Move to Jagran APP

Ayodhya Case: ये सिर्फ मालिकाना हक का नहीं, बल्कि दो समुदायों के बीच आस्था का मुकदमा है

अयोध्या राम जन्मभूमि मामला अब महज जमीन पर मालिकाना हक का मुकदमा नहीं है बल्कि दो समुदायों के बीच मुकदमा है। जो भी फैसला आएगा वह दोनों समुदायों पर बाध्यकारी होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 11:16 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 11:16 PM (IST)
Ayodhya Case: ये सिर्फ मालिकाना हक का नहीं, बल्कि दो समुदायों के बीच आस्था का मुकदमा है
Ayodhya Case: ये सिर्फ मालिकाना हक का नहीं, बल्कि दो समुदायों के बीच आस्था का मुकदमा है

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आजकल अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई चल रही है। कहने को तो यह विवादित जमीन पर मालिकाना हक का मुकदमा है, लेकिन यह महज जमीन पर मालिकाना हक का मुकदमा नहीं बल्कि हिन्दू - मुस्लिम दो समुदायों के बीच आस्था से जुड़ा मुद्दा है।

loksabha election banner

कानून की निगाह में यह रिप्रजेन्टेटिव सूट है जिसमें हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों की ओर से प्रतिनिधि पक्षकार हैं। फैजाबाद की जिला अदालत ने आदेश जारी कर इसे रिप्रजेन्टेटिव सूट (प्रतिनिधि वाद) घोषित किया था।

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई का पांचवा दिन होगा। आजकल भगवान रामलला की ओर से दलीलें रखी जा रही हैं।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 1961 में फैजाबाद की जिला अदालत में मुकदमा दाखिल कर मांग की थी कि उन्हें संपत्ति का मालिक घोषित किया जाए और कब्जा दिलाया जाए। सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी बताते हैं बोर्ड ने पूरे मुस्लिम समुदाय की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए (रिप्रजेन्टेटिव) की हैसियत से पूरे हिन्दू समुदाय के खिलाफ यह मुकदमा दाखिल किया था।

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपने साथ जमीयत उलमा सहित आठ अन्य मुस्लिम पक्षों को भी याचिकाकर्ता बनाया था। इस मुकदमें के साथ ही सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने अदालत में एक अर्जी दाखिल की और कोर्ट से अयोध्या राम जन्मभूमि से संबंधित पूरे मुकदमे को रिप्रजेन्टेटिव सूट घोषित करने की मांग की।

इस अर्जी पर अदालत ने मुकदमें को हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के बीच रिप्रजेन्टेटिव सूट बनाए जाने के लिए आदेश दिया और कोर्ट के आदेश पर अयोध्या राम जन्मभूमि मुकदमे को रिप्रेजेन्टेटिव सूट बनाने के लिए पब्लिक नोटिस निकाला गया। कोई भी मुकदमा दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आर्डर एक नियम आठ के तहत रिप्रजेन्टेटिव सूट बनाया जाता है।

कोर्ट के आदेश पर अखबार में नोटिस प्रकाशित हुआ जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि अदालत के समक्ष मौजूद पक्षकारों में सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करेगा और जो हिन्दू पक्षकार मुकदमें में हैं वे हिन्दू समुदाय का प्रतिनिधित्व करेंगे, लेकिन उस समय अदालत में मुकदमा करने वाले हिन्दू पक्षकार ने कहा कि पूरे हिन्दू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने में वह असमर्थ हैं।

20 मार्च 1963 को कोर्ट ने एक आदेश जारी किया जिसमें हिन्दू महासभा, सनातन सभा और आर्यसमाज को हिन्दुओं की तरफ से प्रतिनिधि के तौर पर मुकदमें मे शामिल करने का अखबार में फिर पब्लिक नोटिस जारी हुआ। इसके बाद ही हिन्दू महासभा इस मुकदमें में पक्षकार बनी। हालांकि सनातन सभा और आर्यसमाज पक्षकार बनने के लिए आगे नहीं आए।

इस तरह यह मुकदमा रिप्रेजेन्टेटिव सूट बन गया जिसका मतलब है कि अयोध्या राम जन्मभूमि मामला अब महज जमीन पर मालिकाना हक का मुकदमा नहीं है बल्कि दो समुदायों के बीच मुकदमा है और जो भी फैसला आएगा वह दोनों समुदायों पर बाध्यकारी होगा।

जिला अदालत ने यह भी आदेश दिया कि चारों मुकदमें एक साथ सुने जाएंगे और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का मुकदमा लीडिंग केस होगा। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हिन्दू महासभा की ओर से पैरवी कर रहे वकील हरिशंकर जैन कहते हैं कि हिन्दू महासभा को हिन्दू समुदाय के हित देखने हैं। जैन 1990 से 2010 तक हाईकोर्ट में हिन्दू महासभा के वकील थे और अब वह सुप्रीम कोर्ट में हिन्दू महासभा की पैरवी कर रहे हैं।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.