'आज भी भारत सारे जहां से अच्छा', Axiom-4 फेयरवेल स्पीच में बोले शुभांशु शुक्ला; दुनिया को दिया खास संदेश
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आईएसएस पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले भारतीय बनकर 140 करोड़ भारतीयों के लिए गर्व का क्षण लाए। 18 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग करने के बाद वह एक्सिओम-4 मिशन के साथ प्रशांत महासागर में उतरेंगे। इसरो के अनुसार पृथ्वी पर लौटने के बाद उन्हें पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा। उन्होंने अंतरिक्ष से भारत को महत्वाकांक्षी और निर्भीक बताया।

पीटीआई, नई दिल्ली। आईएसएस पर पहली बार भारत का परचम लहराकर भारतीय को गौरवान्वित करने वाले अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला का स्वागत करने के लिए 140 करोड़ से अधिक भारतीय आतुर हैं।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिनों तक रहकर कई वैज्ञानिक प्रयोग करने के बाद गगनयात्री शुभांशु एक्सिओम-4 मिशन के अपने तीन सहयोगी अंतरिक्षयात्रियों के साथ मंगलवार को प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया तट पर उतरेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया, पृथ्वी पर वापसी, 15 जुलाई को भारतीय समय अनुसार दोपहर तीन बजे स्प्लैशडाउन निर्धारित है। इसरो ने कहा, पृथ्वी पर आने के बाद शुभांशु को फ्लाइट सर्जन की देखरेख में पुनर्वास कार्यक्रम (लगभग सात दिन) से गुजरना होगा ताकि वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल हो सके। किसी अंतरिक्षयान के पानी में उतरने को स्पलैशडाउन कहते हैं।
.jpg)
14 जुलाई को ISS से धरती के लिए भरेंगे उड़ान
शुभांशु अपने तीन सहयोगी अंतरिक्षयात्रियों के साथ 14 जुलाई को आइएसएस से धरती के लिए उड़ान भरेंगे। शुभांशु और एक्सिओम-4 मिशन के अन्य अंतरिक्षयात्री- मिशन कमांडर अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की, हंगरी के टिबोर कापू अनडॉकिंग की तैयारी कर रहे हैं।
स्पेसएक्स का क्रू ड्रैगन अंतरिक्षयान सोमवार को भारतीय समयानुसार लगभग शाम 4:35 बजे आइएसएस से अलग होने वाला है। अनडॉकिंग के कई घंटों बाद प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया के तट के पास स्पलैशडाउन की उम्मीद है। एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु और तीन अन्य अंतरिक्षयात्री 26 जून को आइएसएस पर पहुंचे थे। आइएसएस पर गए इन अंतरिक्षयात्रियों ने कई प्रयोग किए हैं।
.jpg)
इस तरह होगी वापसी
- शुभांशु और तीन अन्य अंतरिक्षयात्री अनडॉकिंग (आइएसएस से अंतरिक्षयान से अलग होने) से पहले भारतीय समयानुसार दोपहर 2.25 बजे अंतरिक्षयान में सवार होंगे, अंतरिक्ष सूट पहनेंगे और पृथ्वी की यात्रा शुरू करने से पहले आवश्यक परीक्षण करेंगे।
- आइएसएस पृथ्वी से लगभग 400 किमी ऊपर कक्षा में 28 हजार किमी प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। ड्रैगन अंतरिक्षयान स्वचालित रूप से आइएसएस से अलग होने की प्रक्रिया शुरू करेगा ताकि धीरे-धीरे गति धीमी हो सके और कैलिफोर्निया में पानी में उतरने (स्पलैशडाउन) के लिए पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश कर सके।
- ड्रैगन अंतरिक्षयान 580 पाउंड से अधिक सामान लेकर वापस आएगा, जिसमें नासा के हार्डवेयर और पूरे मिशन के दौरान किए गए 60 से अधिक प्रयोगों के डाटा शामिल होंगे।
अंतरिक्ष से दिखता है महत्वाकांक्षी, निर्भीक भारत: शुभांशु
शुभांशु ने कहा कि भारत अंतरिक्ष से महत्वाकांक्षा से भरा, निर्भीक, आत्मविश्वासी और गर्व से भरा दिखता है। आइएसएस पर रविवार को एक्सिओम-4 मिशन के चालक दल के लिए आयोजित विदाई समारोह में शुभांशु ने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के प्रसिद्ध शब्दों को दोहराते हुए कहा, आज भी, भारत ऊपर से 'सारे जहां से अच्छा' दिखता है। राकेश शर्मा ने 1984 में अंतरिक्षयात्रा के दौरान कहा था, भरत अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है।
.jpg)
शुभांशु ने कहा कि वह अपने साथ बहुत सारी यादें और सीख लेकर जा रहे हैं, जिन्हें वह अपने देशवासियों के साथ साझा करेंगे। इस समय आइएसएस पर 11 अंतरिक्षयात्री हैं, जिनमें से एक्सपीडिशन 73 के सात और एक्सिओम मिशन के चार अंतरिक्षयात्री हैं।
ऐतिहासिक रही शुभांशु की यात्रा
शुभांशु के लिए ऐतिहासिक रही यात्रा शुभांशु के लिए आइएसएस की यह यात्रा ऐतिहासिक रही है। शुभांशु आइएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने। वह अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के सोयूज अंतरिक्षयान से अंतरिक्ष स्टेशन सैल्यूट 7 पर गए थे। राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्षयात्री हैं।
अब तक शुभांशु ने अंतरिक्ष में 18 दिन बिताए हैं। हर दिन 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखे हैं। शुभांशु ने आइएसएस पर भारत से संबंधित सात प्रयोग किए, जो भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन को आगे बढ़ाने में एक बड़ा कदम था। इनमें अंतरिक्ष में मांसपेशियों को होने वाले नुकसान पर शोध, मस्तिष्क-कम्प्यूटर इंटरफेस विकसित करने, तथा अंतरिक्ष में मूंग और मेथी के बीज अंकुरित करने के प्रयोग शामिल थे।
आइएसएस पर प्रवास के अंतिम दिन वायेजर डिस्प्ले परीक्षण के तहत आंखों की गति और समन्वय की जांच की गई। इसके लिए ही अन्य अन्य प्रयोग किए।
यह भी पढ़ें- पृथ्वी पर लौटने के बाद शुभांशु सात दिनों तक पुनर्वास में रहेंगे, अपने साथियों के साथ अंतरिक्ष से इस जगह उतरेंगे
यह भी पढ़ें- Axiom-4 Mission: अंतरिक्ष से धरती पर 14 जुलाई को लौटेंगे शुभांशु शुक्ला, नासा ने किया एलान

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।