जल्दबाजी में कोई भी धारणा बनाने से हमेशा बचें- मोटिवेटर एवं लाइफ कोच डा. अनिल सेठी
गालिब का शेर याद आता है ‘उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा धूल थी चेहरे पर और आईना साफ करता रहा।’ इसी तरह हम सबको अपना आईना हमेशा साफ रखना चाहिए। कई बार ...और पढ़ें

डा. अनिल सेठी। आज के दौर में समाज में तरह-तरह की समस्याएं हैं, जिनमें से एक है किसी दूसरे के बारे में गलत धारणा बनाना। बहुत बार हम पूरी बात जाने बिना किसी के भी बारे में एक विचार/छवि बना लेते हैं और उसके चलते अपने संबंधों का सही मायने में आनंद नहीं उठा पाते। फिर चाहे वह आफिस में हमारा साथी या बास हों या कोई रिश्तेदार या मित्र।
इसे और अच्छे से समझने के लिए एक घटना सुनाना चाहता हूं। मेरा एक दोस्त एक सीमेंट फैक्ट्री में इंजीनियर पद पर चुना गया। वहां ज्वाइन करने के एक सप्ताह बाद सामान लेने के लिए वापस आया। उसकी पत्नी को छोटी जगह में जाने के लिए ज्यादा उत्साह नहीं था, तो उसने बताया कि फैक्ट्री बहुत बड़ी है और सभी लोग कैंपस में कंपनी के दिए हुए घरों में ही रहते हैं। जैसे-तैसे दो-तीन दिनों बाद उसकी फैमिली वहां शिफ्ट हो गई। अगले दिन सुबह मेरा मित्र अभी ब्रेकफास्ट ही कर ही रहा था कि उसको पत्नी का कमेंट सुनाई दिया-ये हमारी पड़ोसन को तो कपड़े धोना ही नहीं आता, उसके धुले हुए कपड़े भी गंदे दिखाई दे रहे हैं। मेरे मित्र ने कुछ नहीं कहा।
कुछ दिनों बाद दीवाली आ रही थी, तो मेरे मित्र ने एक दिन सुबह जल्दी उठकर पत्नी को सरप्राइज देने के लिए घर में थोड़ी सफाई करनी शुरू कर दी। चाय और ब्रेकफास्ट भी बना लिया, तभी पत्नी जाग गईं। उन्होंने जब ब्रेकफास्ट बना देखा, तो हैरान हो गईं। जब वह फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठीं, तभी उनकी नजर खिड़की से बाहर पड़ी और बोलीं-थैंक गाड, पड़ोसन ने कपड़े धोना सीख लिया। आज कपड़े चमक रहे हैं। अब मुस्कुराने की बारी मेरे दोस्त की थी। उसने कहा ऐसा कुछ नहीं है। आज मैंने खिड़की पर जमी हुई धूल अच्छे से साफ कर दी है। इसलिए कपड़े साफ दिख रहे हैं। ऐसी परिस्थिति पर मुझे गालिब का शेर याद आता है, ‘उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा, धूल थी चेहरे पर और आईना साफ करता रहा।’ इसी तरह हम सबको अपना आईना हमेशा साफ रखना चाहिए। कई बार जल्दबाजी में इसी धारणा के चलते हम अपना अच्छा मित्र और अच्छा समय खो देते हैं। इसलिए जल्दबाजी में कोई भी धारणा बनाने से हमेशा बचें।
[मोटिवेटर एवं लाइफ कोच]

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