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अयोध्या की सरजमीं से मसूद अजहर ने खाई थी जिहादी चरमपंथ की कसम

भारत में दहशतगर्दी के लिए मसूद ने दो दशक पहले अपनी आंखें गडा़ई थीं। कम ही लोग जानते होंगे कि 29 जनवरी 1994 में जब वह पहली बार भारत आया था, तो वह कश्‍मीर की जगह अयोध्‍या गया था।

By anand rajEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2016 12:59 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2016 04:38 PM (IST)
अयोध्या की सरजमीं से मसूद अजहर ने खाई थी जिहादी चरमपंथ की कसम

नई दिल्ली। पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों पर नकेल कसते हुए जैश-ए-मोहम्मद पर कार्रवाई करके उसके संस्थापक मौलाना मसूद अजहर को गिरफ्तार कर लिया। माना जा रहा है कि पठानकोट के एयरबेस पर और अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में भारतीय दूतावास पर हमला कराने के पीछे उसी का हाथ था।

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भारत में दहशतगर्दी के लिए उसने दो दशक पहले अपनी आंखें गडा़ई थीं। कम ही लोग जानते होंगे कि 29 जनवरी 1994 में जब वह पहली बार भारत आया था, तो वह कश्मीर की जगह अयोध्या गया था। यह उसके लिए बहुत अहम जगह थी क्योंकि बाबरी मजिस्द ढ़हाए जाने के बाद उसके अंदर जिहाद की आग भड़क गई थी।

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अपने अनुभवों को बयां करते हुए उसने कहा था- मुझे वह दिन याद है, जब मैं वहां खड़ा था। मेरे सामने बाबरी मजिस्द का मलबा पड़ा था। गुस्से में मैं जमीन पर पैर पटक रहा था। अपने जूतों से हिंदुस्तान की मिट्टी को मसलते हुए मैंने कहा था- ओ बाबरी मस्जिद, हम शर्मिंदा हैं। ओ बाबरी मस्जिद हमें माफ कर दो। तुम हमारे गौरवशाली इतिहास की निशानी थी, और जब तक हम तुम्हें वह पूर्व का गौरव नहीं दे देते, शांत नहीं बैठेंगे।

मसूद के इस घृणित बातों को खुफिया एजेंसी के अधिकारियों ने उन टेप से हासिल किया था, जो पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के बहावलपुर में खुले आम बिकते थे। इन लफ्जों के जरिये वह नए जिहादियों को प्रेरित करता था।

उसी साल यानी वर्ष 1994 में मसूद अजहर कश्मीर घाटी में एक पुर्तगाली पासपोर्ट पर सफर करने के दौरान गलती से गिरफ्तार हुआ था। कई एजेंसियां उसे छोटी मछली मान रही थीं, लेकिन जब अजीत डोभाल ने इस मामले में हस्तक्षेप किया, तो पूरा मामला ही बदल गया।

उसे हरकत उल अंसार और हरकत उल जिहादी को एक करने की कोशिश में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत में भेजा था, ताकि वे मिलकर कश्मीर घाटी और देश के अन्य हिस्सों में आतंकी हमले कर सकें। दिसम्बर 1999 को उसे एयर इंडिया के हाईजैक किए गए विमान IC-814 के यात्रियों को छोड़ने के बदले में रिहा कर दिया गया था।

रिहा होने के बाद उसने जैश-ए-मोहम्मद नाम का आतंकी संगठन बनाया। शुरू में वह कराची की बिनौरी मजिस्द के बाद जामिया इस्लामिया स्कूल में पढ़ाता था। मसूद वहां हरकत-उल-मुजाहिदीन के छात्रों के संपर्क में आया। यह आतंकी संगठन तब अफगानिस्तान में सक्रिय था और बाद में मसूद के कारण ही उसकी गतिविधियां कश्मीर तक फैल गई थीं।


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