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Ayodhya Case: हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी, जल्द फैसले की उम्मीद बढ़ी, जानें- अब तक क्या-क्या हुआ

Ayodhya Case में प्रतिदिन सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट का प्रयास है कि नवंबर में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले इस संवेदनशील केस में फैसला सुना दिया जाए।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 10:15 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 12:15 AM (IST)
Ayodhya Case: हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी, जल्द फैसले की उम्मीद बढ़ी, जानें- अब तक क्या-क्या हुआ
Ayodhya Case: हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी, जल्द फैसले की उम्मीद बढ़ी, जानें- अब तक क्या-क्या हुआ

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। देश के सबसे संवेदनशील और चर्चित मामलों में शामिल अयोध्या केस (Ayodhya Case) की सुप्रीम कोर्ट में प्रतिदिन सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी हो चुकी हैं। केस में अब तक जिस तरह से सुनवाई हुई है, उससे नवंबर तक इसका फैसला आने की उम्मीद काफी बढ़ गई है। जानें- सुप्रीम कोर्ट में अब तक की सुनवाई में क्या-क्या हुआ?

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अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट 06 अगस्त 2019 से प्रतिदिन सुनवाई कर रहा है। प्रतिदिन सुनवाई वाले मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट में आमतौर पर तीन दिन ही निर्धारित हैं, लेकिन अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय सोमवार से शुक्रवार तक, पांच दिन सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट का प्रयास है कि नवंबर तक इस केस में फैसला सुना दिया जाए।

पांच जजों की बेंच कर रही सुनवाई
अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल हैं। चीफ जस्टिस का नवंबर में रिटायरमेंट है। अगर बेंच ने उनके रिटायरमेंट से पहले फैसला नहीं सुनाया तो नए जज के सुनवाई में शामिल होने पर फिर से पूरे केस की सुनवाई शुरू करनी पड़ेगी। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में प्रतिदिन सुनवाई के लिए तीन दिन की व्यवस्था को खत्म कर पांच दिन सुनवाई कर रहा है।

क्या है अयोध्या विवाद
अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद की 2.77 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मालूम हो कि छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था। इसके बाद देश भर में दंगे भड़क गए थे। इन दंगों में काफी संख्या में लोग मारे गए। विवादित ढांचा गिराए जाने से पहले ही विवादित ढांचे के मालिकाना हक की लड़ाई शुरू हो गई थी। इस मामले में पहला मुकदमा 1951 में दर्ज हुआ था। तब से जमीन के मालिकाना हक को लेकर विक्षिन्न पक्षों में विवाद चल रहा है। जिला अदालत और हाईकोर्ट से होते हुए अयोध्या केस अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है। 70 वर्ष से चल रहे इस विवाद की सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने शुक्रवार को अपनी दलीलें पूरी कर ली हैं। अब मुस्लिम पक्षकार सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें रखेंगे।

अब तक हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में अब तक हुई सुनवाई में रामलला, निर्मोही अखाड़ा, ऑल इंडिया राम जन्मस्थान पुनरुर्त्थान समिति, हिंदू महासभा के दो पक्ष, शिया वक्फ बोर्ड और गोपाल सिंह विशारद के कानूनी उत्तारिधाकिरयों की दलीलें पूरी हो चुकी हैं। दलीलों समेत पूरे केस की सुनवाई में कम से कम समय लगे, इसलिए केस की प्रतिदिन सुनवाई करने से पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों के वकीलों को विशेष निर्देश दिए थे। पक्षकारों को निर्देशित किया गया था कि वह अपना अलग और स्पष्ट तर्क रखेंगे। दूसरों की बात को दोहराएंगे नहीं।

ये है पांच जजों की बेंच
अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को रिटायर हो जाएंगे। माना जा रहा है कि उनके सेवानिवृत्त होने से पहले ही इस केस में फैसला आ जाएगा। लोगों को 70 साल से इस केस में फैसला आने का इंतजार है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने लटकाने का किया प्रयास
सुप्रीम कोर्ट की नियमित सुनवाई का सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विरोध किया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने नियमित सुनवाई का ये कहकर विरोध किया था कि इससे सुनवाई के लिए तैयारी करने का पर्याप्त समय नहीं मिलेगा। धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह अपनी दलीलों के लिए 20 दिन का समय लेंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात न मानते हुए नियमित सुनवाई जारी रखी। अब चूंकि हिंदू पक्षकारों की दलीलें बहुत कम समय में पूरी हो चुकी हैं तो अगर राजीव धवन अपनी दलीलों के लिए 20 दिन का समय लेते भी हैं, तो भी सुप्रीम कोर्ट के पास फैसला सुनाने के लिए एक महीने से ज्यादा समय का वक्त होगा।

शुक्रवार को हुई सुनवाई
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में शिया वक्फ बोर्ड की दलीलें सुनी। शिया वक्फ बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि हमने इमाम तो सुन्नी रखा , लेकिन मुतवल्ली हम ही थे। मालूम हो कि शिया वक्फ बोर्ड मुख्य मुकदमे में पार्टी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इनसे पूछा कि जब उनकी अपील सिविल अदालत से खारिज हो गई थी तो उन्होंने दोबारा अपील क्यों नहीं की। इस पर शिया वक्फ बोर्ड के वकील एमसी धींगरा ने कहा कि तब हम डरे हुए थे। मालूम हो कि शिया वक्फ बोर्ड ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि मस्जिद 1855 से हमारे कब्जे में थी। 1936 में वक्फ कानून बना तो शिया और सुन्नी वक्फों की सूची बनाई गई। तब मस्जिद हमारे कब्जे में आई थी। 1944 में इन संपत्तियों की अधिसूचना जारी की गई।

सामने आए राम के कई वंशज
सुप्रीम कोर्ट में अब तक चली सुनवाई में सबसे दिलचस्प मोड़ उस वक्त आया जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रभु श्रीराम के वंशजों के बारे में पूछा। इसके बाद से कई लोग राम के वंशज होने का दावा सुप्रीम कोर्ट में पेश कर चुके हैं। जयपुर की राजकुमारी व भाजपा नेता दिया कुमारी ने राम का वंशज होने के ऐतिहासिक सबूत भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए हैं। इसमें ऐतिहासिक वंशावली और अयोध्या राम जन्म भूमि का ऐतिहासिक नक्शा भी शामिल है।

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