Baba Neem Karoli: भगवान हनुमान के थे भक्त बाबा नीम करोली, गृहस्थ जीवन जीते हुए अध्यात्म से खुद को जोड़ा
नीम करोली बाबा का नाम सुनते ही उनके भक्त एक अलग दुनिया में पहुंच जाते हैं। उनका जन्म 1900 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। बाबा एक हिंदू गुरु थे और वह भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे।

नई दिल्ली, जेएनएन। वृंदावन की भूमि पर बाबा नीम करोली बहुत प्रसिद्ध है। लेकिन हाल के दिनों में यह पूरे देश में चर्चा का विषय बना, जब क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा अपनी बेटी के साथ एक आश्रम में बाबा नीम करोली के स्थान पहुंचे। लोगों के बीच नीम करोली बाबा को जानने को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। इस खबर में आपकी जिज्ञासा और मन में उठे तमाम सवालों के जवाब मिल जाएंगे। तो आइए विस्तार से जानिए बाबा नीम करोली के बारे में और उनके आश्रम तक पहुंचने की सभी जरूरी जानकारी।
भगवान हनुमान की भक्ति करते थे बाबा नीम करोली
नीम करोली बाबा का नाम सुनते ही उनके भक्त एक अलग दुनिया में पहुंच जाते हैं। उनका जन्म 1900 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। बाबा एक हिंदू गुरु थे और वह भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे। उनके अनुयायी उन्हें महाराज-जी के रूप में बुलाते थे। नीम करोली बाबा का शुरुआती नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था, जो एक धनी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे।
आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि उनके माता-पिता ने उनका विवाह सिर्फ 11 साल की उम्र में ही कर दिया था। लेकिन उन्होंने साधु बनने के लिए अपना घर-बार सब त्याग दिया था। लेकिन उनके पिता बाबा के संन्यास लेने के खिलाफ थे। उन्होंने इसपर आपत्ति जताते हुए, बाबा को वापस घर लेकर आ गए। लेकिन बाबा भक्ति में डूबकर भी अपना गृहस्थ जीवन जीना शुरू किया। बता दें कि नीम करोली बाबा के दो बेटे और एक बेटी है।
स्टीव जॉबस से लेकर मार्क जुकरबर्ग की नीम करोली बाबा में है आस्था
नीम करोली बाबा की दिव्य शक्तियों का लोहा हर कोई मानता है। बाबा के पास साल 1974 में स्टीव जॉब्स अपने दोस्त डैन कोट्टके के साथ पहुंचे थे। वह उस दौरान हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने के लिए भारत आए थे। इसके बाद स्टीव जॉब्स से प्राभिवत होकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी 2015 में बाबा नीम करोली के कैंची धाम आश्रम पहुंचे थे। इसके अलावा, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी उनसे प्रभावित हैं।
बाबा को बीच रास्ते उतारने पर ठप्प पड़ गई ट्रेन
बाबा कि शक्तियों को लोहा खासकर तब लोगों ने माना, जब एक बार ट्रेन से यात्रा कर रहे बाबा को टिकट न होने पर टिकट क्लेकटर ने ट्रेन रूकवाकर उन्हें नीचे उतार दिया। इसके बाद जो हुआ उसने सभी को हिला दिया। बाबा को ट्रेन से उतारने के बाद ट्रेन दोबारा चालू नहीं हो सकी। इसके बाद जब कुछ लोगों ने बाबा को वापस ट्रेन में बुलाने के लिए कहा, तो बाबा ने शर्त रखी कि रेलवे साधुओं का सम्मान करे और जिस जगह बाबा उतरे हैं, वहां एक रेलवे स्टेशन बनवाया जाए। क्योंकि, यात्रियों को स्टेशन के लिए बहुत दूर चलना पड़ता था।
इसके बाद वह ट्रेन में चढ़े, जिसके बाद ट्रेन तुरंत चालू हो गई। रेलवे ने अब वहां नीम करोली स्टेशन बना दिया है। डायबिटिक कोमा में चले जाने के बाद 11 सितंबर 1973 को वृंदावन के एक अस्पताल में नीम करोली बाबा की मृत्यु हो गई थी। उनके शिष्य राम दास और लैरी ब्रिलियंट ने बर्कले, कैलिफोर्निया में 'सेवा फाउंडेशन' की स्थापना की थी, जिसे स्टीव जॉब्स द्वारा वित्त पोषित किया गया था। आपको बता दें कि बाबा नीम करोली के आश्रम सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में भी हैं।
मथुरा में बाबा का आश्रम
बाबा नीम करोली का दूसरा आश्रम उत्तर प्रदेश के वृंदावन में है। यहां उनका महासमाधि मंदिर भी है। वृंदावन बस स्टैंड से बाबा का आश्रम सिर्फ करीब 02 किमी की दूरी पर है। रेलवे स्टेशन से भी आश्रम की दूरी 02 किलोमीटर है।
उत्तराखंड के आश्रम में जाने का रूट
उत्तराखंड में काठगोदाम तक जाने के लिए उत्तर रेलवे की नियमित ट्रेनें चलती हैं। यहां से कैंची धाम आश्रम पहुंचने के लिए दो घंटे की यात्रा कर बस या कार से पहुंचा जा सकता है।
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