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    Ayodhya Case: मंदिर मस्जिद ईदगाह और दशरथ के घर लेबर रूम तक पहुंची बहस, सिर्फ 7 दिन शेष

    By Tilak RajEdited By:
    Updated: Thu, 03 Oct 2019 01:49 PM (IST)

    अयोध्या राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे की सुप्रीम कोर्ट में 35 दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है। ...और पढ़ें

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    Ayodhya Case: मंदिर मस्जिद ईदगाह और दशरथ के घर लेबर रूम तक पहुंची बहस, सिर्फ 7 दिन शेष

    नई दिल्ली, माला दीक्षित। अयोध्या राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे की सुप्रीम कोर्ट में 35 दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है। 18 अक्टूबर तक बहस पूरी हो जाएगी और माना जा रहा है कि इस बीच कोर्ट के पास सिर्फ सात दिन का कार्यदिवस बाकी है। इस दौरान बहस कई दौरों से गुजरी। कभी मंदिर, कभी मस्जिद तो कभी दशरथ के घर लेबर रूम तक पहुंची। आकाश, पाताल ब्रह्मांड और ज्योतिष के साथ राजा महाराजाओं के काल से लेकर मुगल बादशाहत व अंग्रेजों की समुदायों को बांटने की नीति तक पर चर्चा हुई। अपना-अपना दावा साबित करने के लिए दोनों पक्षों ने इतिहास, आध्यात्म, आस्था, कानून और संविधान सभी का हवाला दिया। कोर्ट ने भी बहुत से सवाल पूछे। महीने भर से ज्यादा से चल रही वकीलों की इस बहस के बीच अयोध्या में राम जन्मभूमि डूबती उतराती रही।

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    पहली बार भूमि को न्यायिक व्यक्ति बनाया गया

    यह एक ऐसा केस है जिसमें पहली बार किसी भूमि को न्यायिक व्यक्ति बताते हुए उसकी ओर से मुकदमा दाखिल किया गया है। रामलला की ओर से निकट मित्र देवकी नंदन अग्रवाल द्वारा दाखिल किये गए मुकदमे में भगवान राम विराजमान के अलावा जन्मस्थान को भी मुकदमे का एक पक्षकार बनाया गया है। यानी जन्मस्थान ने जमीन पर अलग से एक न्यायिक व्यक्ति की हैसियत से मालिकाना हक का दावा किया है। भूमि को न्यायिक व्यक्ति मानने की इस नई अवधारणा पर कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से हफ्तों बहस चली है।

    हिन्दू और इस्लाम की अवधारणा पर हुई बहस

    इस मामले में हिन्दू और इस्लाम धर्म की मान्यताओं और अवधारणाओं पर लंबी बहस हुई। हिन्दुओं ने कहा कि विवादित ढांचा मस्जिद नहीं था, क्योंकि वहां पाए गए कसौटी के खंबों में हिन्दू देवता के चित्र अंकित थे कमल, कलश और पल्लव थे जो कि किसी मस्जिद में नहीं हो सकते। बाबर सुल्तान था और इस्लाम में सुल्तान भी धर्म के आधीन होता है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का दावा था कि मस्जिद में जहां नमाज होती है सिर्फ उस जगह मूर्ति नहीं होती, लेकिन फूल पत्ती की सजावट हो सकती है। यह भी कहा कि बाबर संप्रभु शासक था और वह इस्लाम के आधीन नहीं था। इस्लाम और शरीयत की बात करें तो बाबर का इब्राहिम लोदी से युद्ध करना भी गलत था, क्योंकि इस्लाम मुसलमान को मुसलमान की हत्या करने की मनाही करता है।

    आईने अकबरी और बाबरनामा मे मस्जिद का जिक्र न होने का उठा मामला

    बहस के दौरान बाबारनामा और आईने अकबरी में मस्जिद का जिक्र न होने का भी मामला उठा। हिन्दू पक्ष ने कहा कि बाबरनामा में मस्जिद का जिक्र नहीं है। मस्लिम पक्ष ने कहा कि बाबरनामा के दो दिन के पेज गायब हैं, लेकिन इसका मतलब नहीं कि बाबर अयोध्या नहीं आया था। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि आईने अकबरी में जन्मस्थान मंदिर का जिक्र नहीं है तो कोर्ट ने सवाल किया कि क्या उसमें मस्जिद का जिक्र है। मुस्लिम पक्ष ने कहा नहीं है। इसमें सिर्फ महत्वपूर्ण चीजों का जिक्र है। कोर्ट ने उस मस्जिद के महत्वपूर्ण न होने की दलील पर भी सवाल पूछा।