थित पुलेला गोपीचंद अकादमी के पास अब केवल दो सप्ताह का शटल कॉक स्टॉक बचा है। यूरोप में भी फ्रांस जैसे देशों ने इसी तरह की चिंता जताई है।

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    चीनियों के बदलते खानपान से खतरे में बैडमिंटन की चिड़िया (सांकेतिक तस्वीर)

     जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। लोकप्रिय खेल बैडमिंटन इस समय एक अप्रत्याशित संकट से गुजर रहा है। गूस (बतख जैसे दिखने वाले पक्षी), बतख और हंस के पंख से बनने वाली बैडमिंटन की चिड़िया (शटल कॉक) के उत्पादन में कमी आ रही है।

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    गुणवत्तापूर्ण शटल प्राप्त करने में कठिनाई झेल रहे

    दुनियाभर में राष्ट्रीय बैडमिंटन संघ अपने शटलरों के लिए गुणवत्तापूर्ण शटल प्राप्त करने में कठिनाई झेल रहे हैं, जिन्हें मिल भी रहे हैं, उन्हें सामान्य दरों से कहीं अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।

    सूत्रों के मुताबिक हैदराबाद स्थित पुलेला गोपीचंद अकादमी के पास अब केवल दो सप्ताह का शटल कॉक स्टॉक बचा है। यूरोप में भी फ्रांस जैसे देशों ने इसी तरह की चिंता जताई है। यहां तक कि कुछ ने जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं में वैकल्पिक उपायों पर विचार करना शुरू कर दिया है।

    बैडमिंटन खेल की नींव को हिला सकता है ये संकट

    यह संकट इतना गंभीर है कि खेल की नींव को हिला सकता है। हालांकि कुछ साल पहले विश्व बैडमिंटन संघ (बीडब्ल्यूएफ) ने सिंथेटिक शटल कॉक के इस्तेमाल की अनुमति दी थी लेकिन बाद में तकनीकि कारणों से इस फैसले को वापस ले लिया गया था। पशुओं के लिए काम करने वाले कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठन वेगन बैडमिंटन मुहिम भी चला रहे हैं। वे चाहते हैं कि बैडमिंटन में इस्तेमाल होने वाली शटलकॉक में पंख का इस्तेमाल नहीं हो।

    चीन की बदलती खाद्य आदतें

    भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआइ) के एक पदाधिकारी ने कहा कि शटल की यह कमी वास्तविक है और आश्चर्यजनक रूप से इसकी जड़ चीन की बदलती खाद्य आदतों में छिपी है।

    दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाला देश के लोग पहले पारंपरिक तौर पर बतख, गूस और हंस का मांस खाते थे लेकिन अब वहां पर सूअर का मांस ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इस बदलाव ने गूस, बतख और हंस की खपत को तेजी से घटा दिया है। शटल कॉक के पंख पोल्ट्री प्रसंस्करण का उप-उत्पाद होते हैं।

    चीन में लोग गूस, हंस और बतख का मांस कम खा रहे

    उन्होंने बताया कि सबसे बेहतरीन शटल गूस और हंस के पंख से बनते हैं। शटल कॉक बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी योनिक्स भले ही जापान की हो लेकिन उनके सभी शटल कॉक चीन में ही बनते हैं। अब चीन में लोग गूस, हंस और बतख का मांस कम खा रहे हैं, इसलिए निर्माताओं को पंख नहीं मिल पा रहे।

    एक शटल कॉक बनाने में 16 पंख लगते हैं

    एक शटल कॉक बनाने में 16 पंख लगते हैं और समस्या यह है कि शटल कॉक बहुत जल्दी खराब हो जाती है। एक सामान्य सिंगल्स मैच में लगभग दो दर्जन तक शटल कॉक का इस्तेमाल हो जाता है। असली पंख की कमी के कारण शटल कॉक के दामों में बहुत उछाल आ गया है।

    विकल्प तलाशने का अनुरोध किया

    बीएआइ ने इस मुद्दे को बीडब्ल्यूएफ के सामने रखा है और विकल्प तलाशने का अनुरोध किया है। पदाधिकारी ने बताया कि हमने बीडब्ल्यूएफ से बैठक में बात की। उन्होंने कुछ समय पहले कृत्रिम पंख वाले शटल का परीक्षण किया था, लेकिन उनमें सटीकता की समस्या थी।

    इसलिए उस विचार को छोड़ दिया गया लेकिन अब उन्हें इसे दोबारा देखना होगा। खेल लगातार बढ़ रहा है और शटल की समस्या और बढ़ेगी। योनिक्स और ली-निंग जैसे बड़े निर्माता पहले से ही हाइब्रिड शटल कॉक पर काम कर रहे हैं।

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